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Tuesday, November 28, 2023

हिन्दू है हिन्दू हम ?

हिन्दू हैं, हिन्दू हम 

भगवा लहराएंगे ?

ये कैसे हैं हिन्दू  हम?

और कैसा भगवा लहराएँगे?

भावनात्मक भड़क से ज्यादा, 

भला और क्या हैं हम?

और इससे ज्यादा और क्या कर पाएँगे? 


सुबह-सुबह, कभी-कभी

या कहना चाहिए ज्यादातर 

ये खास किस्म के हिन्दू-मंदिर 

बस यही गाते हैं और यही लहराते पाते हैं।  

यही प्रसाद बाँटते हैं हम?  

सुबह-स्याम, ध्वनि प्रदूषण से ज्यादा 

ना कुछ और फैलाते हैं हम?    


जब पढ़ने वालों का हो पढ़ाई का वक़्त 

भांडों की तरह भड़ाम-भड़ाम चीखते जाते हैं हम 

कितनी ही हो सुबह या स्याम 

भंडोलों की नगरी बनाते जाते हैं हम 

यही रह गए हैं हिन्दुओं के नाम पे मंदिर?

और उनके स्पीकरों से गुंजते उनके प्रभु ज्ञान?


इनसे थोड़ा इधर या उधर होंगे 

तो शायद नाचन दे, मैने नाचण दे 

उठते ही नचनियें सांग ?

जैसे गा रहे हों 

और दूर-दूर तक सुना रहे हों 

भंडोले हैं, भंडोले हम

भंडोले नगर बनाएँगे 

भडकावों से आगे औकात ही कहाँ? 

भावनात्मक भड़वे हैं, भड़वे हम 

भड़वे नगर बनाएंगे ?


ऐसा ही होता है, जब मंदिर भी बाज़ारों के अधीन हों? सुनते थे कभी, की मंदिर शांति की जगह होते हैं। मगर आजकल के मंदिर, वो जो सांग होते थे, उनके भी बाप होते हैं शायद?  

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