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Happy Go Lucky Kinda Stuff! Curious, atheist, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Writing is drug, minute observer, believe in instinct, in awesome profession/academics. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Monday, January 15, 2024

अच्छाईयों को बढ़ाना-चढ़ाना या बुराईयों को बढ़ाना-चढ़ाना

Amplifying the good

Vs

Amplifying the bad

आपका माहौल ये बताता है की वो आपकी बुराईयों को बढ़ा-चढ़ा रहा है या आपकी अच्छाईयों को ?

एक बार एक प्रोफेसर ने खाने पे बुलाया, अपने घर --  

तब तक मुझे लोगों पे ऐसा कोई शक नहीं था और ना ही ज्यादा कुछ इन किस्से-कहानियों का पता था। हालाँकि, मैं उन्हें कोई खास पसंद नहीं करती थी। फिर भी आते-जाते, हैलो वगैरह हो जाती थी। क्यूँकि, यूनिवर्सिटी कैंपस घर में ये प्रोफेसर पहली थी, जो बिन माँगी सलाह जैसे, घर के अंदर घुसके, देके गई थी, H#16, Type-3। कौन से पौधे कहाँ लगाने हैं, और कौन से कहाँ नहीं? मुझे बड़ा अजीब लगा था, इस तरह किसी अंजान का यूँ घर घुसकर, खामखाँ की सलाह देना। मगर, उसके इस अजीबोगरीब व्यवहार ने उसमें मेरी रुची बढ़ा दी थी, ये जानने के लिए की ये है कौन? क्यूँकि, बगैर किसी को जाने-पहचाने या बिना किसी रुची के शायद ही कोई यूँ घुसे, किसी के घर। घर के अंदर क्या, कहाँ लगाना है और कहाँ नहीं, तो बड़ी बात। उसके बाद भी उनका व्यवहार, थोड़ा अजीब-सा ही था। धीरे-धीरे पता चला, की मेरे कुछ एक्सटेंडेड दोस्त सर्कल से उसका नाता है। कुछ पुराने सर्कल से भी, और बहु-अकबरपुर से भी।

क्या कहाँ लगाना है और कहाँ नहीं? क्या कहाँ रखना है और कहाँ नहीं? और भी अहम कैसे रखना है? ये सब थोड़ा ढंग से समझ आया, जब 2017 में मैंने दोबारा join किया। ये सब मेरे अड़ोस-पड़ोस से खासकर सीखने को मिला ।कुछ सहायता, जो News Channels या Social Profiles मैं पढ़ती या देखती थी, उन्होंने भी की। अब तो ये व्यवहार, कुछ ज्यादा ही अजीबोगरीब हो गया था। ऑफिस में ही उल्ट-पुलट नहीं, बल्की घर में भी ज्यादा ही हेरफेर और बाहरी हस्तक्षेप बढ़ गया थाभाभी की मौत के बाद के घटनाक्रमों और मेरे पीछे तक के आँकलन ने बताया, की ये हस्तक्षेप यहाँ गाँव में भी ऐसे ही बढ़ गया था। एक तरफ मेरी समस्याएँ बढ़ रही थी तो दूसरी तरफ इस घर को भी घेरा हुआ था। जैसे, जकड़ना चारों तरफ से एक तरफ भाई-भाभी के रिश्तों में दूरियाँ पैदा की जा रही थी, तो दूसरी तरफ इस शराब पीने वाले भाई ने, माँ की ज़िंदगी को नरक बना दिया था। भाभी की मौत के बाद, माँ, छोटे भाई के पास रहने लगी, क्यूँकि वहाँ एक छोटी गुड़िया भी है और जरुरत भी। अब इस शराब पीने वाले भाई को झेलने की मेरी बारी थी। कुछ-कुछ वैसे ही, जैसे कहते हैं की दूर के ढोल सुहावने होते हैं । मुझे मेरे अपने घर और आसपास के बारे में बहुत कुछ ऐसा समझ आ रहा था, जो अजीबोगरीब था। या कहो की है। मगर किसका किया हुआ? खुद इनका? या बाहरी हस्तक्षेप का? Surveillance Abuse का, जो बुराईयों को भी बढ़ा-चढ़ा सकता है और अच्छाईयों को भी वो भी आपकी जानकारी के बिना, की ऐसा हो रहा है जिसे चाहे आपके घर से या रिश्ते-नातों से निकाल सकता है और जिसे चाहे घुसा सकता है 

अब क्यूँकि मैं माँ के घर पे रह रही हूँ तो भाई जब भी नशे में धूत होके आता, उसे मुझे झेलना था । मगर मैं ना तो माँ थी और ना उसके ज़माने की सोच, की सांडों को खाने-पीने को भी दो और उनका गाली-गलोच या मार-पिटाई भी झेलो। माँ ने वो सब झेला हुआ था। अपने पास सीधा-सा, हिसाब-किताब है, काम करेगा तो खाने को मिलेगा। नहीं तो रहने को जगह (घेर), तेरे पास है और अपने लायक किले भी। कर और कमा खा। जिस इंसान को बचपन से कमाने खाने की आदत ना डाली हो, क्या वो ऐसा करेगा? नहीं? वो कहेगा जमीन का सालाना हिसाब दो और मेरा गुजारा तो उसी में हो जायेगा। 2-3 किले ज़मीन हों तो उसका बिना कुछ किए, सालाना कितना मिलेगा? उसपे शराब का खर्चा? खैर, ये सब यहाँ आसपास आम-सी समस्या है। और बहुत-सी औरतें, ऐसे-ऐसे महानों को झेल रही हैं। जब इस बहन जैसा प्राणी पल्ले पड़ जाय, तो शायद समस्या और बढ़ जाती है, ऐसे लोगों की। सही शब्द बढ़ जाती है या बढ़ा दी जाती है? 

