Web मकड़जाल
Casting कॉपी बनाना, नकल करना या उतारना, हूबहू ढालना, घड़ना, एक ही तरह के पुतले बनाना, शीशा प्रतिरूप, छवि, छाया। जुड़वाँ बच्चे जैसे, जो एक जैसे दिखते हैं। ऐसे की पहचानना भी मुश्किल हो। यही टेक्नोलॉजी बहुत जगह प्रयोग होती है, थोड़े बहुत हेरफेर के साथ। अच्छे के लिए भी और बुरे के लिए भी। जैसे
एक फोन नंबर को कई जगह सुनना
एक फोन या लैपटॉप या किसी भी स्मार्ट स्क्रीन को कई जगह देख पाना
किसी भी जगह की या विषय की जानकारी, बहुत जगह एक साथ प्रसारित करना
कहाँ होता है ऐसे? रेडियो पे? टीवी पे? कैसे? तरंगो के माध्यम से, जैसे रेडियो तरंगे? या Optics के माध्यम से? फाइबर ऑप्टिक्स (Fibre Optics) ।
कितनी तरह की तरंगे, इस सब में प्रयोग होती हैं ? और कैसे भेजती हैं, वो सन्देश, एक स्थान से किसी दूसरे स्थान पे? दुनियाँ के एक कोने से, दुनिया के किसी दूसरे कोने में? आपके डिवाइस (डिवाइस मतलब, उपकरण जैसे फोन या लैपटॉप या टीवी) से टॉवरों पे या स्टेशन्स पे, जैसे रेडियो स्टेशन या टीवी प्रसारण केंद्र। या सीधा setellite? या इन टॉवरों या प्रशारित केंद्रों से setellite और वहाँ से दुनियाँ भर में। कितना वक्त लगता है, इस सबमें? Live, मतलब, उसी वक्त चला जाता है। जैसे आप फोन पे किसी को उसी वक्त सुन रहे होते हैं। या विडियो कॉल पे, उसी वक्त देख और सुन भी रहे होते हैं। उपगृह, क्रत्रिम उपग्रह, जो वैज्ञानिक बनाते हैं और आकाश में छोड़ते हैं। जिनके बहुत सारे उपयोग और दुरपयोग होते हैं। उपयोग जैसे मौसम बताना। 10-15 दिन का भी एडवांस बता देना। रेडियो, टीवी के प्रसारण में प्रयोग करना।
दुरूपयोग, मानव रोबोट घड़ना इसमें बहुत कुछ आता है। बहुत तरह का ज्ञान, विज्ञान, कला, साम, दाम, दंड भेद, धोखा, छल, कपट। आपके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाना। और उसको अपने लक्ष्य के अनुसार प्रयोग कर पाने की दक्षता। सभी राजनीतिक पार्टियाँ और दुनियाँ भर की बड़ी-बड़ी कंपनियाँ और उनकी सफलता इसी पे निर्भर करती है। सबसे ज्यादा आपके बारे में जानकारी कौन जुटाता है ? गुगल सर्च इंजन और ऐसे-ऐसे कितने ही सर्च इंजन। उसके बाद सोशल मीडिया और दूसरी तरह का मीडिया। बड़ी-बड़ी मीडिया कंपनियाँ। मीडिया इस पार्टी का, और उस पार्टी का। और वही सबसे ज्यादा अमीर भी हैं। एक और खास शब्द सुना होगा माइनिंग (Mining), खुदाई। कहाँ-कहाँ चल रही है? और कौन-कौन हैं ये सब करने या करवाने वाले? ये शब्द गुप्त तरीके से या गैरकानूनी तरीके से दूसरों की जानकारी जुटाने को भी कहते हैं। इसमें वो आपके घर भी घुसे हो सकते हैं और ऑफिस या किसी और जगह भी। आज हम उस समाज में हैं, जहाँ पता ही नहीं, कौन-कौन कंपनियाँ या राजनीतिक पार्टियाँ, अपने-अपने मीडिया के माध्यम से, पता ही नहीं कहाँ कहाँ घुसी हुई हैं। इनमें सरकारी, गैरसरकारी, प्राइवेट, पुलिस, मिलिट्री और पता ही नहीं, कौन कौन हो सकता है?
भला आम आदमी के बारे में जानकारी इक्कठा करके इन सबको क्या मिलेगा? पैसा और कुर्सियां। सोचो कैसे? आपका डाटा, आपको ढालने के काम आता है, आपके अपने खिलाफ भी। दूर बैठे, किसी भी पार्टी के लिए मुफ्त में काम निकालने के लिए भी। और कोई खास उत्पाद आपको बेचने में भी। ऐसे-ऐसे उत्पाद, जो आपको पसंद भी ना हों। इसमें आपको क्या मिलता है? आपका प्रयोग और दुरूपयोग किसी और के लिए। और उनका फायदा, आपको या आपके अपनों तक को खत्म तक करके। ज्यादातर बीमारियाँ, लड़ाई-झगड़े और कोर्टों में सालों दर साल घिसटते केस, ऐसे ही हैं। आप जितने ज्यादा नासमझ और अज्ञान हैं, उतना ही ज्यादा आपका और आपके अपनों का फायदा कोई और ले रहा है। मतलब कोई भी आदमी बेकार नहीं है। संसाधन है। मानव संसाधन। जिसका सही प्रयोग करके, उपयोग भी हो सकता है। और गलत प्रयोग करके दुरूपयोग भी। अब किसे प्रयोग करना आता है और किसे नहीं, यही विकसित और विकासशील या पिछड़े का फर्क है।
टेक्नोलॉजी के इलावा भी, राजनीतिक पार्टियों की दूर-दराज के कोने-कोने तक पहुँच, अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं या शाखाओं द्वारा। और उसका उपयोग या दुरूपयोग। वो भी ज्यादातर गुप्त तरीकों से। जानेंगे, आगे कुछ पोस्ट में, उन गुप्त तरीकों के किए हुए कारनामे।
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