Search This Blog

About Me

Media and education technology by profession. Writing is drug. Minute observer, believe in instinct, curious, science communicator, agnostic, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Saturday, January 27, 2024

पीता? पीटा? मार-पटाई? ओह हो! मारपिटाई?

यहाँ पे औरतें पीटती हैं, 

अगर वो अधिकार की बात करें तो 

यहाँ पे औरतें भी, औरतों को ही पीटती हैं

क्यूँकि,

पुरुषों की तरफ, आँख तक उठाकर देखने की 

उनकी हिम्मत नहीं होती। 

चाहे वो पुरुष उनके अपने बच्चे या छोटे ही क्यों ना हों। 

बड़ों के बारे में कुछ कहना तो फिर, बड़ी बात है। 

चाहे वो तर्कसंगत बात करें 

तर्क-वितर्क यहाँ नहीं चलता। 

यहाँ सिर्फ पुरुषों का राज चलता है। 

वो पुरुष चाहे बाप हो, भाई हो, बेटा हो, 

पति हो या पोता ही क्यों ना हो।  

वो पुरुष चाहे, शराब पीने वाला हो 

या जुआरी ही क्यों ना हो। 

वो पुरुष चाहे औरत के संसाधनों 

या कमाई पे ही क्यों ना पलता हो। 

कहाँ की बात है ये?

शायद तो हमारे यहाँ की नहीं है?

और शायद से आपके यहाँ की भी नहीं है?  


या शायद हर गरीब तबके की? 

और ज्यादातर कम पढ़े-लिखे लोगों की है?

पढ़े-लिखे जहाँ में तो, शायद ऐसा कभी नहीं होता?

या होता है?

हमेशा नहीं, कभी-कभी तो होता है शायद?

ये बात सिर्फ औरतों की है?

या किसी भी कमजोर वर्ग की है?

और ऐसे लोगों को 

--भड़काया भी बहुत आसानी से जा सकता है?

ये तो बचने वाले को ही, बचके निकलना पड़ेगा?

नहीं तो?

कुछ भी सम्भव है? नहीं?

No comments:

Post a Comment