क्यूँकि, जब वो बिना पिए घर आता है, तो बड़ा सही है। मीठा बोलता है। अपना खाना भी खुद बनाता है। जैसा मिले, वैसा खा लेता है। अपने बाकी छोटे-मोटे काम भी खुद ही करता है। मतलब, समस्या सिर्फ शराब है। और जब वो पीने के पैसे खुद के पास नहीं होते, तो राजनीतिक पार्टियाँ मुफ़्त में सप्लाई करती हैं। या यूँ कहो, की मुफ़्त में अपने घर से बाहर वाले को, शायद ही कोई कुछ देता है ऐसे में मुफ्त में ज़मीन ऐंठने वाली चीलें, ऐसे लोगों को घेर लेती हैं। क्यूँकि, यहाँ ज़मीन सस्ती नहीं है। दिल्ली के पास होने के कारण, थोड़ी-सी ज़मीन का भी अच्छा खासा मिल जाता है। शायद बहुत से निकम्में जाट बर्बाद ही यूँ हैं। ज़मीन बेचके कौन-सा वो खाएँगे कमाएँगे? उसे भी उड़ा देंगे। ज़मीन जाएगी, वो अलग। उसपे पीने वालों को कुछ मिलता भी नहीं है। बोतलों में ही निपटा देते हैं उन्हें, थोड़े घने स्याणे लोग। कई बार खुद उनके अपने कहे जाने वाले हितैषी।   

थोड़ा बहुत जितना भी मैंने शराब लत के बारे में पढ़ा, वो ये की ये बीमारी है। ऐसे ही जैसे मोटापा। जैसे शुगर। जैसे कैंसर। या ऐसे ही कोई भी बीमारी। किसी भी चीज़ की अधिकता या लत बहुत तरह की बिमारियों का कारण बनता है। खासकर, जैसे ज्यादातर Lifestyle से सम्बंधित बिमारियाँ होती हैं Lifestyle में बदलाव कर, ऐसी बिमारियों से निपटा जा सकता है। उसका सबसे बढ़िया तरीका होता है, ऐसे आसपास के माहौल से बचना। उससे भी बढ़िया, ऐसे लोगों से और जगह से कहीं दूर हो जाना, जो ऐसी बिमारियों की तरफ धकेलता है क्यूँकि, ये पीने वाला भाई महीनों छोड़ने वालों में भी रहा है। मतलब, थोड़ा-सा बेहतर सहारा मिले, तो छोड़ भी सकता है हाल, अभी कुछ सालों से ज्यादा बेहाल हैंऐसे लग रहा है जैसे  H#30, Type-4 का सिर्फ मेरे घर के बेहाल होने में ही नहीं, आसपास के और कई घरों के उतार-चढ़ावों में भी काफी अहम रोल है सामाजिक सामान्तर घड़ाईयाँ चाहे वो रिश्तों का टूटना हो या दूसरी शादियाँ। चाहे वो कुछ खास कोढ़ वाली बीमारियाँ या लोगों का दुनियाँ से ही उठनाये सब किया हुआ है। अपने आप नहीं हुआइसीलिए, बार-बार लिख और कह रही हूँ, जितना ज्यादा इस सिस्टम के कोढ़ और सामान्तर घड़ाइयों को समझोगे, उतना ही ज्यादा अपनी ना सही, अपने बच्चों की ज़िंदगियों को तो जरूर बेहतर बना पाओगे  

राजनीतिक पार्टियों का ये जुआ, आप और हम जैसे आम-आदमी नहीं खेल रहे। बल्की शातीर, और अपने-अपने विषयों के ही नहीं, बल्की कई-कई विषयों में माहिर लोगों के समूह खेल रहे हैं। वो चाहें तो अपने समाज को अच्छाई की तरफ ले जा सकते हैं। और चाहें तो बुराई की तरफ। वो चाहें तो किसी को भी, किसी भी बीमारी का बहाना दे, दुनियाँ से उठा सकते हैं। या मरते हुए को भी, काफी हद तक बचा सकते हैं। वो चाहें तो, खानदान के खानदान, आपसे में लड़ा-भिड़ा खत्म कर सकते हैं। इसके लिए बहुत दूर जाने की जरुरत नहीं, बल्की अपने आसपास को पढ़ना और समझना शुरू कर दो। तो शायद बहुत कुछ बच जाएगा भाभी को PGI ने उठाया है 31 January, 2023 की रात या 1 February की सुबह को उसके बाद नाम कहाँ-कहाँ और किस, किसका लगा? सबसे बड़ी बात क्यों लगा? इसे ही फूट डालो और राज करो कहते हैं उसके लिए, इसके पहले के कारनामों को भी जानना जरुरी है जिन्हें मैंने बारबार लिखा है की ये कौन बोल रहा है? सामने दिखने वाला आदमी-सा खोल कोई? या जैसे कोई भूत किसी का? और भी अहम, कैसे डालते हैं, ये भूत? इसे भुतिया विज्ञान, टैक और Surveillance Abuse भी कह सकते हैं     

ये पोस्ट आम-आदमी के लिए तो है ही। समाज के उस वर्ग के लिए भी, जो अपने आपको, समाज को कोई दिशा या दशा देने में अहम भूमिका निभाने वाला समझता है  

अरे वो जो मैम ने घर खाने पे बुलाया था, उसका क्या हुआ?  

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