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Wednesday, November 15, 2023

सुक्ष्म, गोपनीय, चालाकी, धुर्त तरीकों से नियंत्रण करना

Micromanagement: Subtle Ways of Control (Written on May 24, 2023)

 सुक्ष्म, गोपनीय, चालाकी, धुर्त तरीकों से नियंत्रण करना।   

शोषण के जितने भी तरीके हैं, वो सब इसमें प्रयोग होते हैं, मगर चालाकी और धुर्तता से, गोपनीय रखकर। या शायद आपको उसके सिर्फ फायदे गिनाकर और नुक्सान छुपाकर। इनमें ज्यादातर क्रूर और निर्दयता से भरे होते हैं। और आपको लगता है कोई नहीं कर रहा या आपसे करवा रहा। आप सब खुद ही कर रहे हैं। यही नहीं, बल्की बहुत बार आपको लगता है की जो आप कर रहे हैं, वही सही है। आपके लिए और आपके आसपास के लिए। मगर परिणाम अक्सर उल्टे होते हैं। क्युंकि, गोपनीय तरीके से करवाने का मकसद वो नहीं होता जो आप समझते हैं। खासकर, वो सब, जब आपको बिना बताये करवाया जाए या किया जाए।  

ये सब कुछ-कुछ ऐसे ही है, जैसे भाषा का सीधा-सीधा प्रयोग और उल्टा-सीधा प्रयोग (Cryptic Use, गुप्त प्रयोग) 

जैसे बहन, मतलब बहन 

Cryptic Bahan means Ba   Han    or Ba h     A n 

जैसे बेटा, मतलब बेटा 

Cryptic (B e    t a)       

जी मतलब जी 

Cryptic G means G (Can be even short form of something else)

Ji or Jee (can have totally different meaning than what they look like)

Aloevera  (Al oe ve ra), a cactus plant, having only leaves and needles on leaves. It can survive under stress conditions. Useful product is gel but not as much useful as hyped. 

ऐसे ही बाकी पेड़-पौधों के बारे में भी जान सकते हैं। 

जैसे फल Mango (M an go), Guava (Gua va), या फूल वाले पौधे Roses, Bougainvillea etc.  

तुम्हे किसी ने हनुमान चालीसा थमा दी या सुनने को दे दी मगर चाहियें बीबी और बच्चे? या शायद भक्त बना दिए हनुमान के, प्रसाद बांटते फिरते हो हनुमान का और यहाँ-वहाँ भिड़वा रहें हैं, शिव के नाम पे? राजनीती के क्रूर जालों की मायानगरी है ये बंधुओ। जितना जानोगे, उतना ही समझ आएगा की कर क्या रहें हैं या कहना चाहिए, करवाने वाले करवा क्या रहे हैं, और तुम चाहते क्या हो?  

16. 04 . 2010 (ये शिव की नहीं कालिख की तारीख है। अगर किसी तारीख को आपके घर से किसी को उठाया जाता है तो वो कम से कम आपके लिए शुभ नहीं, अशुभ है। हो सकता है की सामने वाले की स्वार्थ सिद्धि उसी से होती हो? तो उसके लिए तो वही शुभ है, चाहे किसी को दुनियाँ से उठा के ही हो। आपकी रोबॉटिक समझ क्या कह रही है ? क्या कहके घुसेड़ी गई है आपके दिमाग में? शिव के 16 ब्रत? लड़कियाँ करती हैं, किसी धर्म या रीती-रिवाज में? लड़के भी करते हैं क्या? हमारे यहाँ तो शायद रिवाज ही नहीं रहा, ऐसे ढकोसलों का? फिर कहाँ से आ गया? राजनीती ले आई या बाजार?         

