मनोस्तिथि घड़ना मतलब, सामान्तर घड़ाई करना भी हो सकता है। और बिना किसी सामान्तर घड़ाई के, छल, कपट के तरीके से, अपना काम निकालना भी हो सकता है।
क्या कोई किसी की मनोस्तिथि घड़ सकता है? अगर हाँ तो कैसे?
इसका राज छुपा है इसमें --
एक तरफ दिखाना है मगर बताना नहीं
और दूसरी तरफ ना दिखाना, ना बताना, सिर्फ रचना है। वो भी गुप्त तरीके से।
इसे बोलते हैं, उतना ही बताओ, जितना अपना काम निकालने के लिए जरूरी हो। न उससे कम और न ही ज्यादा।धूर्त और चालाक लोग करते हैं ऐसा। वो ऐसा न सिर्फ युवाओं के साथ करते हैं, बल्की बच्चे-बुजुर्ग कोई हों, उन्हें फर्क नहीं पड़ता। उन्हें तो घड़ाई से मतलब है।
आपने क्या देखा, सुना या अनुभव किया, किसी इंसान के बारे में, किसी संस्था, पार्टी या जगह के बारे में ? वो सब, उन सबके बारे में आपकी मनोस्थिति घड़ता है। उस मनोस्थिति के घड़ाव में आपके अपने विचारों की ट्रेनिंग, परिवेश का भी प्रभाव भी पड़ता है। ये खाने-पीने से लेकर, पहनावे, रहन-सहन, वित्तीय स्तिथि, सफाई वाली खुली जगहें या गंदगी और तंग जगहें, बोलचाल के तरीके और रिश्तों तक को प्रभावित करता है। मतलब, आपकी ज़िंदगी कैसी होगी, ये सब आप कैसे माहौल या समाज में रहते हैं, उस पर काफी हद तक निर्भर करता है।
वो समाज आपको क्या दिखाता है, क्या बताता है, मतलब आपको व्यस्त कहाँ रखता है? आप ज्यादातर वक़्त किस बारे में सोचते हैं? और आपके परिवेश के प्रभाव स्वरूप आपके विचार क्या हैं? आपकी ज़िंदगी उसी दिशा में बढ़ती जाती है। वहाँ का राजनीतिक ताना-बाना इसमें अहम भूमिका निभाता है। ये राजनीतिक ताना-बाना या मायाजाल किसी भी समाज को दिशा या कोई खास दशा देता है। वहाँ के लोगों के जीवन को आसान या मुश्किल बनाने का काम भी यही करता है।
एक तरफ, क्या दिखाता है या बताता है, और दूसरी तरफ? क्या छुपता है और गुप्त तरीके से रचता है, और भी ज्यादा अहम है।
इस छुपम-छुपाई के छदम युद्ध में राजनीती और पार्टियों की घिनौनी मानसिकता और कारनामे छुपे होते हैं। इसमें ये पार्टियाँ, आम आदमी का दुरूपयोग करती हैं। ये सामने वाले की मानसिक स्तिथि और विचारों को, उनकी खामियों और ताकत का आंकलन कर, उनकी मानसिक स्थिति घड़ने का काम करती हैं। इसमें वो सामने वाले को स्थिति स्पस्ट नहीं करते, बल्की हकीकत छुपा कर रखते हैं। जो ये आम आदमी से करवाते हैं, उसके परिणाम और उनकी ज़िंदगी पर दुसप्रभाव नहीं बताते, बल्की सिर्फ फायदा बताते हैं। किसी भी तरह का लालच, लाभ, अच्छाई या डर दिखाते हैं। जो जितना ज्यादा इस मायाजाल में उलझता जाता है, उस इंसान, परिवार या समाज की स्थिति, उतनी ही ज्यादा बदतर होती जाती है।
जहाँ ये छुपम-छुपाई या छदम-युद्ध, जितना ज्यादा कम होता है, पारदर्शिता जितनी ज्यादा बढ़ती है, उतना ही वो इंसान, परिवार या समाज, खुशहाली और तरक्की की तरफ बढ़ता जाता है।
आओ मनोस्थिति घडें, अगली पोस्ट।
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