किसी को कहीं बुलाने के लिए। किसी को किसी से मिलाने के लिए। किसी को कहीं से भगाने के लिए। किसी को कहीं उगाने के लिए। किसी उगे हुए को उजाड़ने के लिए। दिखेगा ऐसे, जैसे वो जीव (इंसान भी) ऐसा खुद कर रहे हों। मगर हकीकत, गुप्त तरीके से की गई Programming और Processing (Invisibly Directed Show) भी हो सकती है।
अगर आपको किसी जगह के सिस्टम के बारे में जानकारी चाहिए, तो वहाँ के पेड़-पौधों, पक्षियों-जानवरों को पढ़ना शुरू कर दिजिए, मिल जायेगी। जीव विज्ञान (Biology) या इससे जुड़े लोगों के लिए समझना शायद आसान हो। आम-आदमी इसे कैसे समझे? क्युँकि इसी में उनकी ज्यादातर समस्याएँ और उनके समाधान भी हैं।
खेतों को जब नुलाते हैं या पानी देते हैं तो वहाँ कोई खास तरह के तरह के पँछी आते हैं क्या? शायद बगुला, बतख जैसे? क्यों?
खाली पड़े घरों या हवेलियों में मकड़ी के जाले, चूहों, सांपों के बिल, चमगादड़ रहते हैं क्या?
शमशान घाटों के आसपास, बड़े ऊँचे पेड़ों या टॉवरों पे गिद्धों के समुह मँडराते हैं क्या?
गर्मी में छत पे या ऊँची दीवारों पे पानी रख दिया तो खास एरिया में कुछ खास तरह के पंछी आने लग जाते हैं क्या?
ज्यादा हरियाली, खुली जगहों और ऊँचे पेड़ों के आसपास मोर दिख जाते हैं क्या?
हर जीव का एक खास तरह का जीवन साईकल है। जिसमें अहम है, सुरक्षा, खाना-पानी और रहने की जगह। उसके बाद जीवन को आगे बढ़ाने के लिए, अपने जैसे जीवजंतु। ये तो मोटी-मोटी जानकारी है। जो आमजन तक को पता होती है। जिसे बच्चे भी समझ सकते हैं। इस तरह की बारीकियों की जानकारी बहुत कुछ नियंत्रण में कर सकती है। इंसानो को भी। वो भी ज्यादातर इंसानों की जानकारी के बैगर।
दुनिया का सिस्टम कुछ इस तरह से automation पे है, की बहुत कुछ, इधर-उधर, वहाँ की बड़ी-बड़ी राजनीतिक ताकतें और बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ करती हैं। सरकारी या प्राइवेट, सब संसाधनों पे उनका नियंत्रण है। मतलब, काफी हद तक वहाँ के इंसानों पर भी। यही मानव-रोबोट बनाने में अहम भुमिका निभा रहा है।
जितनी ज्यादा इस सिस्टम की जानकारी होगी, उतना ही ज्यादा आप इस सिस्टम के कब्जे से कुछ हद तक बाहर रह पाएंगे। इसके फायदों को ले पाएंगे और नुकसानों से बच पाएंगे। जितने ज्यादा इससे अज्ञान और अंजान रहेंगे, उतने ही ज्यादा इसके रोबोट बने रहेंगे।
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