Diversity of Messaging
संदेशवाहक, गुप्तचर, भेदिया, विभिषण, गुप्तदूत, गुप्तचर? और भी कितने ही नाम हो सकते हैं ना? वो जो सब्ज़ी देने आते हैं। वो जो गुड़-शक्कर बेचने आते हैं। वो जो कटड़ा, भैंस बेच लो वाले आते हैं। वो जो बैडशीट बेचने आते हैं? वो जो शर्फ़ बेचने आते हैं? वो जो रद्दी लेने आते हैं। वो जो सूट बेचने आते हैं। वो जो झाड़ू, वाइपर बेचने आते हैं। वो जो चुन्नी बेचने आते हैं। वो जो शाल बेचने आते हैं। वो जो टीशर्ट, पायजामा बेचने आते हैं।
उसपे वो जो मंदिर में सुबह-शाम भजन सुनाते हैं। या कोई खास मैसेज बताते हैं। वो जो ट्रैक्टर-ट्राली, गाड़ी, झोटा-बग्गी या कोई और व्हीकल्स आते हैं। वो जो पेड़-पौधे बेचने आते हैं। वो जो किसी के घर या दुकान के बनाने का सामान लेकर ईधर या उधर जा रहे होते हैं। वो जो साफ़-सफाई वाले आते हैं। या कब-कब आना बंद हो जाते हैं। वो जो फलाना-फलाना जाती से कुछ बुजुर्ग महिलाएँ, जो अब काम-धाम करने की हालत में नहीं हैं, सिर्फ़ खाना या कपड़े वगरैह के लिए कभी-कभार आते हैं। वो जो चप्पल-जूते बेचने वाले या ठीक करने वाले आते हैं। वो जो कुकर, गैस चूल्हा ठीक करने वाले आते हैं।
वो जो, और भी कितनी ही तरह के पशु-पक्षी, कीट-पतंग, कीड़े-मकोड़े, सबके सब जैसे, संदेशवाहक कोई। आप जहाँ रहते हैं, उस सिस्टम की गवाही के। गुप्तचर या कोढ़ कोई, ठीक आपके सामने होते हैं। कुछ ऐसा बता रहे होते हैं, जिनका अर्थ या अनर्थ उन्हें खुद नहीं पता होता।
ये आपके आसपास के जीवन के बारे में और उनसे जुड़ी बिमारियों या रिश्तों की दरारों या कड़वाहटों, उनसे उपजे उत्पादों, कारकों के बारे में कितना कुछ बता रहे होते हैं? उनकी उत्पत्ति या प्रकिर्या के बारे में? और शायद उनके समाधानों के बारे में भी? कौन-सा जहाँ है ये? मुझे ये सब किसने और कैसे बताया? दुनियाँ के हर कोने में है, ये जहाँ। एक दुनियाँ के स्तर की बड़ी-सी लैब। जिसे जितने चाहो, उतने छोटे या बड़े स्तर पे अध्ययन के दायरे में रख सकते हैं। इससे भी मज़ेदार बात, ये लैब किसी भी विषय के लिए बंद नहीं है। जो चाहे, जिस विषय से चाहे या जिन विषयों की चाहे मिश्रित खिचड़ी (Interdeciplinery) पका सकता है। और अध्ययन कर सकता है। आप आर्ट्स से हैं तो आपको अपने लायक बहुत कुछ मिल जायेगा। विज्ञान से हैं तो भी। और अर्थशास्त्र से हैं तो भी। मर्जी आपकी की कैसे और क्या जानना चाह रहे हैं।
OSLO UiO
सोफ़े के कवर लो
गद्दे के कवर लो
मेज के कवर लो
मुझे बालकनी में देख ठहर गई वो। मेरी तरफ देखा, सोफ़े के कवर ले लो।
कहाँ से हो?
सुनारियाँ चौक से
अरे आप कहाँ से आए हो?
रोहतक, सुनारिया चौक
अच्छा रहते हो वहाँ?
हाँ! झोपड़ी है।
वहाँ कहाँ से आए हो?
UP
सोफे के कवर ले लो
अरे मैं तो मेहमान हूँ यहाँ। ऐसे ही पूछ रही थी।
माँ आसपास होती तो सुनाती। पागल हो गई शुरू। किसी भी, कुछ भी बेचने वाले को रुकवाकर, पूछने लग जाती है। क्या मतलब हुआ, खामखाँ में? और फिर कोई भी कहानी घड़ देगी उसकी।
जैसे हरी-भरी टोकरी और गई भैंस पानी में? या "Don't Cross, Police Zone GAI Inspection"?
मतलब कुछ भी :)
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