एक ही सिक्के के दो पहलु जैसे?
एक झाँकी भारत की, जो राजपथ पर निकलती है
और, एक जो इलेक्शंस में, पुरे भारत में।
एक जो ताकत दिखाती है
या दिखाती है, सिर्फ वो?
जो राजे-महाराजे दिखाना चाहते हैं?
सिर्फ देशवासियों को ही नहीं
बल्की, दुनिया भर को?
और एक झाँकी जो,
अपने आप निकल जाती है
और दिख जाती है।
जो पहुँचाती है
अपने चुनींदा (?) नेताओं को
खुद पे राज करवाने के लिए?
और लूटने-पीटने के लिए?
अगले पाँच साल, सत्ता की चाबी थमाकर?
और उसका चाबुक हाथ में देकर
अपना ही बक्कल उधड़वाने के लिए?
या अपनी सेवा करवाने के लिए?
ये किस चिड़िया का या कबूतर का, या खोसला का घौंसला है भई?
ये खँडहर-सी दुकाने और नेतागण अपने गरीबों के बीच?
इतने गरीब?
कहाँ वो ऑक्सफ़ोर्ड वाली फोटो और कहाँ ये?
एक ही संसार में, कितनी ही तरह के जहाँ?
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