Happy Go Lucky Kinda Stuff! Curious, atheist, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel.
Writing is drug, minute observer, believe in instinct, in awesome profession/academics.
Love my people and my pets and love to be surrounded by them.
Talisman, Amulet Energy/Magic तावीज, ताबीज़ ऊर्जा या जादु
Totem प्रतीक या चिन्ह
Immersive Technology के जादू हैं ये।
योगा या उपासना करना? प्रभु का नाम लेना? और भी कितने ही ऐसे नाम दे सकते हैं, इन तकनीकों के संसार को? उनका, आपकी संस्कृति से क्या लेना-देना है ?
एक ऐसे संसार में पहुँच जाना, जो हकीकत के थोड़ा दूर हो, थोड़ा मुश्किल लगे जहाँ असलियत में जाना। मगर फिर भी संभव हो। क्या-क्या तरीके हो सकते हैं, ऐसे संसार में पहुँचने के?
सपनो की दुनिया ?
आ चलके तुझे मैं लेके चलूँ ?
डूब के जाना है और आग का दरिया है ?
लकड़ी की काठी, काठी पे घोड़ा ?
आओ भगवानों और उनकी दुनियाँ के दर्शन करें --
भगवान क्या करता है?
सुख-शान्ती, धन-दौलत देता है? दुखों से दुर रखता है या दुखों को दूर करता है? या सिर्फ़ भर्म? जब कोई और सहारा नहीं दिखता, तो इंसान उसे खोजने लगता है, जो सहारा बन सके? शायद कुछ-कुछ ऐसा ही?
Virtual Reality (VR)
Augmented Reality (AR)
Mixed Reality (MR)
शिक्षा, स्वास्थय, घर, ऑफिस, परिवहन, खेलकूद, मनोरंजन, बाज़ार, खेती, राजनीति, रिस्ते-नाते, न्यायपालिका या कोई और नाम लो और पता चलेगा की कुछ भी इससे अछुता नहीं है। हर जगह, इन तकनीकों का प्रभाव है। हर किसी और चीज़ की तरह, इनके भी अच्छे और बुरे दोनों पहलु हैं। जानते हैं, आने वाली पोस्ट्स में एक-एक करके उन अच्छे और बुरे पहलुओं के बारे में। आपके अपने आसपास घटित कुछ चमत्कारों (?) या दुर्घटनाओं के उदाहरणों के साथ। शायद आपको समझ आ सके की कौन, कैसे-कैसे और क्यों, आपको मानव रोबोट्स की तरह प्रयोग कर रहा है?
ये वो दुनियाँ है, जिसमें काला-जादु, धोला-जादु, हरा-जादु, लाल-जादु, नीला-जादु, पीला-जादु और भी न जाने, कैसे-कैसे जादु संभव हैं। ये तकनीकें मिलजुलकर, आपके मन-मस्तिक को अपने कब्जे में लेती हैं। एक तरह की Mind Programming करती हैं। क्युँकि, इंसान जो कुछ भी करता है, वो उसका दिमाग करवाता है। अब दिमाग में क्या है? क्यों है? कहाँ से आया है या यूँ कहो की कहाँ-कहाँ से लाया गया है? और कैसे-कैसे डाला गया है, आपके दिमाग में ?
अगर इतना-सा समझ आ गया तो ये भी समझ आने लगेगा, की आदमी को राक्षस और राक्षस को आदमी बनाना कितना मुश्किल या आसान काम है ? और हम जिस सिस्टम का हिस्सा हैं, वो सिस्टम हमारे साथ क्या-क्या कर रहा है? वो भी हमें अँधेरे में रखकर या धोखे से बेवकूफ बनाकर या हमें सही-सही जानकारी देकर?
उस सिस्टम में दुनियाँ की बड़ी-बड़ी कंपनियों का अहम् हिस्सा है, जो सत्ताओं को इधर से उधर पलटने के खेल रचती हैं और खेलती हैं । जो शेयर बाजार को अपने अनुसार ढालने और बदलने के खेलों में अभ्यस्त हैं। मगर, आम-आदमी को वो जितनी तरह से और जितना निचोड़ती हैं, उसका कितना हिस्सा वो उस तक पहुँचाती है? ये किसी भी समाज की गरीब और अमीर के बीच की खाई के अंतर को समझ के समझा जा सकता है।
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