सुना जन्मदिन अहम होता है, किसी भी इंसान का। आजकल तो खासकर, बाजारों के हिसाब-किताब के अनुसार भी, कुछ ज्यादा ही अहम? और राजनीतिक विज्ञान के अनुसार? राजनीती वाला विज्ञान या हिसाब-किताब।
थोड़ा बहुत जब इन नंबरों के जुए को जानने की कोशिश की तो पता चला, शायद बहुत ज्यादा अहम। वैसे ही, जैसे आपका नाम। आपकी सबसे बड़ी ID यही हैं। इनके इर्द-गिर्द बहुत कुछ घुमता है, आपकी अपनी जिंदगी में। थोड़ा-सा कहीं कुछ बदला नहीं, मतलब जिन्दगी उल्ट-पुलट होने लगती है। सच में ऐसा है क्या? जानकार ज्यादा बता पाएंगे। हाँ, मुझे जितना समझ आया अभी तक, वो आपके साथ बाँट सकती हूँ।
टोना-टोटका, राजनीतिक-खोट-का
गुदड़ी के लाल
तेरा जन्मदिन
कौथ की चौथ सै?
कमेंट्री वालों की जानकारी के लिए
मेरे जन्मदिन में सब जुड़वाँ हैं, एक ओड नंबर 19 को छोड़के। इस 19 को ही प्रयोग किया गया, जिंदगी में रोड़े रोपने के लिए।
22 11 77 क्या मस्त नंबर हैं ना ? और मेरे फैवरेट भी। चौथ इन नंबरों में कहीं नहीं है। ना कोई कौथ है और ना ही तीन तिगाड़ा, काम बिगाड़ा। हालाँकि, ये मेरा ऑफिसियल जन्मदिन नहीं है। 10-12-1977 है, वहाँ। चौथ, वहाँ भी नहीं है। दादा, एडमिशन करवाने गए थे। तारीख और महीना भूल गए। उन दिनों, बर्थ सर्टिफिकेट नहीं होता था। हालाँकि, ये पता था की सर्दियों में दिवाली के बाद हुई थी। और साल याद था। तो बोल दी, कोई भी तारीख आसपास। हालाँकि, उन्होंने डायरी में, हम सब बहन-भाईयों की जन्मतिथि लिखी हुई थी। बाकी अलग-अलग जगह, अलग-अलग नंबर के मायने अलग-अलग हैं। जरूरी नहीं हर चार नंबर, हर किसी के लिए चौथ हो। जैसे कौन-सी चौथ जानने वालों के लिए। मैं किसी भी नंबर को बुरा या अशुभ नहीं मानती। मगर जब राजनीतिक जालों के हिसाब-किताब की बात हो, तो हमारे हिसाब-किताबों से, जरूरी नहीं वो मिलते भी हों।
इन तारीखों को या नंबरों को पार्टियाँ, आम-आदमी के हिसाब से नहीं घुमाती। बल्की अपने जुए के जितने वाले नंबरों के हिसाब से चलती हैं। आप अहम तो हैं और होने भी चाहिएं, जैसे हर इंसान। मगर, राजनीती में और इस सिस्टम में आपके नंबर कहाँ फिट बैठते हैं, आपके लिए। वो आपको देखना होगा। पार्टियाँ देखेंगी, तो वो क्यों सच बताएंगी आपको? वो सिर्फ घुमाएंगी आपको। कई जगह तो जो समझ आया वो ये, की आपकी जिंदगी और पुरे घर को ही इधर या उधर के पड़ोसियों के हिसाब-किताब सा फिट किया जा रहा है। इसीलिए वो इन कोडों को और इनके मतलबों को घुमाफिरा के बताती हैं। जिसमें छल-कपट, चालें और घात बहुत होता है।
अपनी जिंदगी में, अपने नंबरों को अहम रखो। ऐसे ही, औरों के लिए उनके अपने नंबर अहम रहने दो। ये है, अपनी जानकारी का हिसाब-किताब। थोड़ा बहुत शायद और लिख पाऊँ, आसपास के और राजनीतिक पार्टीयों के हिसाब-किताब के अनुसार। आपकी जानकारी क्या कहती है?
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