Brainwashing?
Indoctrination?
बच्चे की ट्रेनिंग?
कुत्ता ट्रेनिंग?
सोचो कैसे शुरू होती है? आतँकी भी ऐसे ही बनाते हैं। और कट्टर खास वाले देश प्रेमी भी। क्यूँकि किसी के लिए जो देश प्रेमी होता है, वो किसी और के लिए, आतँकी या देशद्रोही भी हो सकता है।
पहला कदम
कैसे जाने की आप मानव रोबोट हैं या असली के इंसान? अपने ऊपर ये कुछ टैस्ट करें। अगर इनके रिजल्ट पॉजिटिव आएँ तो आप मानव रोबॉट हैं। अगर नहीं, तो सिर्फ आदमी के खोल में कोई प्रोग्राम की हुई मशीन नहीं, बल्की इंसान ही है।
कौन-सी पीढ़ी (Generation) के कौन-से वाले प्रकार के (Variant)? Variant, जैसे गेँहू, गुलाब वगैरह की अलग-अलग variety (Variant) होते हैं। ये लैब में भी तैयार किए जा सकते हैं और बाहर भी, जैसे खेत में, नर्सरी में। इसके लिए आगे जानेंगे।
आप अपने बहन, भाई, बेटी, बेटा, माँ, बाप या किसी भी ऐसे पवित्र रिश्ते को कहीं ऐसे तो नहीं देखते या सोचते की वो मेरा बॉयफ्रेंड है या गर्लफ्रेंड? नहीं? चलो अभी बचे हुए हैं, इंसान ही।
कहीं आपसे कोई ऐसे नाटक या नौटँकी तो नहीं करवा रहा, किसी भी तरह से? नहीं? तो इंसान ही हैं।
कहीं कोई आपको किसी और इंसान का किसी भी तरह का अवतार तो नहीं बता रहा या बता रही? जैसे आपका नाम कुछ है और कहे नहीं आप वो नहीं, वो हैं?
आपका लिंग तो बदला हुआ नहीं बता रहे?
आपकी कोई भी पहचान जो आप जानते हैं, उसे कुछ और तो नहीं बता रहे? जैसे आपके बहन, भाई, आप वाले नहीं, किसी और के बहन भाई को आपका बताएं? या आप वालों को किसी और का?
ऐसे ही आपके बेटा, बेटी, भतीजा, भतीजी, माँ, बाप, दादा, दादी, नाना, नानी को? की आपके जो असली रिश्ते हैं वो आपके नहीं हैं, बल्की कोई अड़ोस-पड़ोस या दूर-दराज के रिश्ते आपके अपने हैं?
या आप किसी को ऐसा तो नहीं सोच रहे? या शायद बोल रहे? नहीं? तो आप इंसान ही हैं।
अगर ऐसा बोल रहे हैं, तो सावधान आपके दिमाग की ट्रेनिंग (programing) शुरू हो चुकी है, आपको मानव रोबोट बनाने की। अगर ऐसा आपने मानना शुरू कर दिया, तो आप बन गए किसी के मानव रोबोट। अगर जिसको कह रहे हैं, उसने मानना शुरू कर दिया, तो वो इंसान बन गया मानव रोबोट किसी का। और अगर दोनों साइड ने मानना शुरू कर दिया, तो मानव रोबोट घड़ाई करने वाली पार्टी का काम दोनों तरफ शुरू हो गया।
इसे कुत्ता ट्रेनिंग कहते हैं।
वैसे किसी भी बच्चे की ट्रेनिंग भी ऐसे ही abcd से शुरू होती है।
Brainwashing या Indoctrination का ये पहला Step है या सीढ़ी कहो।
गूगल बाबा के अनुसार the process of teaching a person or group to accept a set of beliefs uncritically.
ऐसी कोई भी पढ़ाई या शिक्षा देना, जिसमें सामने वाला बिना किसी सोच-विचार के उसे मानना शुरू कर दे। ठीक ऐसे ही, जैसे बच्चे को जब कुछ भी सिखाया जाता है तो वो उल्टा प्र्शन नहीं करता। बल्की उसी को सच मानने लगता है। क्यूँकि, उसका दिमाग और समझ इतनी परिपक्कव नहीं होती। इसीलिए उसे माटी का कच्चा पुतला या घड़ा बोला जाता है। ऐसा ही ज्यादातर भोले इंसानो के साथ होता है। और हमारे घरों में तो बच्चे को क्या, बड़े तक को उल्टा प्र्शन करना नहीं सिखाया जाता। जो बड़ों ने कह दिया, बस वही सही है। क्यों है, कह दिया, तो शायद आप ज्यादा जुबान लगाने वालों की श्रेणी में रख दिए जाते हैं? ऐसा ज्यादातर कम पढ़े-लिखे लोगों के बीच होता है। इसीलिए, कम पढ़े लिखे और ज्यादा पढ़े लिखों के शायद संस्कार और रीती-रिवाज़ भी थोड़े अलग होते हैं। पढ़े लिखों को प्र्शन करना सिखाया जाता है। और किसी भी बात को ऐसे ही बिना दिमाग लगाए मान लेना, अंधभक्ति कहलाता है।
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