आप कहाँ पे हैं?
आप किस पोज़िशन में हैं?
क्या कर रहे हैं?
बैठे हैं? खड़े हैं? लेटे हैं? क्या काम कर रहे हैं? आपके साथ या आसपास कौन-कौन हैं? आपसे कितनी दूरी पर या कितना पास हैं? वो क्या कर रहे हैं? आपने क्या पहना हुआ है? या नहीं पहना हुआ है? जो पहना हुआ है, वो साफ़ है या गन्दा है? कब पहना था? आपके आसपास का तापमान क्या है? आपके शरीर का तापमान क्या है? उसमें किस वक़्त कितना हेरफेर होता है? आपका ब्लड प्रेशर क्या है? आपको कितना पसीना आता है या नहीं? कब आता है और कब नहीं? आप कितनी देर में नहाधो के बाथरुम से बाहर निकलते हैं? कितना हगते हैं या मूतते हैं और कितनी देर? आपके पसीने, पोट्टी, या मूत का रंग या कॉन्टेंट कॉम्बिनेशन कैसा होता है? आप पुरे दिन में क्या कुछ खाते या पीते हैं? कितनी बार और किस मात्रा में? आप कितनी बार ब्रश या गार्गलेस करते हैं या मुँह साफ़ करते हैं? अपने शशीर की हर तरह की साफ़-सफाई के लिए कैसे-कैसे और कौन कौन से उत्पादों का प्रयोग करते हैं? आपके यहाँ का हवा, पानी या खाना कैसा है? साफ है या प्रदूषित है?
आपको कौन-कौन सी बीमारी हैं?
आप कौन सी भाषा बोलते हैं? या कितनी भाषाओँ का प्रयोग करते हैं या जानते हैं? आपका बोलने का तरीका या लहज़ा क्या है? धीरे बोलते हैं, तेज बोलते हैं? आराम से बोलते हैं या गुस्सा करते हैं? सभ्य भाषा का प्रयोग करते हैं या गाली-गलौच भी आपकी भाषा का हिस्सा है? आप प्यार से बोलते हैं या डाँट-डपट के? किन्हें प्यार से बोलते हैं और किन्हें डाँट-डपट के? आपके यहाँ या आसपास झगड़ा भी होता है? किसका? क्यों? और किन बातों पे? आपका झगड़ा जुबानी बहस तक रहता है या मार-पिटाई भी अक्सर उसका हिस्सा होता है? अगर हाँ तो क्यों? और किसके या किनके साथ?
आपका पहनावा या वेश भूषा क्या है? कहाँ से लेते हैं या सिलवाते हैं?
आप कितने पढ़े लिखे हैं? क्या करते हैं? कितना वक़्त खाली बिताते हैं और कितना किसी काम-धाम में व्यस्त रहकर? कौन-से और कैसे कामों में आपका ज्यादातर वक़्त बितता है? अपने घर आसपास या रिश्तेदारों से या दोस्तों के कितना सम्पर्क में रहते हैं? कितना वक़्त अपने अहम रिश्तों को देते हैं? और कितना उससे बाहर के लोगों को? आप अपने या आसपास के लोगों का भला चाहते हैं या बुरा? किससे या किनसे खुंदक रखते हैं? कितना वक़्त उस खुंदक को देते हैं? कितना अपना या आसपास का भला करने में? खुद के लिए कितना वक़्त होता है? होता भी है, या नहीं होता? कितना वक़्त औरों को देते हैं?
आप कितना कमाते हैं? उसका कितना हिस्सा खुद पे खर्च करते हैं और कितना औरों पे? आप कितना आत्मनिर्भर हैं और कितना दूसरों पर निर्भर? या कितने दूसरे आप पर निर्भर? कितना आप औरों के काम आते हैं या और आपके काम आते हैं? आप लेते अधिक हैं या देते अधिक हैं? या कोई बैलेंस ही नहीं है? जिनके आप काम आते हैं, वो आपके कितना काम आते हैं? या जो आपके काम आते हैं, उनके आप कितना काम आते हैं?
इसमें और कितना भी जोड़ सकते हैं। वो सब भी जो खुद आपको या आपके अपनों को भी अपने बारे में नहीं पता। दुनियाँ जहाँ में दूर बैठे कितने ही लोग आपके बारे में इतना कुछ जानते हैं। क्यों? इससे उन्हें क्या फायदा? किसी भी आम आदमी के बारे में इतना कुछ जानना? वो भी इतनी बड़ी जनसँख्या के बारे में? क्या करते होंगे दुनियाँ के इतने सारे लोग, इतनी बड़ी जनसंख्याँ का डाटा इक्कट्ठा करके?
क्या ये सब सिर्फ़ Geolocation के बारे में है? या उससे आगे बहुत कुछ है?
इसीलिए कहा है। राजनीती को ज्ञान-विज्ञान से थोड़ा अलग करना होगा। वो राजनीती, जिसको आपने जाने-अन्जाने अपना हिस्सा बना लिया है या अपने घरों में घुसेड़ लिया है। या वो राजनीती आपकी जानकारी के बिना जबरदस्ती घुसी हुई है, उसे बाहर निकालो अपने घरों से, अगर अपना भला चाहते हो तो। गाँव आकर ये भी समझ आया की यहाँ की ज़्यादातर समस्याओँ की जड़ भद्दी और बेहुदा राजनीती है। इन लोगों के पास जो कुछ भी है, उसे Autoimmune Disorder की तरह खा रही है। घर वालों को आपस में लड़ा-भिड़ा के बाहर निकालो और अपने लोगों को उन घरों में घुसा दो। फुट डालो, राज करो। उसपे उनको हर तरह से लूट कर ऐसे दिखाओ, जैसे तुम्हारा भला कर रहे हैं।
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