सीधे रस्ते और घुमाऊ रस्ते में फर्क क्या है?
सीधा रास्ता आपको जल्दी कहीं पहुँचायेगा या घुमाऊ?
आम आदमी बहुत ही सीधा और सरल सोचता है। मगर राजनीती के खिलाडियों के पास ऐसा कोई रस्ता नहीं। क्यूँकि, वो जुआ है। खतरनाक जुआ। कोई भी पार्टी उस जुए को कैसे घुमाती है, ये सिर्फ वही बेहतर जानते हैं।
घुमाऊ रस्ते का मतलब बहुत ही टेढ़ा-मेढ़ा, उलझ-पुलझ और बहुत-कुछ छुपा हुआ है। इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं। आपके अपने कौन हैं? वो जिन्हें आप हकीकत में जानते हैं? जो आपके आसपास रहते हैं? जिनसे आप अक्सर बात करते हैं? जिनके आप अक्सर काम आते हैं या जो आपके काम आते हैं?
या वो जिन्हें आप किसी के द्वारा जानते हैं? जिनसे आप शायद ही कभी मिलते हैं? जो शायद ही कभी आपके आसपास होते हैं? आपका उनके या उनका आपके काम आना तो बहुत दूर की बात।
सामान्तर घड़ाईयाँ, इन्हीं टेढ़े-मेढ़े रस्तों और छुपम-छुपायियों की देन हैं। इसीलिए, इनमें राजनीती खुद आपको आपके अपने खिलाफ या आसपास के खिलाफ प्रयोग कर पा रही है।
Common Sense को भूलकर, जब आप स्मार्ट बनने या दिखने या दिखाने की कोशिश करते हैं, तो अक्सर धरे जाते हैं। या शायद ये भी कह सकते हैं की अपने दिमाग का जब आप थोड़ा-सा भी प्रयोग नहीं कर पाते, तो दिमाग का थोड़ा ज्यादा प्रयोग करने वाले, आपको अपना रोबॉट बना देते हैं। वो भी ऐसे, की आपको पता तक नहीं चलता की ऐसा हो रहा है।
मान लो आपको अपने घर से किसी जगह जाना है। तो एक तो होगा सीधा-सा रास्ता। और ढेरों होंगे उल्टे पुल्टे या टेढ़े मेढ़े रास्ते। कहाँ से जाएंगे आप? कौन सा रास्ता कम वक़्त लेगा और कम संसाधनों या पैसे में होगा? टेढ़ा मेढ़ा रास्ता कब प्रयोग करेंगे? जब सीधे रस्ते में कोई रुकावट हो? या रुकावट ना हो और किसी के कहने पर बेवकूफ बन गए हों? या किसी ने थोड़ी देर की कहीं रुकावट कर, आपको घुमाने के लिए या तंग करने के लिए ऐसा कर दिया हो। समझदार भी एक-दो बार तो बेवकूफ बन सकता है। मगर पता लगने के बावजूद कितनी बार? सामान्तर घड़ाइयों में खास है, झूठ, धोखा, हकीकत से दूर दिखाना या बताना, छुपम-छुपाई और फूट डालो, राज करो।
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