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Sunday, June 25, 2023

मेरा वश चले तो

 मेरा वश चले तो 

हर मंदिर-मस्जिद,

गिरजाघर-गुरूद्वारे की जगह, 

हर हुक्का बैठक, 

और शराब के ठेके की जगह, 

एक पुस्तकालय बना दूँ 

और रख दूँ वहाँ 

वो सब किताबें, वो सब ज्ञान 

जो आम-आदमी को बनाये 

मस्तिष्क से करे बलवान  

सिर्फ भर्म से नहीं।  


मेरा वश चले तो 

हर खाली पड़े मकान, दुकान, 

सरकारी या गैर-सरकारी संस्थान में, 

एक पुस्तकालय बना दूँ  

जहाँ सिर्फ किताबें ही न हों 

बल्कि नयी-नयी तकनीकों का 

सुलभ हो जाए, आमजन को ज्ञान। 


मेरा वश चले तो 

हर खाली पड़े प्लॉट, जमीन-जायदाद को- 

बदल दूँ, एक उद्यान में, बाग़ान में, 

जहाँ हरियाली हो, शुद्ध हवा हो 

खुला-खुला सा, आसमां हो  

कंक्रीट जालों से बाहर, आमजन को साँस मिले 

चहल-पहल रहे जहाँ पक्षियोँ की 

टहल-कदमी बच्चों की, बुज़र्गों की, युवाओं की। 


मेरा वश मतलब, आप-सबका, आमजन का वश है। 

आपका आसपास कैसा हो, ये आपके अधीन है 

सरकारों का इन सबसे लेना देना, सिर्फ खाने-पीने 

या आमजन को निचोड़ने तक ही होता है शायद। 

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