In-out concept (सिद्धांत) आसान शब्दों में, आपका सही स्थान कहाँ है, ये जानना है। अंदर या बाहर?
वो सब जानने की प्रकिर्या (Process) क्या होगी?
Automatic machine vs living being processes?
Automaic machine
जो करना कैसे है, ये प्रोटोकॉल डालने के बाद, सारा काम अपने आप करे। जैसे automatic washing machine, cleaning robos, AC, PCR, Microwave आदि
Semi automatic machine जैसे washing machine
In Process
आप अंदर आ सकते हैं। ये जरुरत के हिसाब से भी हो सकता है और बिना जरूरत भी। जैसे खाना
वॉशिंग मशीन में कपडे या माइक्रोवेव या ओवन में खाना रखना या लैब में पीसीआर में वाइल्स रखना।
Out Process
जो अंदर लिया है, अगर उसकी सारे की जरूरत नहीं है तो फालतू को आप बाहर कर सकते हैं। उसमें से जितने मैटेरियल की जरुरत है, वो अंदर रख सकते हैं। जरूरत के हिसाब से। अब बाहर भी अलग-अलग प्रकिर्या में, अलग-अलग तरह का मैटेरियल होता है।
जैसे खाने के बाद बाहर क्या होगा?
या वाशिंग मशीन में कपडे धुलने के बाद बाहर क्या होगा?
या माइक्रोवेव में खाना बनने के बाद बाहर क्या होगा ?
तो ये निर्भर करता है मशीन पे या किसी सिस्टम पे, की वो अंदर क्या लेता है और बाहर क्या करता है? बहुत-सी मशीने काम की होती हैं। उनमें जो अंदर जाता है, उसका वो ज्यादातर उपयोग करके या तो खुद को अच्छा बना लेती हैं और बाहर सिर्फ waste निकालती हैं। कुछ मशीने या सिस्टम या कंपनी जो अंदर लेती हैं, उससे कुछ अच्छा बनाकर बाहर निकालती हैं। और उससे मुनाफा कमाती हैं। जब तक इंसान द्वारा बनाई मशीनो या सिस्टम की बात हो, तब तक ये सब सही है।
मगर
अगर इंसान का प्रयोग, इंसानों द्वारा ऐसे होने लगे, जैसे ये मशीने कर रही हैं, तो क्या होगा? या इंसानों का बनाया सिस्टम ऐसा हो या करने लगे? Artificial Intelligence, Machine Learning, Data Mining, use or abuse, शायद ऐसे ही विषय हैं।
उन्हें शायद मानवाधिकार उलंघन की कैटेगरी में रखा जाता है? शायद? शायद इसलिए लिखा है, क्यूँकि इस ग्लोबल-वर्ल्ड में ही बहुत तरह के संसार या समाज या रीती-रिवाज और "संस्कार" रहते हैं। और शायद इसीलिए उन समाजों के हालात, इतने ज्यादा अलग-अलग हैं। यहाँ पे खाने के मायने कई तरह से बदल जाएँगे। एक जीने के लिए, जो हम सब खाते हैं। और एक लालच में या गुंडागर्दी में इंसानों को या जीवों को ही, किसी ना किसी रूप में खाना शुरू कर दें।
अभी पीछे जैसे कई पोस्ट में जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों के बारे में लिखा। जरुरत नहीं थी, उनको खाने की। मगर फिर भी भद्दी और खुंखार राजनीती खा गई। वैसे ही जैसे इतने सारे लोगों को राजनीतिक बीमारियाँ खा जाती हैं। और उन्हें पता भी नहीं होता, की जो हुआ वो प्राकृतिक नहीं था। बल्की, इस समाज के महान इंसानों के बनाए, महान सिस्टम की देन की वजह से हुआ।
इसमें प्रकिर्या क्या है, मानव रोबोट घड़ने की?
पहले भी लिखा है, शायद कहीं
काफी जटिल होते हुए भी, उतना आसान, जितना किसी भी Editing का cut, copy और paste। या थोड़ा बहुत कुछ आगे या पीछे जोड़ना या तोडना या बीच में से कुछ निकाल देना या डाल देना। सर्जरी जैसे
या शायद कुछ permanant ना लिखकर खेलना, Err लिखना और फिर जैसे, पैंसिल से लिख कर मिटा देना। अब बच्चे ये सब तो करते ही रहते हैं। क्या बड़ी बात है इसमें? या पेन का या मार्कर का ब्लेड या चाकू जैसी किसी नुकीली चीज़ से मिटा देना। या शायद थोड़ा-सा white fluid लगा देना।
इसके साथ-साथ और भी बहुत कुछ है। आप जिसे लिखकर मिटा चुके, वहाँ अगर दूसरी या तीसरी बार लिखकर मिटाना चाहोगे, तो क्या होगा? पेज होगा, तो फट जाएगा। थोड़ा ढीठ या सख्त कुछ होगा, तो फिर भी बच जाएगा। मगर अगर जीव होगा तो ?
डिफेन्स होगा तो कह सकते हैं, One should not be so fragile. Right?
सिविल होगा तो कह सकते हैं, ????????
अब पता नहीं जो ऐसी-ऐसी टेक्नोलॉजी और उनके दुस्प्रभावों को इंसानों पे देखते हैं, वो कौन सी मिट्टी के बने हैं और कौन-से समाज का हिस्सा हैं? डिफेन्स या सिविल या ?? ??
ऐसा ही कुछ और in or out सुनने को मिला। आते हैं उस tech world पे भी।
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