Search This Blog

About Me

Media and education technology by profession. Writing is drug. Minute observer, believe in instinct, curious, science communicator, agnostic, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Wednesday, April 10, 2024

आपका सिस्टम क्या है? और कैसा है? (Social Tales of Social Engineering 41)

आप कहाँ रहते हैं? और कैसे लोगों के बीच रहते हैं? 

कितना फर्क पड़ता है इससे? सारा फर्क इसी से पड़ता है। 

अगर आप ठाली लोगों के बीच हैं, जिनके पास करने-धरने को कुछ नहीं है। इतना तक नहीं की वो अपना काम ही खुद कर सकें या घर में ही कोई सहायता करते हों। तो मान के चलो, की आप बहुत ख़तरनाक लोगों के बीच हैं। ऐसे लोग खुद तो Use और Abuse होते ही हैं। अपने आसपास वालों को भी करते हैं, या करवाते हैं। इतने ठाली वाले लोगों का, भद्दी और बेहुदा राजनीतिक पार्टियाँ, बड़ी ही आसानी से दुष्प्रयोग करती हैं। 

मान लो, किसी घर या घरों को ख़त्म करना हो। उसमें ऐसे लोग, बड़ी अहम भुमिका निभाते हैं। वो भी ज़्यादातर युवा। पढ़े-लिखे शातीर और उसपे किसी भी तरह की खुंदक रखने वाले लोग, ऐसे लोगों को अपने कब्ज़े में कर लेते हैं। वो भी ज्यादातर दूर बैठे, कुछ सुरंगों के माध्यम से। अगर आप पढ़े-लिखे हैं, तो लोगों को आगे बढ़ाने का भी काम कर सकते हैं। मगर, भद्दी और बेहुदा राजनीती में ऐसा नहीं होता। वो जो उन्हें आगे बढ़ाने की बात करें, उन्हीं से दूर कर देते हैं। यही नहीं, ऐसे लोगों को उल्टे-सीधे कामों में भी प्रयोग करते हैं। और ज़्यादातर घरों में बेवज़ह के लड़ाई-झगड़े की वजह भी यही होते हैं। ज़्यादातर घरों को आर्थिक रुप से कमज़ोर रखने की वजह भी यही लोग होते हैं। मतलब, ये वो भद्दी और बेहुदा राजनीती है, जो समाज को आगे बढ़ाने का नहीं, बल्की पीछे धकेलने का काम करती है।       

No comments:

Post a Comment