पहले वाली महाभारत में विरोधी ज्यादातर आमने-सामने होते थे। हालाँकि कुछ एक छलावे के अपवाद, वहाँ भी सुनने-पढ़ने को मिलते हैं। युद्ध के भी नियम-कायदे होते थे। आज भी होते हैं। उन नियम-कायदों के उलंघन तब भी होते थे। आज भी होते हैं, ज्यादा ही। तब छद्यम जैसे छल, कपट, असली रूप छिपाना, युद्ध कम होते थे। आज युद्ध में आमने-सामने बहुत कम होता है। बैठकर जुए खेलने जैसा कुछ नहीं होता। ऐसा होता है तो आम जुआरियों के यहाँ। वो आखिरी वाले लोगों के यहाँ। उसका बहुत ज्यादा महत्व कुर्सियों को इधर-उधर करने में नहीं होता। हाँ! आपस में भिड़वाने में जरूर होता है।
गोटियाँ (गोटियाँ मतलब कोड), यहाँ हर जीव और निर्जीव है, खासकर इंसान। और कोड भी अलग-अलग पार्टी में, अलग-अलग तरह से काम करते हैं। मानो गोटी को चलना है, ऐसे की अपना काम भी हो जाए और कहीं नाम भी न आए। पता ही न हो, की करने वाले हैं कौन, और कैसे किया है? आपको, आपके ही किसी अपने के या अपनों के खिलाफ चलना कैसा रहेगा? और आपको बताया या समझाया जा रहा हो, की आप तो भला कर रहे हैं। यही फूट डालो और राज करो है। कहीं भी अगर आपको बोलने की बजाय इशारों या नौटंकियों द्वारा करने को बोला जाए, तो मान के चलो वो आपके हित में नहीं है। गलत लोगों के फंस गए हो और कुछ गलत ही करवा रहे हैं। शायद बहुत कुछ आपसे छिपा रहे हैं। जिसका ज्यादातर वो मतलब होता ही नहीं, जो आपको बताया या समझाया जाता है।
आप अगर कोई नौटंकी या ड्रामे का हिस्सा भी हो रहे हो, तो भी उसका असर आपकी अपनी ज़िंदगी पे तो सही है ही नहीं। आपके आसपास वालों पे भी सही नहीं होगा। कुछ लोग, एक या दो नौटंकी पे ही समझ और संभल जाते हैं। मगर कुछ उसे अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बना लेते हैं। ज्यादातर ऐसा अनजाने में हो रहा होता है। मगर उनका क्या किया जाए, जिन्होंने जानबुझकर ऐसी-ऐसी नौटंकियों को अपनी राजमर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बना लिया हो? मतलब, आपका मानव रोबोट बनना या कहो बनाना शुरू हो चुका है। आपकी mind programming चल रही है। वैसे ही जैसे हमारी आदतें बनती हैं। या वैसे ही जैसे बच्चों या पालतु जानवरों की ट्रेनिंग होती है। वो करने से पहले कम ही सोचते हैं, की क्यों कर रहे हैं? इससे किसका फायदा या नुकसान है? या यूँ कहें की दिमाग कहाँ है? किसी भी चीज को समझने की कोशिश करना और बिना समझे करने में दिमाग का प्रयोग करना या न करने भर का अंतर है। आप गोटी हैं, इधर या उधर की और कोई आपको चला रहा है। आप चल रहे हैं। दिख तो यही रहा है ना की आप कर रहे हैं। कर भी रहे हैं। नहीं?
इसमें किसी भी तरह के हाव-भाव या संकेत हो सकते हैं। किसी खास पोज़ में बैठना या खड़े होना हो सकता है। या कोई कोड शब्द भी हो सकते हैं। ज्यादातर जिनके बारे में बोला जाता है, जैसे किसी चौराहे पे खड़े गुंडों की भाषा। अब आप शायद न तो चौराहे पे खड़े और न ही उस टाइप के बन्दे। फिर भी कर रहे हैं? क्यों? हो सकता है, किसी पार्टी ने आपको ऐसा करने के लिए बोला हो। एक बार, दो बार, कितनी बार? और आपने सोचा उसका असर सामने वाले पे या खुद आपपे क्या होगा? सामने वाला शायद मानव रोबोट कैसे बनते हैं, पर अध्ययन कर रहा हो। या इस लायक ही न समझता हो, की ऐसे किसी जाहिल को तवज्जो तक दी जाए। या शायद आपकी अपनी भलाई में बता रहा हो, की आपको पता है इसका असर खुद आपपे क्या हो रहा है? या आपके अपने आसपास पे क्या हो रहा है? सोचो, कहीं जाने-अनजाने, आप बिना दिमाग का प्रयोग किए, पालतु जानवरों वाली ट्रेनिंग लेने की लाइन में तो नहीं लग चुके हैं? ऐसी ही किसी ट्रेनिंग में जाने-अनजाने अपने बच्चों को भी तो नहीं लगा रहे हैं? मतलब, आप राजनीतिक जुआरी नहीं हैं। फिर भी जुए का हिस्सा बन चुके हैं या कहना चाहिए बनाए जा चुके हैं। आप इस या उस पार्टी की चलाई गोटी भर हैं। गोटी भी कौन से वाली? और लम्बे वक्त तक ऐसी गोटी बने रहने का असर क्या होगा?
आपके अपने आसपास या घर में ऐसे-ऐसे कितने उदाहरण हैं? अंदाजा है?
कोशिश कीजिए जानने की, शायद बहुत कुछ समझ आ जाए। जो कुछ हुआ, क्यों हुआ या अब क्या हो रहा है? उसके परिणाम आगे क्या हो सकते हैं?
आगे की किसी पोस्ट में आते हैं कुछ उदाहरणों पे। यहाँ-वहाँ, देखे-समझे गए उदाहरण। चलती-फिरती गोटियों के। गोटियाँ, इस पार्टी की। गोटियाँ, उस पार्टी की।
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