Search This Blog

About Me

Media and education technology by profession. Writing is drug. Minute observer, believe in instinct, curious, science communicator, agnostic, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Tuesday, April 9, 2024

राजनीती और विज्ञान को अलग-अलग समझना क्यों जरुरी है? (Social Tales of Social Engineering 39)

जब अरविंद केजरीवाल जेल जा रहा होता है, तो भी कुछ खास संदेश दे रहा होता है। सिर्फ हाव-भाव से ही। मंच तो फिर, सब नेताओं का है ही, युद्धरण जैसे। 

 अभी दो-एक दिन पहले एक एंडी बड़बड़ावे था किम्मै?

वो के कहया करें?

भाई कस्सी ठाली? 

किसे न ते कही ए, अर हामने ठाली? मतलब कती अ ते ठाली?

 


बड़बड़ाने वाले को कोई दिखाना ये पोस्ट, की कहाँ-कहाँ और कैसे-कैसे, क्या कुछ, उसी वक़्त जाता है। जब हमें पता ना हो की क्या, कैसे और क्यों हो रहा है? और सामने वाले सुनना भी ना चाहें? तो इसे किस बीमारी के लक्षण कहते हैं? अनपढ़? गँवार? ना पढ़ेंगे और ना पढ़ने या पढ़ाने देंगे?

यहाँ ज़्यादातर लोगों तक ना इन इस ब्लॉग की पहुँच और ना ही किताबों की? ऐसा क्यों? बस इधर-उधर से उन तक जो पहुँचाया जाता है, जिस किसी फॉर्म में उतना ही जाता है। ये मीडिया घपला है? ब्लॉकेज घपला है ? या उससे भी आगे कुछ? जानते हैं आने वाली पोस्ट्स में।      

No comments:

Post a Comment