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Saturday, September 30, 2023

ये गुप्त-गुप्त, महागुप्त सिस्टम और छद्दम युद्ध (गुप्त युद्ध)

छद्दम युद्ध मतलब, छुपकर युद्ध या गौरिल्ला युद्ध। ये चीते, शेर जैसे जानवरों की तरह आसपास ही घात लगाकर और अचानक धावा बोलकर भी हो सकता है। और आज के युग में खासकर, दूर बैठकर भी। और वो भी आपको और आपके अपनों या आसपास वालों को साथ लेकर। जैसे, घर में घुस कर मारना। एक तरह आपको साथ लेकर अपने अनुसार चलाना, अपने फायदे के लिए। वो भी ऐसे की जिसमें आपका या अपनों का नुकसान हो। और आपको पता भी न चले, की ऐसा हो रहा है। यही हैं गुप्त तरीके से मनोस्थिति घड़ने के तरीके। 

छदम युद्ध आपके आसपास चारों तरफ फैला होता है। गुप्त कोड समझ आने लगें तो समझना थोड़ा-सा आसान होता है। ये प्रभाव हर स्तर पे होता है। खास तरह के प्रभावों या दुस्प्रभावों को बढाने-चढाने के लिए। Amplification, Hype,  Manifestations और भी पता नहीं क्या-क्या तरीके युद्ध स्तर पर प्रयोग होते हैं। ये छद्दम युद्ध और इसके कोड, आपके आसपास की जगह के खाने-पीने में मिलेंगे। बीमारियों और दवाइयों और अलग-अलग तरह के इलाजों में मिलेंगे। कृषि और खेत-खलिहानों, वाहनों में मिलेंगे। इमारतों, परिवहन के साधनो, परिधानों और किताबों में मिलेंगे। धर्म और इससे जुड़े रीती-रिवाज़ों और उनमें वक़्त के साथ आए बदलाओं में मिलेंगे।   

कोड अगर नहीं भी समझ आते, तो कुछ मोटी-मोटी और छोटी-छोटी  बातें समझ लें। शायद काफी कुछ समझ आने लगेगा। कहीं किसी के खिलाफ चल रहा था, कैंपस वाले घर से निकालना और ऐसी-तैसी करना। क्युंकि, वो बंदा या बंदी शायद कहीं थोड़ा reserved है और कैंपस मतलब, खास तरह के बचाव वाले माहौल में भी। हालाँकि खास तरह के बचाव के माहौल में ऐसे समय में अलग तरह के खतरे होते हैं। उस जाने-पहचाने माहौल से निकाल के, किसी खास तरह के माहौल में धकेल कर, काफी कुछ करना, खासकर गुप्त तरीके से करना, आसान हो जाता है। मगर लोगबाग बारबार कोशिशों के बावजुद ऐसा नहीं कर पाए। साम-दाम तो लगाकर देख चुके थे। फिर आता है दंड-भेद। मार-पिटाई और जबरदस्ती नौकरी से निकालने के तरीके। वो भी जैसे-तैसे हो गया। मगर उसके साथ-साथ बाहर निकल के आ गई कैंपस क्राइम सीरीज, वो भी official documents के साथ। झंड पे झंड। इधर वालों की भी, और उधर वालों की भी? जितना और जैसे भी हो सका, आदमखोर-तरीकों से काफी हद तक, काफी कुछ बीच में ही रुकवा भी दिया। या शायद कहना चाहिए, जितना हो सके, उतने वक़्त के लिए दबा दिया। खुलम-खुल्ला, खून-खराबा और मारकाट, वो भी संसार भर में। छद्दम युद्ध, अब उतना भी छद्दम नहीं रहा। ऐसे-ऐसे युद्धों में वैसे तो बचना मुश्किल होता है, खासकर, आम-आदमी के लिए। इतना कुछ भुगतने के बावजुद, अगर थोड़ा-सा भी जो कुछ हुआ, उसे समझने की कोशिश करेंगे, तो शायद कुछ हद तक समझ पाएं, इस छद्दम को। गौरिल्ला युद्ध को। खासकर अब जो चल रहा है उसे। 

कहीं किसी से कैंपस का घर छुड़वाने की कोशिश हुई, तो किसे साथ लेकर? लोगबाग क्या करना चाहते थे और क्यों, तुम्हें बताया क्या? बाबा-लोग, भोले लोगों को ऐसे ही जालों में उलझाते हैं। किसी को नौकरी से निकालने की कोशिशें हुई, तो साथ किसे लिया और क्या बताकर? नौकरी से निकाल कर बेघर करने की कोशिशें हुई, क्या-क्या और कैसी-कैसी आग लगाकर? नौकरी से निकालकर, बचत का पैसा ब्लॉक करके, financially खत्म करने की कोशिशें हुई, किन्हें साथ लेकर? किन्हें और क्यों बोला गया की इसे पैसे मत देना, वो भी ऐसे लोगों को, जिनकी उसने हमेशा मदद की हो? क्या-क्या भड़काकर, डराकर, क्या छुपाकर या कैसी-कैसी आग लगाकर? और इस सबके परिणाम किस-किसने भुगते? 

