आप व्यस्त कहाँ है? यही सब आपकी सफलता या असफलता निर्धारित करता है। हालाँकि सफलता और असफलता के अलग-अलग लोगों और अलग-अलग समाज के लिए, अलग-अलग पैमाने हो सकते हैं। मगर कुछ तो सब जगह एक समान होगा। वो है आम जरुरत के संसांधन, शांती और आगे बढ़ने के मौके।
आओ दो अलग-अलग तरह के माहौलों पे गौर फरमाते हैं। शायद दोनों ही आपके इधर या उधर हों। आपके आसपास या शायद थोड़ा दूर हों। आप उनमें से किधर का हिस्सा हैं?
ये सब उनके लिए शायद, जो कहते हैं की हमने तो बहुत किया अपने बच्चों के लिए। मगर फिर भी नालायक निकले। खासकर, गाँवों में ऐसे-ऐसे नालायकों की फौज की फौज होती हैं। जिनके बच्चे सफल होते हैं और जिनके नहीं होते, जिनके घर अक्सर शांत रहते हैं और जिनके अक्सर लड़ाई-झगड़े के घढ़, उनकी अगर तुलना करोगे तो काफी कुछ समझ आएगा। ऐसे घर भी, जो किसी वक़्त काफी शांत रहे हैं, और किसी वक़्त झगडे और लड़ाई के घढ़। मतलब, एक ही घर के भी,अलग-अलग तरह के वक़्त हो सकते हैं। अपने ही घरों की उन अलग-अलग परिस्थितियों को जानने-समझने की कोशिश करेंगे, तो बहुत कुछ समझ आने लगेगा, की ऐसा क्यों?
अगर ज्यादातर घरों को दो तरह के घरों में बाँट दें, शांत और अशांत। तो फर्क शायद ये देखने को मिलेगा की शांत घर के लोग आपस में वक़्त ज्यादा बिताते हैं। बजाय की बाहर वालों के साथ। एक साथ खाते-पीते हैं। एक-दूसरे के भले-बुरे में साथ खड़े होते हैं। अगर वो दूर-दूर रह रहे हों तो भी आपस में बातचीत तकरीबन रोज होती मिलेगी या कोशिश करते होंगे, जितना ज्यादा एक-दूसरे के हालचाल जान सकें। या दूर बैठकर भी एक दूसरे के काम आ सकें। अशांत घरों में सबके अपने-अपने, अलग-अलग, ठिकाने मिलेंगे। एक-दूसरे के लिए वक़्त कम ही होगा। कोई इनके यहाँ, तो कोई उनके वहाँ मिलेगा। अब इनके और उनके यहाँ का माहौल ही इनकी ज़िंदगी की दिशा और दशा निर्धारित करेंगे।
अगर माहौल आगे बढ़ने के लिए उपयुक्त है, तो वो आगे बढ़ते मिलेंगे। अगर माहौल ही पिछड़ा और पीछे धकेलने वाला है, तो वो पिछड़ते और पीछे रहते मिलेंगे। मतलब, आप जहाँ-कहीं भी रहें, वहाँ का माहौल आपको और आपकी ज़िंदगी को बहुत प्रभावित करता है। एक माहौल आपको हर वक़्त कुछ नया और कुछ अच्छा सिखाता मिलेगा। वो भी बिना कोई ज्यादा मेहनत किए। तो एक माहौल, आपकी मेहनत पे भी पानी फेरता मिलेगा। थोड़ा बहुत सीखने के लिए भी, बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। एक माहौल आपको अपने आप शांत बनाता मिलेगा। और एक माहौल तू-तड़ाक, गाली-गलौच, मार-पीट की तरफ हाँकता। एक माहौल, आपको कुछ नया बनाने या सजाने-सवांरने और साफ़-सफाई की तरफ लेकर जाएगा। तो एक माहौल बने हुए को भी तोड़-फोड़ की तरफ।सुन्दर, साफ-सुथरे को भद्दा बनाने में व्यस्त मिलेगा। एक माहौल, आपको उड़ना सिखायगा, आपके सपनों को पंख देता मिलेगा। तो दूसरा जकड़ना, बाँधना, जेल जैसे। कुछ तो ऐसे-ऐसे धन्ना सेठ भी मिल जाएंगे, जो शायद अपने दामादों के बारे (कोई और रिस्ता भी हो सकता है) कहते मिलें, "गले मैं मोटी चैन यूँ अ ना डाल रखी।" पैसे का इतना गरूर? आग लगा दो, ऐसे भीख (gift?) के सोने को। ऐसे लोग शायद फिर कहीं न कहीं, अपने ही बच्चों की खुशियों का भी गला घोटते मिलें। ऐसी-ऐसी, और जाने कैसी-कैसी, शानो-शौकत के चक्कर में? अमीर-गरीब या शायद ऊँच-नीच के भेदभाव में? या शायद वक़्त, उन्हें भी विनम्र होना सीखा देता है? वक़्त हमेशा एक जैसा कहाँ रहता है? इसलिए, शायद सही रहता है, दोनों तरह के वक़्तों में थोड़ा स्थिर रहना। अपने अच्छे वक़्त में किसी और को नीचा दिखाने की कोशिश ना करें और बुरे में, किसी के ज्यादा दबाव में ना रहें।
