गुदड़ी के लाल
तेरा जन्मदिन
कौथ की चौथ सै?
अखबार आले सिपाही,
सौड़ आले फौजी ते
तेरा के झगड़ा सै?
चौराहे पे आपणा जिसा गेल खड़ा हो, हरामी
आती-जाती छोरियाँ ने नु कह सै
देख, तैरी भाभी चाली जा
बस?
तने वें ना सुने के
जो बालकां के पैदा होते ऐ कहन लाग जा सैं
फलाना-धमकाना का खसम पैदा हौगा
फलाना-धमकाना की लुगाई पैदा होगी
अच्छा, अर थामने वो सुना?
शुगर होरी सै
ना डायबिटीज बताई।
अरे, यो तो एक ए बात सै
लकवा मार रहा सै
नस रुकी बताई
कैंसर होगी?
ना पिलिया हो रहा बताया।
दस्त लाग रे सैं
ना कब्जी होई बताई
आस्थमा
गला खराब
चौराहै पे पाँ आगा
माता-धोकन जावां सां
राजनीतिक तड़के या बीमारियाँ?
राजनीति के इन खोतों के डॉक्टर भी बंट रहै सैं
इनके खेड़ी की दवाई लागय सै
अर, उनकै क सांघी आले की लागय सै
माहरै ते खाटू की धोक लाग्या करय
माहरै श्याम जी की
भाई माहरै तै, बालाजी का प्रसाद बटा करे
माहरै काली की धोक
अच्छा रै? माहरै ते हरे कृष्णा गाया करै
मैं ते पाठसाला आले मंदिर जाया करूँ
मैं ते कदे ते पंजाबियाँ आले
और घरां पे वें झंडे देखे?
तने छातां पे सोलर देखे?
राजनीतिक तड़को और फडकों की ये दुनियाँ
सच में कितनी अजब-गजब है!
शायद टोने-टोटकों को और ऐसे-ऐसे, राजनीतिक-खोटकों को जानना बहुत जरूरी है। अगर इन राजनीतिक तड़कों वाली बीमारियों से बचना है तो। धीरे-धीरे आएंगे इन सब पर भी। ऊपर जो कुछ लिखा है, या तो कहीं सुना है, या पढ़ा है।
वैसे टोने-टोटकों पे पीछे कोई गीत भी आया था शायद। मैं भूल गई, कोई याद दिला सके तो?
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