कौन-कौन और कहाँ-कहाँ पीटी? सामान्तर घढ़ाईयाँ। 

कौन-कौन और कैसे-कैसे, घर आकर बैठी? सामान्तर घढ़ाईयाँ।  

कौन-कौन और कैसे-कैसे, तकरीबन इधर के न उधर के, हुए या हुई? सामान्तर घढ़ाईयाँ।    

कौन-कौन, कब और कैसे-कैसे, दुनियाँ से उठा या उठी? सामान्तर घढ़ाईयाँ। 

किस-किस की नौकरी या जो महीने में जैसी भी सैलरी आती थी, वो खत्म हुई? सामान्तर घढ़ाईयाँ। 

कौन-कौन और कैसे-कैसे, देश से बाहर जाने की फिराक में हैं? सामान्तर घढ़ाईयाँ।  

आपका अपना और आपके आसपास वालों का, इसमें कैसा या क्या रोल रहा है, जाने या ज्यादातर अनजाने? सामान्तर घढ़ाईयाँ। 

हाँ। फिर वो भी तो हैं, जिन्होंने ऐसी-ऐसी परिस्थितियों में यहाँ-वहाँ, जहाँ-तहाँ सहायता की। उनके यहाँ क्या चल रहा है? सामान्तर घढ़ाईयाँ।    

ऊपर दिए गए ज्यादातर केस, समझने वालों के लिए, दोहरी, तेहरी और पता नहीं, कैसी-कैसी मार हैं, छद्दम और छल के तरीके से। जहाँ आप अपने या अपनों के लिए काम न करके, जुआरियों और शिकारियों के राजनीतिक जाल में फंस जाते हैं।    

ऐसा भी नहीं है, की सबकुछ बुरा ही बुरा है। कुछ अच्छा भी हुआ है, शायद। कहाँ और कैसे? जानेंगे इसे भी, किसी अगली पोस्ट में, क्युंकि ये ज्यादा अहम है। खासकर, एक खराब दौर से, बेहतरी की तरफ बढ़ने के लिए।  

इन सबको अगर आप बारीकी से और शांत दिमाग से, समझने की कोशिश करेंगे, तो शायद पता चले, की जो-जो आपने किया या अनजाने में या किसी भी तरह के दबाव या डर, लालच, आवेश या तुनकमिज़ाजी में आपसे करवाया गया, वैसा ही कुछ-कुछ, बढे-चढ़े रूप में, आपके अपने साथ या आसपास हुआ। कौन थे, जो ये सब करवा रहे थे? और कौन थे, जो सावधान कर रहे थे?  

अगर मैं कहूं 

हर कदम, हर घटनाक्रम, एक नौटंकी है  

राजनीतिक पार्टियों की 

तो मैंने पुछा ही नहीं, की तुम क्या कहोगे?

क्यूँकि जिन्हें मालुम है 

वो हंस रहे होंगे, ये सोचकर

लगे रहो, इतना भी आसान नहीं 

आम-आदमी को ये सब दिखाना-समझना ?

ये गुप्त-गुप्त और महागुप्त सिस्टम। 


जिन्हें थोड़ा-थोड़ा मालुम है, शायद मेरी तरह 

वो जानने-समझने की कोशिश में होंगे 

जिन्हें बिलकुल नहीं मालुम, अभी तक भी 

वो तो शायद यही कहेंगे 

पागल है, पागल है, ये लड़की पागल है। (अपनी पसंद का गाना नहीं ये) 

अच्छा कौन-कौन पार्टी, किधर-किधर फैल रही है या कोशिश कर रही है? AAP दिल्ली के बाद पंजाब और साउथ भी। JJP कुछ वक्त से राजस्थान दिख रही है। और? कितना कौन पार्टी, किधर फैलने में कामयाब होंगी, ये तो वक़्त बताएगा। ये सब आप जानने-समझने की कोशिश करें और समझ आए तो मुझे भी बताना। 

उसके साथ-साथ इसपे भी, की अभी आसपास क्या चल रहा है ? कुछ भनक भी है?  

शायद वृन्दावन के फैलाव से लेकर, कुछ खास तरह की बीमारियों से जुझते लोगबाग? कुछ उड़ान के लिए तैयार, इधर या उधर? और कुछ, एक पैर इधर, तो दूसरा किधर? पता चले तो इसकी भी खबर देना।    

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