Creation of Alternative Realities or Egos
आओ मानव-रोबोट (मुखौटे) घडें?
By Micromanagement of System, especially Human Beings
सुक्ष्म स्तर पे सिस्टम और इंसानों को कंट्रोल करके
सामाजिक सामान्तर घढ़ाईयों के किरदार कैसे गढ़ती हैं, ये राजनीतिक पार्टियाँ?
कोई भी सामान्तर किरदार, तब तक नहीं घढा जा सकता, जब तक आप उसे मानना शुरू ना करदें। जैसे ही आपने मानना शुरू किया, वैसे ही वो घढ़ाई आसान हो जाती है। इसीलिए दिखाना है, बताना नहीं का अहम भाग है, इन घड़ाईयों में। क्यूँकि, यहाँ पे ये राजनीतिक पार्टियाँ, जिसपे ऐसे-ऐसे किरदार घड़ रहे होते हैं, उन्हें ज्यादातर हकीकत से दूर करना शुरू कर देते हैं। यही है, फुट डालो, राज करो।
आओ कुछ राजनीतिक परिस्थितियों से रूबरु होते हैं
किसी भी घर में या रिश्ते में जब सब सही होता है, तो वो एक दूसरे के काम आते हैं। एक दूसरे का काम करते हैं, जहाँ कहीं जरूरत हो। जितना ज्यादा वक्त आप जहाँ-कहीं बिताते हैं, आपकी जिंदगी भी, वैसी ही और उन्हीं की हो रहती है। जैसे-जैसे आप एक दूसरे के काम आना बंद कर देते हैं, वहाँ वो-वो काम करने, कोई और इंसान या किरदार आने लगते हैं। कभी-कभी अपने आप और बहुत बार राजनीतिक पार्टियों द्वारा धकेले हुए। क्यूँकि, उन्हें मालूम है, की ये तरीका कोई भी अलग किरदार घड़ने का सबसे आसान तरीका है। किसी भी जगह या इंसानों से जितना ज्यादा अलग होने लगते हैं, उतने ही ज्यादा मतभेद या मनमुटाव भी होने लगते हैं। वो भी ज्यादातर अपने आप नहीं होते। आने वाले नए इंसानों के द्वारा या गुप्त राजनीतिक शखाओं के किए हुए होते हैं। क्यूँकि, किसी भी इंसान के लिए आपकी सोच वही होती जाती है, जो आप उसके बारे में सुनते हैं या आपको दिखाया या बताया जाता है। उस बताने या दिखाने में सिर्फ उतना ही और वैसा ही दिखाया या बताया जाता है, जिससे सामने वाले का काम या स्वार्थ सिद्धि आसान हो जाए। न उससे ज्यादा, न उससे कम। इसमें ज्यादातर उस हकीकत को दूर रखा जाता है, जो बताने या दिखाने वालों के इरादों में किसी भी तरह का रोड़ा बने। ये Perception War का अहम हिस्सा है।
सोचो कब-कब ऐसा हुआ, जब आपने एक दूसरे के काम आना बंद कर दिया और क्यों? आपने खुद ऐसा किया या आपसे ऐसा करवाया गया? छोटे-मोटे मतभेदों की वजह से या कोई मतभेद थे ही नहीं? या थोड़े बहुत थे और उन्हें आपके आसपास के नए किरदारों ने बढ़ा-चढ़ा के गाया या बताया? आपके अपने लोग, उन्हें कोई खास बात ना मान, रफा-दफा करते थे। मगर इन नए किरदारों ने उन्हीं छोटे-मोटे मतभेदों को, मिर्च मसाले के साथ बढ़ा-चढ़ा कर गाया? सबसे बड़ी बात, उससे ज्यादा मतभेद, शायद इन नए किरदारों के अपने घरों में हैं। और फिर भी वो उन्हें कोई खास नहीं मानते। उनके अपने घर सुबह-शाम चाहे झगड़ों के अड्डे हों, मगर वहाँ सब सही है? ये तो सिर्फ आपके छोटे-मोटे मतभेद हैं, जो सही नहीं हैं? तो मान के चलो, आप गलत लोगों के बीच हैं।
जितना ज्यादा आप अपने घर, अपने लोगों और अपने काम से मतलब रखेंगे, उतना ज्यादा ऐसे लोगों के जालों से बचे रहेंगे। ऐसे-ऐसे किरदार घड़ना, जो आसपास दिखें, मगर हों एकदम अलग। सामाजिक समान्तर घढ़ाईयाँ ज्यादातर ऐसी ही हैं। ये राजनीतिक पार्टियाँ, आपको ऐसे वातावरण में रख देती हैं की उसके बाहर अगर आप खुद से देखना नहीं चाहेंगे तो नजर ही नहीं आएगा। ऐसे लगेगा, सच वही है। इसे Immersion भी कह सकते हैं। किसी वातावरण का हिस्सा ऐसे हो जाना की उससे बाहर कुछ दिखाई ही ना दे। आपके आसपास जो आपको दिख रहा है, या सुन रहा है या आप अनुभव कर रहे हैं। बल्की, बेहतर शब्द उसके लिए होगा, जो दिखाया, सुनाया और अनुभव कराया जा रहा है। कौन हैं ये, खास तरह का दिखाने, सुनाने और अनुभव करवाने वाले? ये आप खुद जानने की कोशिश करिये। मैं शायद तरीके बता सकती हूँ, उस हकीकत को जानने के। या आपको उकसाने या आपसे कुछ खास करवाने वालों के। जहाँ पे उनके मुताबिक घड़ाईयाँ ना हों, वहाँ बार-बार वैसा बोल के। वैसा ही है, जताने की कोशिश करना।
मानव रोबोट घड़ने के तरीके, क्या हो सकते हैं? सोचो? मान लो, आपके पास कोई घड़ा है और आपको बिलकुल वैसा ही घड़ा चाहिए। क्या करोगे उसके लिए? किसी कुम्हार को बोलो, शायद बना के दे देगा। क्यूँकि उसकी प्रैक्टिस होती है, घड़े बनाने की। चलो मान लो, थोड़ी बहुत कमी रह गई, थोड़ा बहुत इधर-उधर हो गया। कई बार अगर बनाएगा, तो बन जाएगा। नहीं ? हो सकता है, फिर भी थोड़ा बहुत इधर-उधर अलग रह जाए। तब?
चलो रोटी बनाते हैं। कोई भी रोटी बनाने वाला आसानी से ऐसा कर देगा? बिलकुल एक जैसी रोटियाँ? शायद, आसपास? जितना ज्यादा एक्सपर्ट होगा, उतना ही ज्यादा आसपास बनाएगा।
इंसान की बजाय अगर मशीन प्रयोग की जाय तो ? इंसान हुबहु कॉपी बढ़िया बनाएगा या मशीन?
Data Mining, Machine Learning, Artificial Intelligence, Robotics
No comments:
Post a Comment