आओ बच्चो तुम्हें दिखाएँ, झाँकी हिंदुस्तान की
अरे नहीं ये तो पुराना हो गया ना?
तो आओ बच्चो तुम्हें दिखाएँ, झाँकी इस संसार की
वैज्ञानिक ले जाएंगे तुम्हें, Stand up commedy शो में
और बताएँगे
वो देखो कैसे M A N M O H A N बने PM
और K A L A M बने राष्ट्पति कैसे?
एक के पास थे, सोनिया-राहु
तो दुजे के पास?
मिसाइल-रॉकेट !
मगर कौन से वाले?
कैसे बने O B A M A, US के राष्ट्र पति?
और पुतिन टिके हुए हैं कैसे R U S S I A की गद्दी पे --
यूँ सालों-साल?
आओ बच्चो तुम्हें दिखाएँ, झाँकी इस संसार की
कैसे मिली M O D I को 2014 में
और फिर से 2019 में PM की कुर्सी ?
और कैसे बने RAM NATH KOVIND या MURMU DRAUPDI राष्ट्र- पति?
ये DONALD TRUMP या BI D EN कौन हैं ?
कौन हैं ये SUNAK RISHI?
क्या कोई लेना देना है इनका, MDU की कुछ फाइल्स से?
कैसे घुमता है सिस्टम का ये पहिया --
यूँ देश-विदेश में?
कौन और कैसे घुमाते हैं इन्हें, भला ऐसे?
कैसे होते हैं ये Elections?
कैसे हैं ये states और democracies?
क्या हैं ये ballot papers?
और क्या हैं elctronic voting?
कैसी हैं, ये लोकसभा और राज्यसभाएँ ?
कैसे हैं इनके सदस्यों के हिसाब-किताब की सीटें ?
कैसी-कैसी हैं ये पार्टियाँ?
करती हैं क्या-कुछ भला ये?
कहाँ-कहाँ से मिलता है, इन पार्टियों को पैसा?
और कहाँ-कहाँ होता है खर्च वो?
कैसे चुनती हैं, ये अपने उम्मीदवार?
और कैसे जितते या हारते हैं वो?
कैसे लेते हैं ये नीतिगत निर्णय (Policy Decisions)?
और कैसे होते हैं, अमल उनपे (Implemetations)?
क्यों रहते हैं कुछ इलाके, राज्य या देश पिछड़े --
इतनी प्रद्यौगिक उन्नति के बावजुद?
क्यों कुंडली मारे रहते हैं, कुछ घराने, कुछ समुदाय
बेवजह, बेहिसाब-किताब के फालतु संसाधनों पर ?
क्या आज भी राज है, राजे-महाराजों का?
या सच में जो इन किताबों में पढ़ाया जाता है, है सच वही?
आम आदमी का राज,
आम आदमी द्वारा,
और आम आदमी के लिए?
किताबें ही हों अगर झूठी
तो किसलिए ये बच्चों के भार से भी, भारी बैग?
और बेहिसाब-सी इतनी सारी किताबें ?
क्या देती हैं वो उन्हें अच्छी ज़िंदगी?
या साथ-साथ परोसती जाती हैं,
झूठ, धोखा और फरेब?
और छुपा जाती हैं, हकीकत कहीं गुप्त?
और बना देती हैं,
हल्की-फुलकी-सी ज़िंदगियाँ इतनी भारी?
गुप्त है ये सिस्टम
गुप्त इसके तौर-तरीके
जो पढ़ते-लिखते हो, वो सच भी है
मगर गुप्त तरीके से, गुप्त अर्थों के साथ
ना की उस अर्थ में, जो समझता है आम-आदमी
ज्यादातर उसके विपरीत अर्थ में, विपरीत दिशा में
आम-आदमी के अर्थ का अनर्थ करते हुए।
आओ बच्चो तुम्हें दिखाएँ, झाँकी इस संसार की
मुझे तो फिर भी कम मालूम है
आओ कुछ पते दे दूँ तुम्हें
जिन्हें मालुम तो काफी है
मगर छिपाए हुए हैं ऐसे, जैसे --
उनके बाप, दादाओं, पड़दादाओं, सड़दादाओं
और पता नहीं कैसे-कैसे, बुजर्गों के गुप्त नुक्से जैसे
दुनियाँ पे राज करने के, इस पहिए के घुमाव के।
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