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Tuesday, August 1, 2023

आभाषी दुनियाँ की सैर पे चलें? (1)

आओ आपको एक आभाषी दुनियाँ की सैर पे ले चलूँ 

उससे शायद थोड़ा बहुत समझ आये की मानव रोबोट बनाना कितना आसान या मुश्किल काम है?  

A के एक लड़का और एक लड़की है। RR

B के एक लड़की और दो लड़के है। SJN

AB थोड़ा पास पड़ते हैं क्युंकि बाप एक है। मगर माँ अलग-अलग हैं।  

C के एक लड़का है। S

D के चार लड़के हैं। VDSM

ABCD एक पीढ़ी है (Generation G1)

तो RR, SJN, S, VDSM हो गयी अगली पीढ़ी (G2)

ऐसे ही G3 और G4 होंगे। 

मान लो SJN में JN दो भाई हैं। कोई कहे N भाई वाले J वालों को खा जाएंगे। यहाँ मान लो, कोई कहे, अहम है। जरूरी नहीं हकीकत हो। मतलब आभाषी दुनियाँ। 

J के एक लड़की और दो लड़के V S P 

N के एक लड़की और एक लड़का A A   

SJN दूसरी पीढ़ी (G2) 

तो VSP और AA तीसरी (G3)

VSP और AA का कोई झगड़ा है क्या? 

ना। 

फिर JN का?

ऐसा भी कुछ नहीं। 

फिर?

ये किसकी घड़ी आभाषी दुनियाँ है? और कौन इसे हकीकत में बदलना चाहता है? 

राजनीति।

राजनीति का किसी ऐसे गाँव में पड़े, अनजान से, ऐरे-गैर-नथु-खैरों से क्या लेना देना? 

कोई कहे N नरेंदर है और J जय। 

तो?    

N मोदी पार्टी तो J विरोधी पार्टी?

कुछ भी। कहीं से, कुछ भी जोड़ो, तोड़ो, मरोडो और पेलो?

आभाषी दुनियाँ का मतलब ही ये है की कुछ भी। कहीं से, कुछ भी जोड़ो, तोड़ो, मरोडो और पेलो।

हकीकत की दुनियाँ वाले जितना इस आभाषी दुनियाँ को मानने लग जाते हैं, उतना ही वो सच होता प्रतीत होता है। जरूरी नहीं सच के आसपास भी हो। 

आभाषी दुनियाँ के सफर को आगे जारी रखते हैं, हकीकत जानने के लिए। और ये भी जानने के लिए की क्यों जरूरी है राजनीतिक पार्टियों की घड़ी हुई आभाषी दुनियाँ से बाहर निकलना।   

राजनीतिज्ञों की घड़ी ये आभाषी दुनियाँ आमजन हितैषी नहीं है। 

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