राजनीती वो नहीं है जो आम आदमी समझता है। राजनीती हर तरह के ज्ञान, विज्ञान को मिलाकर एक खतरनाक और ज्यादातर असामाजिक तत्वों की मारकाट है। कुर्सियों के लिए। वर्चस्व के लिए। इसलिए राजनीती गरीब और आम आदमी, ज्यादातर मध्यम वर्ग के लिए नहीं है। एक ऐसा वर्ग, जो ज्यादातर अपनी राजमर्रा की जरुरतों में उलझा हुआ है। ये बगैर रुके, बगैर थके 24-घंटे चलने वाला खेल है। एक ऐसा खेल जो ज्यादातर, जो आप देख, सुन, पढ़ या अनुभव कर पाएँ, उसके परे चलता है। जो आप देख सुन, पढ़ या अनुभव कर पा रहे हैं, वो ज्यादातर राजनीतिक पार्टियों के एजेंडा होते हैं। जैसे आप अखबार पढ़ रहे हैं या टीवी या इंटेरनेट पे खबरें देख रहे हैं। तो अहम ये है की किस पार्टी का मीडिया देख, सुन या अनुभव कर रहे हैं? क्या आपको उनमें छुपे गुप्त संदेशों को पढ़ना और उसका सही-सही आँकलन करना आता है? नहीं। क्यूँकि, ज्यादातर आम आदमियों को पता ही नहीं होता की इस मीडिया को कैसे पढ़े, देखें, सुनें या अनुभव करें। कोई बड़ी बात नहीं, बहुत से बड़े-बड़े, पढ़े-लिखों को नहीं आता। मैं ये नहीं कहती की मुझे कोई खास आता है। मगर थोड़ा-बहुत जितना मुझे पढ़ाया, दिखाया, समझाया या अनुभव करवाया गया है, या मैंने खुद पढ़ना, समझना या देखना, सुनना शुरू किया है, खासकर, इन पिछले कुछ सालों में, शायद उतना-सा तो आपसे बाँटा ही जा सकता है।
जितना ज्यादा आपको राजनीती के पिछे छुपे ज्ञान, विज्ञान की जानकारी होगी, उतना ही ज्यादा आप इसके दुष्प्रभावों से बच पाएँगे। क्यूँकि, ज्ञान, विज्ञान के बिना राजनीती का अस्तित्व ही नहीं है।
तो किसी भी परिस्तिथि में आगे बढ़ने के लिए अहम राजनीती नहीं है, बल्की उसके पीछे छुपा ज्ञान और विज्ञान है। इसलिए राजनीती को सिर्फ़ राजनीती ना पढ़कर, राजनीती विज्ञान पढ़ें।
No comments:
Post a Comment