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Friday, September 1, 2023

भारती के घोड़े और 24-नंबरी केस (Checkmate?)

भारती के घोड़े, लाला-वाले तालाब पे दौड़े?

कब की बात है ये?  

घोड़े वाला वो भाई और उसकी बहन की शादी। वो भी किसी स्कूल में। और कुछ युवा ज़िंदगियों की बर्बादी। 24-नंबरी केस, और एक-एक नाम और उनके कारनामों की घड़ाई। जैसे किसी एक पार्टी द्वारा, अपनी तरह के राजनीतिक ड्रामे की घड़ाई। अहम, लोगों को पता तक नहीं चलता, की राजनीतिक सामान्तर घड़ाई चल रही है। बहुतों को तो होने के बाद भी समझ नहीं आता। ऐसे केसों में बहुत-सी घटनाएँ, अपने आप नहीं घटती। बल्की, बहुत तरह के प्रोत्साहन और उकसावे (Stimulants) होते हैं। बहुत तरह के झूठ, छलावे और फेंकम-फेंक भी। मतलब जोड़ो, तोड़ो, मरोड़ो और पेलो। इसी को बोलते हैं, जो दिखता है, वो होता नहीं और जो होता है, वो दिखता नहीं। कहीं के किसी और तरह के कारनामे, कहीं पे किन्हीं और ज़िन्दगियों के साथ खिलवाड़।जैसे, जमीन में हथियार छुपाना, पता है किसे बोलते हैं? या अलमारी पे हथियार छुपाना? और ऐसे-ऐसे शब्द, कहाँ-कहाँ से होते हुए, करने वालों तक पहुँचते हैं, ऐसी-ऐसी, कैसी-कैसी घढ़ाईयों में? और भी, ऐसे ही कितने ही सिर्फ शब्द नहीं, बल्की कमियाँ (loopholes) मिल जाएंगे, खासकर उन्हें, जिन्हें ऐसे केसों का अध्ययन और विश्लेषण आता है। हर केस अलग होता है। मगर राजनीतिक पार्टियाँ उसे अपने अनुसार घड़ने की कोशिश करती हैं, अपनी, अपनी तरह के मिर्च-मसाले के साथ। जहाँ उनके हिसाब से घड़ाई ना हो पाए, वहाँ राजनीतिक हिसाब-किताब से, अलग-अलग तरह की गपशप काम आती है। मेरी नजर में ये पहला केस था, आसपास की किसी जगह का, जिसने मुझे चौकन्ना किया, की कहीं तो कुछ गड़बड़ घोटाला है। उसको कुछ डिफेन्स, पुलिस, सिविल और मीडिया के बन्दों ने, यहाँ-वहाँ जैसे पुख्ता किया हो, अपनी पोस्ट्स से या लेखों से। मीडिया में रूचि तो पहले भी थी, मगर इसके बाद वो कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी। 

इसके बाद तो कितने ही और, कितनी ही तरह के, सामान्तर केसों को सुना या पढ़ा, इधर-उधर। मगर, उनकी समझ, 2018 से 2021 तक के कैंपस क्राइम सीरीज को भुगतने और ऑफिसियल डाक्यूमेंट्स को पढ़ने के बाद ही हुई। इसी के साथ-साथ, मैंने आसपास की कुछ बीमारियों और मौतों को भी समझने की कोशिश की। कोरोना काल ने तो जैसे, सबकुछ नहीं तो, बहुत कुछ जरूर उधेड़ के रख दिया। वो भी ऐसे, की ये राजनीतिक खेल (जुआ), सामाजिक स्तर पर न तो इतना आसान है, जितना कैंपस क्राइम सीरीज सामांतार घढ़ाईयाँ। और न ही इन्हें और इनके परिणामों को झेलना। फिर दायरा भी किसी एक यूनिवर्सिटी, शहर, राज्य या देश तक सिमित नहीं है। ये तो एक कोड वाला पहिया-सा है, जो संसार भर में घुमता है। वो भी ऐसे, की जो दुनियाँ के इस कोने में हो रहा है, उसका असर दुनियाँ के पता नहीं और कौन-कौन से कोने में और कैसे-कैसे हो रहा है। आप जो भी करेंगे, उसका असर, किसी न किसी रूप में, कहीं न कहीं तो जरूर हो रहा होगा। तो कम से कम, अपना हिस्सा तो जिम्मेदारी से निभाईये। फिर चाहे वो कितना ही छोटा क्यों न हो। 

ऐसे ही, कुछ और इधर-उधर के checkmate वाले केसों को समझने की कोशिश करते हैं, किसी और पोस्ट में। खासकर, रिश्तों के राजनीतिक जोड़-तोड़ और राजनीतिक बीमारियों के प्रहार। ऐसी सामान्तर घढ़ाईयों से आम-आदमी खुद को बचा सकता है, अगर वक़्त रहते जानकारी मिल जाए तो। अगला केस 34 नंबरी केस या 12 या कोई और तरह की, किसी और पार्टी की सामान्तर घढ़ाईयाँ? 

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