एक महान आत्मा ने एक गढ़ा खुदवाया, कितने पीपे घी डाला और सवाहा? पुण्य मिलता है इससे? सनातन धर्म के अनुसार? हिन्दु भावनाएं नहीं खोली? नहीं। अब इस हिन्दू धर्म में कितने प्रचंड, और कर्म-धर्म के तरीके हैं? बस पूछो मत। उतने ही, जितने कुर्सियों को इधर से उधर और उधर से इधर करने को चाहियें। बाकी धर्मों का दुरूपयोग भी कुछ-कुछ ऐसे ही होता है। ये आम आदमी की समझ से बाहर के वाद-विवाद हैं? आम आदमी को सिर्फ भेड़ों की तरह जैसा बताया जाए, बस वैसा करना चाहिए? अपने नुक्सान-फायदे देखे बगैर? खुद को, अपने बन्दों को, आँखों पे पटी बाँध के, देश सेवा में अर्पित करते रहना चाहिए। आखिर, देश तुमसे कुर्बानी माँगता है, और बार-बार माँगता है। भला, राजे-महाराजों से देश जैसी ताकतें कब और कहाँ कुर्बानियाँ माँगती है? औकात उनकी? तो ये भी जानना जरूरी है की ये देश कौन हैं। ये देश भी वो नहीं है, जो आम आदमी जानता है।    

Show, Don't Tell : इस तरह के कर्म-धर्म के तरीके, सिर्फ राजनीतिक खेल (राजनितिक जुआ) के परिणाम पे मोहर लगाना भर नहीं होते। बल्की Manifestation और Amplification या twists and turns और manipulations के तरीके भी होते हैं। चीज़ों को बढ़ा-चढ़ा कर, जोड़तोड़, मरोड़कर, अपने तरीके से पेश करना। और आम-आदमी को, उसकी भनक भी न लगे। बल्की उसे लगे, ये तो हमारे भले के लिए हो रहा है।   

जो कुछ हो रहा होता है या वो कर रहे होते हैं या आपसे करवाना चाहते हैं, अक्सर उसके कोड आसपास चल रहे होते हैं। उन्हें समझना जरूरी होता है। पीछे, एक घर में एक बैडरूम में कुछ टाइल्स लगी थी। लगती रहती हैं। क्या खास है? पता नहीं क्यों, मेरी निगाह जब उनपे पड़ी तो वो हज़म नहीं हुयी। थोड़ा अजीब-सा लग रहा था। बाकी सब टाइल्स (Ti - Les?) एक जैसी थी, सिर्फ वही अलग क्यों? X X वाली किसी specific पैटर्न और design में। मैंने एक बार नहीं शायद 2-3 बार पूछा भी और जवाब मिला टाइल्स खत्म हो गयी थी, इसीलिए। और भी कुछ ऐसी ही चीज़ें हुई। खासकर, मेरी गाडी का ड्रामे के साथ उठना और second hand 2-गाड़ियों का घर में आना। मुझे तो दोनों ही पसंद नहीं। मगर जब बैंक बैलेंस बिगड़ा हो तो पसंद-नापसंद नहीं चलती। 

और भी कई ऐसी ही चीज़ें हुयी। इन निर्जीव चीज़ों का होना शायद इतना अहम् नहीं था। बल्की, उसके साथ-साथ, जो इंसानों के साथ हो रहा था, वो ज़्यादा अहम् था। क्या था वो? क्या आम आदमी जान सकता है, ऐसे घटना कर्मों को? और रोक सकता है, ऐसी अनहोनियों को वक़्त रहते? शायद, थोड़ा-सा इन रहष्यमयी गुप्त गुफाओं (Cryptic Tunnels of specific kinda knowledge) को जान समझकर। इनमें, बहुत जगह, बहुत तरह के बाहरी कण्ट्रोल और twists हैं, जो हमें या तो दिखते ही नहीं या समझ नहीं आते। बाहरी, मतलब राजनितिक पार्टियों का छुपा हुआ हस्तक्षेप, आम आदमी के बैडरूम और बाथरूम तक भी।    

बहुत से ऐसे गुप्त कोड, मानव कण्ट्रोल में भुमिका निभाते हैं। मगर कैसे ? आम आदमी के लिए जरूरी ही नहीं, बल्की बहुत जरुरी है इन कोडों को और इनमें छिपे अनर्थों को समझना।     

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