About Me

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Tuesday, April 2, 2024

संदर्भ और सोच

क्या सोचते हैं, आप जब किसी भी शब्द के बारे में सोचते हैं?

निर्भर करता है की संदर्भ क्या है? 

F for? 

बच्चों से पूछोगे तो शायद वही, जो उन्होंने ABCD पढ़ते वक़्त सुना होगा?

किसी के लिए Fox? 

किसी के लिए Fly? 

Flight?

Fix?   

किसी के लिए Friend? 

दोस्त? यार अनमुल्ले?

बहुतों ने ऐसे-ऐसे और कैसे-कैसे गाने भी बहुत सुने होंगे :


यहाँ तक तो सब हल्का-फुल्का सा है। नहीं?

उसके बाद, कहीं ये शब्द तो नहीं सुने कहीं F*** Off?
ये कौन से जहाँ का हिस्सा हो गए आप?

उससे भी आगे चलके 
F Block? 

और फिर तो पता ही नहीं क्या और क्या? 
किसी धुर्त जोन में पहुँच गए लगता है, नहीं?


वक़्त और हादसों के तकाज़े कहें, Back Off? ये सिर्फ तुम्हारी ज़िंदगी का प्रश्न नहीं है। यहाँ कितनी ही मासूम ज़िंदगियों को न जाने कैसे-कैसे लपेट दिया गया है। 

इस वापसी में आप किसी Reflection पे, या मनन-चिंतन पे निकलें। और लगे की औरों के गढ़े गए अर्थों या अनर्थों पे ना जाकर, सिर्फ और सिर्फ अपने अर्थों को जी सकें। शायद ऐसे ही, जैसे कोई खास जगह, अगर बहुत ही आक्रामक खेलों के लिए जानी जाती है, तो उससे कहीं ज्यादा शायद शैक्षणिक माहौल, हरे-भरे, खुले और शाँत वातावरण, दीर्घकालिक सोच, संवेदनशीलता और मददगार व्यवहार, प्रेरक और प्रेरणादायक जिज्ञाषा, सामाजिक चेतना और आगे बढ़ाने की सोच के लिए। 

अब हर कोई खिलाड़ी तो नहीं हो सकता। इसलिए जरुरी है, की जिसकी जैसी रुचि हो, उसे उसी के अनुसार आगे बढ़ने के रस्ते देना। बजाय की अपनी सोच और रस्ते हर किसी पे थोंपना।  

दुनियाँ भर की यूनिवर्सिटी की सैर पे निकलना, ऑनलाइन ही सही, काफी मददगार रहा यहाँ तक समझने में। जबसे किसी खास मकसद से इस सैर पे निकली हूँ, तो इस जहाँ ने न सिर्फ सिखने को काफी कुछ दिया है, बल्की किसी खास किस्म के प्रतिध्वनी कक्षों (Echo Chambers) की भूमिका से भी अवगत कराया है। प्रतिध्वनी कक्षों की भूलभुलैय्या, जिसमें सच और झूठ वही होता है, जो वो आपको दिखाते, सुनाते या अनुभव कराते हैं। मगर तब तक, जब तक आप उसे फ़िल्टर करना नहीं सीख लेते। 

कुछ-कुछ ऐसे, जैसे जब भी कोई वेबसाइट आप खोलते हैं तो बहुत कुछ उसके प्रमोशन पेज पे मिलता है। ठीक वैसे ही, जैसे किसी क़िताब का जिल्द (cover page)। उसके अंदर क्या है, वो उस प्रमोशन पेज की हकीकत जानने का आईना हो सकता है। प्रमोशन इसलिए लिखा, क्यूँकि बहुत बार शायद, ऐसा कुछ मिल सकता है, जो सिर्फ कुछ वक़्त के लिए सच हो। शायद जब तक आप देख रहे हैं, तब तक के लिए। शायद कुछ वक़्त के लिए, जो वो सब प्रमोशन के लिए जरुरी है, सिर्फ तब तक के लिए। उससे आगे जानने के लिए, आपको उसके अंदर के पन्नों को खंगलना होगा। जिसमें अलग-अलग डिपार्टमेंट्स, फैकल्टी, स्टाफ़, स्टुडेंट्स या उनके बारे में जानकारी काफी कुछ बता सकती है। उसपे अलग-अलग वक़्त की जानकारी। और भी ज्यादा जानना है तो वहाँ रहना या उसका हिस्सा होना पड़ेगा। इसीलिए आज के वक़्त में सिर्फ शिक्षा जरुरी नहीं है, बल्की जो कुछ भी आपको परोसा जा रहा है, उसका सच जानना उससे भी ज्यादा जरुरी है। नहीं तो टेक्नोलॉजी के संसार की भूलभलैया में, आप बहुत ही आसानी से ईधर या उधर कर देने वाली, वो सबसे आखिरी लाइन वाली गोटी मात्र रह जाएँगे।     

ये सब कहाँ से आया?
Hovered over some such zones?  या कहुँ की ऑनलाइन किसी सैर के दौरान, ऐसा कुछ बताया या समझाया या अनुभव करवाया गया? Echo Chambers द्वारा? और फिर जो थोड़ा बहुत फ़िल्टर करने के बाद समझ आया। और आगे किसी पोस्ट में। 

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