दिमागी खेल और इंसानों का रोबोट बनाना (Mind Games and Human Programming)
पहले स्तर पर वो हैं, जो ये खेल लिखते हैं या कहो दिमाग से ईजाद करते हैं।
दूसरे पे वो हैं, जो इन्हें लागु करवाने के लिए FILES आगे बढ़ाते हैं।
तीसरे स्तर पर FILES कुछ सीढ़ियाँ चढ़के या कुछ कदम चलके पास होती हैं या ऑफिस की शोभा बनती हैं, सालों-साल। शायद, फिर कभी दुबारा उठने के लिए या रद्दी का हिस्सा बनने के लिए।
चौथे या पांचवें स्तर पर वो कार्य सफल होते दीखते हैं या असफल।
हर पार्टी के पास अपनी Intelligence Wing है। जो दिमाग का प्रयोग कर वो सब लिखते हैं। मतलब किसकी फाइल चलेगी या किसकी नहीं, इसका युद्ध एक तरह से उस पार्टी की फाइल बनने के साथ ही शुरू हो जाता है।
कुछ स्तर पार करने के बाद वो होता है या नहीं होता, जहाँ तक पहले स्तर पर लिखा गया था? जितना जल्दी होता है, उतना सही उस पार्टी के लिए। न होने या इस युद्ध के निरंतर चलने का मतलब, उनमें हेर-फेर भी होते रहते हैं।
ये बिलकुल वैसे हैं, जैसे बच्चे मोबाइल या कंप्यूटर खेल-खेलते हैं। एक बाधा पार करके दूसरे स्तर पे पहुंचे। दुसरे स्तर को पार कर तीसरे, चौथे, पांचवें, छठे। आसान खेल छोटे बच्चों के लिए। थोड़े और मुश्किल, उनसे बड़े बच्चों के लिए। और ऐसे ही, जटिल और जटिल होता जाते हैं, ये खेल।
यही व्यवस्था (system) और राजनीती है। सब इसके इर्द-गिर्द घुमता है।
समाज इसी व्यवस्था और राजनीति का आईना है। इसमें आम इंसान कहाँ है? ढूँढ़िये, अपने आप को इसमें। हैं क्या कहीं? कुछ होता है, इसमें आपके या आपकी मर्जी के अनुसार?
जैसे-जैसे, इन खेलों के स्तर इधर-उधर होते हैं, वैसे-वैसे इनके समान्तर केसों में बदलाव और उतार-चढाव। जैसे-जैसे कुर्सियों की खिंचातानी बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे सामान्तर केसों की पेचिदगियाँ। सबसे ज्यादा खिंचतान कहाँ बढ़ती है? जब किसी फाइल्स के इलेक्शन होते हैं। फाइल्स के भी इलेक्शन होते हैं? फाइल्स के ही इलेक्शंस होते हैं, क्यूंकि अलग-अलग पार्टी की अलग अलग फाइल्स होती है। अब वो इलेक्शंस कैसे होते हैं? आम-आदमी हिस्सा लेता है क्या उनमें? हाँ ? तो कैसे? ये जानना अहम् है।
जिन फाइल वालों ने यहाँ-वहां की चैट उठायी, उनके देशों में Paper Ballot होंगे। कौन-कौन से देश हैं ऐसे? अमेरिका? इंग्लैंड? फ्रांस? जर्मनी?
और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग-मशीन, कहाँ-कहाँ प्रयोग में होती है ? भारत? और? चलो ढूंढ के बताओ।
अररे, ऐसे कैसे? इतने विकसित देश, आज भी Paper Ballot प्रयोग कर रहे हैं? और भारत जैसा देश, जहाँ आधी से ज्यादा आबादी आज भी तक़रीबन अनपढ़ है, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग-मशीन? क्यों? कुछ तो झोल है? नहीं?
सोचिए क्या झोल है, या हो सकता है? और इस सबका Human Programming या इंसान को रोबोट बनाने में कैसे प्रयोग हो सकता है? जानते हैं, आगे किसी पोस्ट में।
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