Inspiration of this post
Systems achieve what they are designed to achieve. -- Google talk Jeff .... ?
And we can design systems as per our needs.
आप अपने आप में एक सिस्टम हैं। बहुत ही छोटा-सा, मगर बहुत ही जटिल-सा सिस्टम। एक तरह की जटिल मशीन। शायद दुनियाँ की सबसे जटिल मशीन। आप कुछ खास काम करने के लिए बने हैं। क्या हैं वो खास काम? वो खास काम करने के लिए आपको एक और बड़ा सिस्टम चाहिए। जैसे किसी भी मशीन को। क्यूँकि, आप भी एक मशीन हैं।
अपना काम खुद करना: अपना काम खुद कौन-कौन करता है? कैसा काम खुद करते हैं? और कैसा औरों से करवाते हैं?
अपना काम औरों से करवाना
जैसे वॉशिंग मशीन अपने आप में एक सिस्टम है। मगर वो अपने आप काम नहीं करती। उसे काम करने के लिए भी किसी सिस्टम की जरुरत है। इलेक्ट्रिसिटी और पानी की फिटिंग। उसके बाद जब-जब उसे प्रयोग करना हो, तो सर्फ और गंदे कपड़े और टाइम वगैरह की सेटिंग करनी पड़ेगी। पड़ेगी, मतलब? ये वो सिस्टम है, जो अपने आप काम नहीं कर सकता। उसे अपना काम करने के लिए इंसान की जरुरत पड़ेगी। ये हो गया Semi automatic सिस्टम। इसी सिस्टम को अगर automatic वाशिंग मशीन के साथ भी फिट कर दें। तो भी सिस्टम तो आटोमेटिक हो गया। मगर इसपे काम करने वाला एजेंट इंसान ही होगा। सिस्टम कैसे इंसानों को कैसी-कैसी बीमारी देता है, ये ऐसे भी समझा जा सकता है। वो आगे विस्तार से किन्हीं पोस्ट में।
ऐसे ही जैसे कार। कार अपने आप में एक सिस्टम है। मगर उसे काम करने के लिए पैट्रॉल या डीज़ल चाहिए। ठीक-ठाक रोड चाहिए। और चलाने वाला ड्राइवर भी। और वक़्त-वक़्त पे सर्विस भी। ये सभी मशीनों पे लागु होता है। इंसान पे भी।
ऐसे ही कितनी ही तरह की मशीने हैं। सब अपने आप में किसी न किसी तरह का छोटा सा सिस्टम हैं। मगर उन्हें उनके काम करने के लिए थोड़ा बड़ा सिस्टम चाहिए।
सामाजिक घड़ाईयाँ, मानव रोबोट्स बना अपना काम निकालना। शातीर इंसानों द्वारा आम-आदमी का शोषण। मतलब, आम आदमी को अपनी गोटी बना अपना काम निकालने वाले so-called बड़े लोग।
इंसान भी एक मशीन है। एक सिस्टम है, बहुत ही छोटा-सा, मगर बहुत ही जटिल-सा सिस्टम। उसे भी काम करने के लिए, अपनी ज़िंदगी ठीक से चलाने के लिए एक सिस्टम की जरुरत पड़ती है। जैसे किसी वॉशिंग मशीन को या कार को, या माइक्रोवेव को। क्या आपके पास वो सिस्टम है? अगर नहीं है, तो क्या करेंगे? या तो जहाँ ऐसा सिस्टम है, वहाँ जायँगे या खुद ऐसा सिस्टम बनाएंगे। क्या आप वो करने के काबिल हैं? अगर हाँ। तो ज़िंदगी सही है। अगर नहीं, तो? आप आम हैं, खास नहीं। ये सुविधा हर जगह, सबके पास नहीं होती। या होती है? ये सुविधा भी एक तरह का पिरामिड है और आपका सोशल स्टेटस बताती है, किसी भी समाज में। इसे जानने के लिए, पहले कुछ शब्दों और परिभाषाओं को जानते हैं।
सिस्टम क्या है?
क्या काम करता है?
कैसे करता है?
किसके लिए करता है? इसे जानो, बहुत कुछ समझ आएगा, सामाजिक सामान्तर घड़ाईयों के बारे में और उनमें निभाए गए या सही शब्द निभवाए गए आपके किरदार से, या आपके आसपास वालों के किरदारों से।
तो पहले किस सिस्टम का अध्ययन करें? किसी बच्चे का? किसी जवान का? लड़के या लड़की का? किसी बुज़र्ग का? औरत या पुरुष का? ये हो जाएगा individualized system case study .
या फिर किसी भी एक तरह की आसपास की किसी आम समस्या को पकड़ते हैं। और जानते हैं उसके सिस्टम के बारे में? खामियों के बारे में और उनमें हेरफेर कर समाधान के बारे में ?
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