आप अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी में कहाँ व्यस्त हैं, उससे आसानी से पता किया जा सकता है की आप आगे बढ़ने में व्यस्त हैं या पीछे। आओ अलग-अलग माहौलों को अपनी दिनचर्या से जानते-समझते हैं।
आपको किसी ने बोला यहाँ पत्थर या रोड़ा रखना है? और आपने रख दिया? आपको किसी ने बोला, यहाँ खूंठा गाड़ना है? और आपने गाड़ दिया? आपको किसी ने बोला, यहाँ गोबर मचाना है? आपने मचा दिया? आपको किसी ने बोला, इस गाड़ी का पेंट उतारना है? पहिया बदलना है? पहिया पैंचर करना है? सीट फाड़नी है? इसका शीशा फोड़ना है? इसका साइड वाला शीशा उखाड़ना है या खराब करना है? कोई पेंच निकालना है? पेट्रोल निकालना है? इसकी बैटरी बदलनी है? इसके ब्रेक फेल करने हैं? इसको रगड़ लगानी है? या इसको ठोकना है? वो ऐसा इंसानों के साथ करने को भी बोल सकते हैं। और आपने कर दिया? आपको किसी ने बोला, यहाँ से ये बर्तन ले जाना है? कोई और वस्तु भी हो सकती है। ये डिब्बा ले जाना है और किसी और को देना है? इस कुकर की सीटी बदलनी है या खराब करनी है? इसका ढक्कन उठाना है और कहीं और छुपा देना है? ये बल्ब फोड़ने हैं? ये चकला फोड़ना है? उनकी छत पे टायर फेँकना है ? बोतल फेंकनी है? बीड़ी, सिगरेट फेंकनी है या उनका डिब्बा वहाँ-वहाँ रखना है? वहाँ माचिस रखके आनी है? उनके पानी में गोबर-कीचड़ या कुछ और डालना है? उनकी टंकी वाली टैप खोलके आनी है? यहाँ, यहाँ और यहाँ डंडा रखना है? या पिस्तौल जैसा कुछ या स्टेनगन जैसा कुछ रखना है? यहाँ नारियल सुखा के रखने हैं? यहाँ केले के छिलके फेंकने हैं? यहाँ पॉलिथीन गिरा के आने हैं? यहाँ काला पॉलिथीन रखना है? यहाँ सोडा की या शराब की खाली बोतल? यहाँ खराब हुए पैड या नैपकीन फेंकने हैं? इस काले तार की घुंडी का 9 या 4, 5, 6, 7 या कुछ और बनाना है? इन तारों का जीरो? इन तारों का V या Y, X, Z या K। और भी बहुत शब्द हैं, बनाने या घुमाने के लिए। इन तारों में बोतल लपेट दो? इन तारों को गली से नहीं लेके जाना। बल्की इस घर की खूंठी से गाँठ बांधके, उनकी छत से होके, वहाँ उसपे इतने पथ्थर रखके और उनके घर के आगे से लेके जाना है? चाहे गली से छोटा रस्ता पड़ता हो। यहाँ, यहाँ, सफाई नहीं करनी? यहाँ, यहाँ से कूड़ा नहीं उठाना? इसपे या उसपे ये, ये कमेण्ट्री करके जाना है? उसको ये, ये, भला-बुरा कहना या संकेत करना है या दिखाना है? और भी कितना कुछ ऐसा ही, आपके अपने घर में या आसपास में तो नहीं हो रहा?
तो सावधान। सामने वाले का तो पता नहीं, उससे क्या नुकसान होना है और क्या नहीं। आप और आपका आसपास जरूर तोड़फोड़ या उलटी-सीधी चीजों में व्यस्त है। वो जितना ज्यादा इस सबमें व्यस्त है, उतना ही ज्यादा, उन्हें पीछे धकेला जा रहा है। या गलत और बुरे प्रभावों वाले सामान्तर केसों का हिस्सा बनाया जा रहा है। आपके अपने यहाँ पिछड़ा और मारपिट का और आलतू-फालतू केसों का माहौल बनाया जा रहा है। और आपको खबर भी नहीं? ऐसे कैसे? जो भी आपसे करवाया जा रहा है, उसका मतलब है, "दिखाना है, बताना नहीं". मतलब, वो आपकी रैली पीट रहे हैं और आपसे खुद से पिटवा रहे हैं। उस सबको, वो इधर-उधर दिखा भी रहे हैं और बता भी रहे हैं। मतलब उसके मजे भी ले रहे हैं।
समझ में आया कुछ?
व्यस्त कहाँ हैं? कुछ और माहौल जानने की कोशिश करते हैं, आगे कुछ और पोस्ट में।
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