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Happy Go Lucky Kinda Stuff! Curious, atheist, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Writing is drug, minute observer, believe in instinct, in awesome profession/academics. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Sunday, June 16, 2024

It's Update Stupid? 1

आप अपडेट से क्या समझते हैं?

up to date? या UP, उत्तर प्रदेश? या UK? ओह हो! कहाँ पहुँच गए आप? वो ऋषि सुनाक वाला UK? United Kingdom? घनी दूर पहुँच गए। उत्तराखंड ना जानते के? बोले तो? कुछ भी? क्यों? उत्तरा खंड? Uttra Khand? ऐसे-ऐसे, उलूल-जुलूल को ही update होना बोलते हैं? शायद?

अच्छा? कौन सा मोबाइल है आपके पास? तरो ताजा है या बासी? Apple? Samsung? Vivo? या कोई और? उनमें भी नए वाला है या पुराने वाला मॉडल? 

वैसे नए या पुराने मॉडल से फर्क क्या पड़ता है? आपको? और कंपनी को? नए मॉडल में कोई ऐसा फीचर है, जो आपको चाहिए? जरुरत है उसकी आपको? या पता ही नहीं की उसमें क्या खास है? कम्पनियाँ ऐसे ही पैसा बनाती हैं? अगर नया माल मार्केट में नहीं लाएँगी, तो कमाएँगी कैसे? ये मार्केट के रुल हैं। सुना है, यही बाजार-सा, शेयर बाजार या स्टॉक मार्केट? हेरा-फेरी करके अपना माल बेचना। वैसे हेराफेरी मूवी देखी हैं? आम आदमी को लूटना जैसे। ऐसे भी और वैसे भी। ऐसी-ऐसी चीज़ें बनाकर, जिनकी उन्हें जरुरत ही ना हो। फोन, कार, लैपटॉप और कितने ही उत्पादों से इस update वाले सिस्टम को समझा जा सकता है। यही जरुरतें हमें, ज्यादातर खामखाँ की जरुरतें, चूहा-दौड़ का हिस्सा बनाती हैं। हम ऐसे-ऐसे उत्पाद तब भी खरीदते हैं, जब हमें इनकी जरुरत ना हो। अब मोबाइल ही लो। आपमें से कितनों को जो मोबाइल आपके पास है, उसकी सही जानकारी तक है? क्या-क्या है, उस मोबाइल में? कौन-से नए फीचर्स हैं, जो आपको चाहिएँ? अगर पता ही नहीं या जरुरत ही नहीं तो खरीदा क्यों? कम्पनियाँ तो बनाएँगी, क्यूँकि नहीं तो वो चलेंगी कैसे? मुझे भी नहीं थी, ज्यादातर लोगों की तरह। 2-4 साल पहले थोड़ा बहुत जानना शुरू किया था। अभी थोड़ी-सी है शायद। काफी कुछ जानना बाकी है, अभी।    

नए-नए उत्पादों और बाजार का आपस में क्या लेन-देन है?  

क्या आपको हर नया उत्पाद चाहिए? नहीं ना? मगर बाजार को? या इन उत्पादों को बनाने वाली कंपनियों को?

नए उत्पादों का, बाजार का और सरकारों का एक दूसरे से क्या लेना-देना है?    

अलग-अलग पार्टियों के सम्बन्ध, अलग-अलग कंपनियों के साथ? अलग-अलग पार्टी की उत्पादों की पसंद भी अलग-अलग? वैसे ही जैसे, हर इंसान की अपनी-अपनी पसंद होती है। सबको एक ही चीज़ पसंद कहाँ आती है? एक घर में ही ऐसा नहीं होता। 

तो क्या आपकी वो पसंद हो सकती है, जिस राजनीतिक पार्टी को आप पसंद करते हैं? या जिस किसी कंपनी या ब्रांड को पसंद करते हैं, उसका हर एक उत्पाद तो पसंद नहीं करते ना? और लेते भी नहीं? 

या राजनीतिक पार्टियों का कंपनियों से नाता, उससे कहीं ज्यादा होता है?

क्या हो अगर आपपे कोई वो पसंद या उत्पाद थोंपने लगे? 

थोंपती तो है हर कंपनी, अपने-अपने विज्ञापन के जरिए। वो अलग बात है, की वो उसमें कितना सफल हो पाते हैं और कितना नहीं। सिर्फ विज्ञापन के जरिए? या बहुत से गुप्त तरीकों से भी?

कम्पनियाँ सिर्फ थोंपती ही नहीं या कोशिश ही नहीं करती, बल्की आपकी पसंद और नापसंद बनाने का काम भी करती हैं। कैसे? ये अपने आप में बहुत बड़ा विषय है। 

कम्पनियाँ या राजनीतिक पार्टियाँ, ना सिर्फ आपकी पसंद और नापसंद बनाने का काम करती हैं या आपको अपनी जरुरत के हिसाब से इधर या उधर धकेलने की कोशिश करती हैं, बल्की अपनी वक़्त के हिसाब की जरुरतों से आपको और आपके आसपास को, आपकी जानकारी के बिना update भी करती हैं। ऐसे ही जैसे, किसी सॉफ्टवेयर के अपडेट या हार्डवेयर के अपडेट। और इस अपडेट में, पता है क्या-कुछ आता है? वो सब, जो आप देख, समझ और सोच सकते हैं। सॉफ्टवेयर अपडेट, मतलब आपके दिमाग से शुरू करते हैं। ऐसे ही सामान्तर घड़ाईयाँ संभव हैं। ठीक ऐसे, जैसे कोई मानव रोबॉट बनाना।  

आपके रिश्ते नातों से लेकर, बीवी, बच्चों, माँ, बाप, भाई, बहन से लेकर, आपके घर और उसमें सामान से लेकर, आपकी वित्तय स्तिथि से लेकर, आपकी या आपके आसपास की बिमारियों और जन्म और मरण तक। इसमें बहुत कुछ, ना आप पसंद करते, ना आप चाहते ऐसा हो, मगर फिर भी आप पर और आपके आसपास पर थोंपा जाता है। 

राजनीती, सिस्टम और कंपनियों के ऐसे-ऐसे और कैसे-कैसे अपडेट की, आपको और आपके समाज को जरुरत नहीं है। इधर ये राजनीतिक पार्टी कर रही है, तो उधर वो। और कहीं तो मिलीभगत ऐसी, जैसे सारी पार्टियाँ एक साथ लगी पड़ी हों? वैसे ही जैसे, एक होता है डिफेंस मिनिस्टर, बड़े लोगों के कांडों पे पर्दों के लिए या जैसे-तैसे डिफेंस करने के लिए? और एक होते हैं, समझौते? कहीं ये डिफेंस फ्रंट और कहीं वो? मगर, इनमें से बताता आपको कोई नहीं, की वो आपके अपने बनकर भी कैसे-कैसे लूट रहे होते हैं?  

फिर भी कोई तो होगा या होंगे जो आपको इन सबसे अवगत करा सकें या शायद कहीं ना कहीं करा रहे होंगे? कौन हैं वो? सिस्टम की समझ रखने वाले लोग? टेक्नोलॉजी और राजनीती या बाजार की मिलीभगत की समझ रखने वाले लोग? या शायद खुद सिस्टम ही, हर स्तर पे, अपने आप जैसे? जितना उन्हें जानो-समझोगे, ज़िंदगी उतनी ही आसान और आपका आसपास उतना ही समृद्ध होगा। 

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