सूचनाओं को नियंत्रित करके। कुछ छुपा के, कुछ बता के।
शरीर को दो हिसों में बाँट दो। एक गर्दन के ऊपर का हिस्सा और दुसरा गर्दन से नीचे। इंसान में और बाकी जानवरों में फर्क, गर्दन के ऊपरी हिस्से में अहम होता है। ये हिस्सा जब तक सही है, आप ज़िन्दा है। ये खत्म, आप खत्म। ये किसी और के अधीन, आप किसी और के अधीन। इस हिस्से को नियंत्रण में लेने के लिए जरूरी है, इसमें जाने वाले संदेशों, जानकारियों को नियंत्रित करना। वो नियंत्रित, तो आप नियंत्रित। मतलब, मानव रोबोट। मानव रोबोट मतलब, अब आप सिर्फ वो करेंगे जो आपसे करवाया जाएगा।
संसाधन आपके। और फायदा आपको रोबोट बनाने वालों का। उन संसाधनों में जमीन-जायदाद से लेकर, इंसान तक शामिल है। या यूँ कहना चाहिए की सबसे बड़ा संसाधन इंसान ही है।
अब उन लोगों या पार्टियों के बारे में सोचो जिन्होंने आपको रोज-रोज की नौटंकियों में उलझा रखा है। क्या बता के? और क्या छुपा के? छुपम-छुपाई क्यों? छदम युद्ध? लड़ने वाले को या इन छदम युद्धों (हकीकत में राजनीतिक जुआ) का हिस्सा होने के लिए आपको सब नहीं पता होना चाहिए? नहीं। क्यों?
किसी भी टीम में कितनी तरह के इंसान हो सकते हैं?
लड़ाका टीम ही लेते हैं। एक ऑफिसर्स लेवल और दुसरे आम सिपाही या फौजी। फैसले कौन लेता है? ज्यादातर प्लान कौन बनाता है? और उनको अंजाम कौन देता है? इसमें कुछ और भी बच गया? ये सब करने के लिए पैसा कहाँ से आएगा? इन फोजों को भर्ती कौन करता है? और भी बहुत कुछ।
इसे यूँ भी समझ सकते हैं। आपको घर बनाना है। पैसा होना चाहिए। घर बन जाएगा। आपके इलावा कौन-कौन काम करेगा उसपे? कोई डिज़ाइन बनाएगा। कोई कारीगर, तो कोई मजदूर। सब अपने-अपने काम के पैसे लेंगे और आपको घर मिल जाएगा। पैसा न हो तो? आपके अच्छे लिंक हों तो वो भी मिल जाएगा। ऐसा भी हो सकता है की पैसा किसी और का और घर आपका। जैसे पेपर दे कोई और, अंगुठा लगे किसी और का और नौकरी मिले किसी और को। अंगुठा लगाने से नौकरी? ये कैसी नौकरी होंगी और कैसा समाज? कितनी ही तरह के जुगाड़ होते हैं, दुनियाँ में। अब ये तो आपपे है की आपको कैसी कमाई चाहिए और कैसा जुगाङ। नहीं? तो थोड़ा बहुत तो दिमाग से काम लेना पड़ेगा, खासकर अगर जन्मजात गरीब हैं तो।
अब राजनीतिक पार्टियों पे आते हैं। किसने बनाई कोई पार्टी? किसलिए बनाई? राजनीतिक पार्टी का मतलब सच में सेवा करना है लोगों की? या उनसे अपनी सेवा करवाना? अगर सेवा करना है, फिर तो सबको अपने-अपने काम के अनुसार पैसे और सुविधाएँ मिलेंगी। मगर बिना लोगों का काम किए, लोगों से अपने काम निकलवाने आ जाएँ तो? क्या करना होगा उसके लिए? लोगों को बेवकूफ बनाना। मानव रोबोट बनाना।
मतलब इंसान के शरीर की तरह दो हिस्से मिलेंगे, ज्यादातर टीमों में। दिमाग वाला और बाकी शरीर वाला। दिमाग वाला टीम का हिस्सा प्लान बनाएगा और बाकियों को (शरीर को) बताएगा की क्या करना है। जिस समाज में, इस प्लान बनाने वाले में और बाकियों में जितना ज्यादा फर्क होगा, उस समाज में उतनी ही ज्यादा चुनोतियाँ और समस्याएँ होंगी। ठीक वैसे ही, जैसे जिस घर में सब के विचारों का ख्याल रखा जाता है, वहाँ शांति ज्यादा रहती है। मगर जहाँ किसी एक या दो की दादागिरी रहती है, वहाँ झगड़े ज्यादा। झगड़े न भी हों, तो फासले तो जरूर ज्यादा होंगे। उसके बाद, कुछ ऐसे घर भी हो सकते हैं क्या, जिनके फैसले लेते ही बाहर वाले हों? संभव है? आप कहेंगे वो घर कैसे? वो घर मानव रोबोट वाले। इन घरों के फैसले राजनीतिक पार्टियाँ लेती हैं। और ऐसे घर बहुत ज्यादा हैं। बस दिखते कुछ-कुछ हैं। और जो कोई मानने से मना कर दे, उनके ईलाज होते हैं। वो सब भी राजनीतिक पार्टियाँ ही करती या करवाती हैं। कैसे? जानते हैं अगली पोस्ट में।
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