जैसे पहले भी कहा, की हर अपडेट हर इंसान के लिए जरुरी नहीं है। ना ही हर समाज के लिए। बहुत-सी अपडेट सिर्फ गैर जरुरी ही नहीं हैं, बल्की जुर्म हैं। जोर-जबरदस्ती या गलत तरीकों से, धोखाधड़ी या गुप्त तरीकों से थोंपी हुई भी हो सकती हैं। जिसमें आपको फायदा दिखाया गया हो, मगर, हो नुकसान। बहुत-सी रिश्तों की गड़बड़ या बीमारियाँ ऐसी ही हैं। जो असल में हैं ही नहीं। बल्की गुप्त और गलत तरीकों से ऐसे दिखाई या समझाई गई हैं, की वही हकीकत है। लेकिन
जो गुप्त है या जिसका आपको ज्ञान ही नहीं है, उसे जानें कैसे? पहचाने कैसे?
ये जानना सिर्फ आम-आदमी के लिए ही नहीं, बल्की अपने-अपने विषयों के जानकारों के लिए भी जान पाना मुश्किल हो सकता है। जैसे आसपास कई बिमारियों और मौतों को जानकार ऐसा लगा, की ये सब अपने आप नहीं हुई, बल्की किया गया है। यहाँ जिनकी बात हो रही है, वो ना सिर्फ बहुत गरीब हैं, बल्की उन घरों में कोई खास पढ़ा-लिखा भी नहीं है। तो बहुत-सी चीज़ें करने वालों के लिए आसान हो जाती हैं।
मगर ऐसा-सा ही या कहो ऐसे-से ही केस, आपको फिर समाज के अच्छे-खासे, पढ़े-लिखे, मध्यम वर्गिय या अमीर घरों में भी नजर आने लगें तो? कुछ में तो ऐसे केसों में भी, जहाँ घर-परिवार, दोस्त-रिस्तेदार, प्रोफेसर, डॉक्टर या वैज्ञानिक हों। और वो खुद या उनके बच्चे बाहर देशों में बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटीज या हॉस्पिटल्स में। ध्यान आ रहे हैं, कोई multi organs failures? उसपे ज्यादा कुछ नहीं हुआ हो, हल्का-फुल्का सा बुखार जैसे। या heat strock जैसा-सा कुछ और लगे ये तो कोई खास नहीं है। 2-4 दिन में ही ठीक हो जाएगा। और पता चले बुखार कौन-सा था, यही नहीं पता चला या heat strock जैसा-सा था, मगर इतनी गर्मी में तो गए ही नहीं। और कुछ दिनों या हफ्ते बाद इंसान ही गया? उन्हीं विषयों के महारथियों के सामने? बस देखते-देखते ही? शायद, अब समझ आ रहा हो उन लोगों को, की क्या हुआ होगा?
गरीबों के केसों में हकीकत में ऐसी स्तिथियाँ पैदा करना बहुत मुश्किल नहीं है। यही ना? तो पढ़े-लिखे, उसपे कढ़े हुए लोगों के बीच तो और भी बहुत कुछ संभव होगा? ऐसा जैसे, लाठी नज़र भी ना आए और काम तमाम?
इसलिए जितना जरुरत की या फायदे की updates को जानना जरुरी है। उससे भी कहीं ज्यादा शायद, गैर-जरुरी या नुकसान पहुँचाने वाली updates को जानना और उनसे बचना या जबरदस्ती या धोखाधड़ी एंट्री पर, डिलीट करना जैसे। ऐसे ही जैसे, बहुत-सी बीमारियाँ।
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