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Tuesday, June 20, 2023

राजनीतिक रंगमंच और किसान-रोबोट्स ?

सोचो आपकी जिंदगी ठीक-ठाक चल रही हो। बीवी हो, बच्चा हो, घर हो, और गुजारे लायक संसाधन भी। और क्या चाहिए? और धीरे-धीरे या शायद अचानक से जिंदगी, जैसे कोई धोखा दे जाए? आपको लगे की जिंदगी के उसी मोड़ पे पहुँच गए, जहाँ सालों पहले थे? या शायद उससे भी थोड़े बुरे या भले पे? फिर से कोई शुरुआत करना? कितना आसान और कितना मुश्किल?   

आपको लगने लगे --  

भाड़ में गया लगने लगे। हकीकत जानने की कोशिश करो, तो शायद बेहतर रस्ते नज़र आएं। जहाँ फिर से लोगों की कटपुतली बनने की बजाय, कम से कम, थोड़ा-बहुत तो अपने दिमाग से चलो। 

किसान-रोबोट्स

खेती करनी है? किसने बोला? कोई रस्ता ही नजर नहीं आ रहा? जो दिखाना चाहता है, वहां शायद देखना नहीं चाहते? क्यों? बस बड़ा-सा जाल यही है। यही वो जाल है, जिससे बचने की जरुरत है। सोचो, खेती से अगर गुजारा नहीं है, तो ऐसे लोग क्यों उलझाए रखते हैं, बेरोजगारों को खेती के झांसे में? या बेहतर तरीके क्यों नहीं बताते? आप कहेंगे की बताता कौन है? कोई रस्ता नहीं होता, शायद तब करते हैं। हकीकत इसके विपरीत है। बेरोजगारों को यहाँ जो रस्ते दिखाए जाते हैं, वो पार्टियों द्वारा अपने कुत्ते पालने जैसा होता है, बस। ये तक पार्टी निर्णय करती हैं की कौन खेती करेगा (दुसरे काम धंधों पे भी लागु है) और कौन नहीं। क्या उगायेगा, क्या नहीं। मजदुर कहाँ से आएंगे, कब मिलेंगे और कब नहीं। कौन-कौन से खेती के व्हीकल्स या औज़ार खरीदेगा और कौन से नहीं! शायद आप सोच रहे हों की ऐसा कैसे संभव है? ऐसा हो रहा है या कहना चाहिए किया जा रहा है। तभी तो मानव रोबोट्स बोला है। 

ऊपर लिखे ज्यादातर वो उदहारण हैं जिन्हें मैं यूनिवर्सिटी कैंपस के घर पे जाँच-परख चुकी। यहाँ तो बस देखना-पढ़ना भर काफी था, उसी वयवस्था को आगे समझने के लिए। किस दिन, किस नाम का मजदुर मिलेगा। कहाँ पे मिलेगा और कहाँ नहीं। D Park या Labour Chauk?  उसका नाम क्या होगा? वो कहाँ से होगा? यहाँ कहाँ रह रहा होगा? कितने पैसे माँगेगा। आपके घर में क्या-क्या लगा है? क्या-क्या बदलने की कोशिश होगी? या खत्म करने की या टिका रहने देने की । छोटे-मोटे गार्डनिंग के औज़ार क्या हैं? वो भी गुम जाएंगे? या बदल दिए जाएंगे या रहने दिए जाएंगे? 

ये बागबानी (Gardening) या खेती (Farming) तक ही सीमित नहीं है। बल्की चपड़ासी, सिपाही, मजदूर से लेकर प्रधानमंत्री तक ऐसा ही है। किसी भी राजनीतिक सतरंज या रंगमंच को समझने के लिए और उसके बारे में अपनी या किसी भी जगह की जानकारी प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका है, ये जानना की वहां कौन-कौन हैं और कौन-कौन से पद पे हैं। नाम क्या हैं, कहाँ से हैं वैगरह-वैगरह। आज के वक़्त में काफी जानकारी सरकारी Websites पर भी मिल जायेगी।  

सोचो, अगर इतना कुछ सतरंज की तरह बिछाया हुआ है चारों तरफ, तो सामान्तर केसों को घड़ना कितना आसान या मुश्किल है? ये सब रिश्तों में भी हो तो? हो तो रहा है। जिस घर में या रिश्ते में जितनी ज्यादा फुट, उतना ही आसान है उसे तोडना, मरोड़ना, बदलना या खत्म करना।  और अगर फुट न हो तो फुट डालना भी बहुत मुश्किल नहीं है, खासकर आज के टेक्नोलॉजी के युग में। उसका पहला तरीका होता है दूर कर देना या किसी भी तरह की दूरियाँ पैदा करना। कैसे के तो तरीके बहुत है। अपने आसपास को ही जानने की कोशिश करो। शायद बहुत कुछ समझ आ जाए। इसीलिए शायद इन सबको मानव रोबोट कहना गलत नहीं होगा।   

मानव रोबोट बनते कैसे हैं? जानते हैं, इसे भी किसी अगली पोस्ट में।  जादु ? कोई जादू-वादु नही है।  Surveillance Abuse (निगरानी के तरीकों का गलत प्रयोग) और अलग-अलग विषयों की जानकारी -- खासकर विज्ञान की अहम् है ।   

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