Next Generation रोबॉट्स प्रोडक्शन के तरीकों को जानोगे, तो क्या सोचोगे, इस महान HiFi संसार के बारे में? F और M ज़ोन स्पैशल भी कुछ चल रहा है, जो मुझे समझ आया। और इस F के साथ-साथ, एक और F जोन गाड़ी, कभी इधर, तो कभी उधर। मतलब, जैसा आपके सामान के साथ हो रहा है, वैसा-सा ही कुछ इंसानों के साथ? और लोगों की ज़िंदगियों को जैसे 24 Hours स्क्रिप्टेड शो बना रखा हो। बिलकुल, जैसे लैब प्रोटोकॉल्स में होता है। कितना, क्या-क्या चाहिए। क्या-क्या मिक्स करना है। क्या-क्या, अलग-अलग रखना है। कहाँ-कहाँ रखना है। किन परिस्तिथियों में रखना है। कब तक रखना है। और कब, कहाँ चलता करना है। और हो गया काम।
अगली पीढ़ी के रोबॉटस का उत्पादन
वो एक विजय से दूसरी या दूसरे विजय पे कैसे जाते हैं?
एक रितु से दूसरी रितु पे कैसे?
एक पूजा से दूसरी पूजा पे?
एक योगेश से दूसरे योगेश पे?
एक कमलेश से दूसरी कमलेश पे?
एक प्रदीप से दूसरे प्रदीप पे?
एक रोहित से दूसरे रोहित पे?
एक रॉबिन से दूसरे रॉबिन पे?
एक सज्जन से दूसरे सज्जन पे?
एक मनीष से दूसरे मनीष पे ?
एक रेखा से दूसरी रेखा पे ?
एक रश्मी से दूसरी रश्मी पे?
एक नरेंद्र से दूसरे नरेंद्र पर?
एक जयवीर से दूसरे जयवीर पर?
एक शिवानी से दूसरी शिवानी पर?
एक शीनू से दूसरी शीनू पर?
एक संदीप से दूसरे संदीप पर?
एक सुखबीर से दूसरे सुखबीर पर?
एक राजबीर से दूसरे राजबीर पर?
एक राजेश से दूसरे राजेश पर ?
एक अशोक से दूसरे अशोक पर?
एक रणवीर से दूसरे रणवीर पर?
एक सुरज से दूसरे सुरज पर?
एक गौरव से दूसरे गौरव पर?
एक संगीता से दूसरी संगीता पर?
एक कविता से दूसरी कविता पर?
एक अंजू से दूसरी अंजू पर ?
एक अनिल से दूसरे अनिल पर?
एक संजय से दूसरे संजय पर?
एक दुष्यंत से दूसरे दुष्यंत पर?
एक अजय से दूसरे अजय पर?
एक मोदी से दूसरे मोदी पर?
एक अरविंद से दूसरे अरविंद पर?
एक अमर से दूसरे अमर पर?
और भी कोई भी नाम हो सकता है और कोई भी लिंग। ये मिश्रित (hybrid) कोढ़ कैसे जोड़ने-तोड़ने या मरोड़ने का काम करते हैं, इन सबमें? Interlinking, जैसे? और उस Interlinking का बीमारियों से क्या लेना-देना है? किस डॉक्टर या हॉस्पिटल जाएँगे और कोढ़ वाला ईलाज चलेगा और उसका परिणाम क्या रहेगा। ज्यादातर शायद करने वालों को नहीं पता। शायद?
एक सवि से किसी सविता या सावित्री पर या लकवे पर?
एक कश्मीर से किसी दूसरे कश्मीर पर या लकवे पर?
एक सोनू से किसी योगेश या लकवे पर?
एक सीमा से दूसरी सीमा पर या लकवे पर ?
एक जयंत से दूसरे जयंत पर या जया पर? Amity, Deakin, Virginia?
एक ड्रग एडिक्ट केस से दूसरे ड्रग एडिक्ट केस पर और एक जैसे से कांडों पर, हादसों पर?
या एक अल्कोहल एडिक्ट केस से दूसरे अल्कोहल एडिक्ट केस पर ?
एक दस नंबरी से दूसरे दस नंबरी पर?
एक दस के दम से, दूसरे दस के दम पर? errr STOP IT
ये विजय दांगी के खून की कहानी लिखी जा रही थी, जो इनके कोढ़ के हिसाब से, विजय कुमारी से विजय दांगी बन रही थी? बन रही थी? है नहीं?
मैं ऊप्पर लिखी एक काफी लम्बी लिस्ट जैसे, को समझने की कोशिश कर रही थी। और पता चलता है की ये सब अपने आप नहीं हो रहा। बल्की बहुत ही जबरदस्त Systematic या Enforcement के तरीके हैं ये सब करने के। तो मरने का नंबर तो लगना है। ऐसे कब तक बचोगे तुम? या ये सब दिखाने, बताने और समझाने वाले बचा लेंगे? जैसे अब तक बचाया है?
किसी भाई को दस का दम बनाके, किसी बहन का खून करवाया जा सकता है? वो भी उस भाई को मानव-रोबॉट बना, जिसको वो बचाने की कोशिश कर रही थी इतने सालों से, अल्कोहल के systematic supply के धंधे से बचाने की?
हाँ। अगर कोई बेटा, किन्हीं ड्रग्स एडिक्शन के चक्कर में, किसी माँ का खून कर सकता है (2005) -- तो कोई भाई क्यों नहीं? वो भी उसके कोई दो दशक बाद (2023)। फिर आज तो दुनियाँ टेक्नोलॉजी के स्तर पे भी, तब को देखते हुए किसी और ही दौर में है।
अहम प्रश्न, क्या ये सब अपने आप संभव है? जानवर भी नहीं करते ऐसा तो? या किन्हीं खास केसों या प्रजातियों में कर देते हैं?
मगर इंसान तो सिर्फ जानवर से थोड़ा आगे बढ़के इंसान भी है। नहीं?
दिमाग का फर्क है। उसे ब्लॉक कर दो या उसमें हेरफेर शुरू कर दो। सब संभव है।
सुनील एक केस स्टडी है। ऐसी केस स्टडी, जो बहुत कुछ इस खुंखार सिस्टम के बारे में बताता है। सबसे बड़ी बात, ऐसी-ऐसी और कैसी-कैसी केस स्टडी यहाँ भरी पड़ी हैं। वो यहाँ, आपके यहाँ भी हो सकता है। फर्क शायद ये है की यहाँ कोई हाईलाइट कर रहा है, ऐसी-ऐसी और कैसी-कैसी सामानांतर सामाजिक घड़ाईयों को।
दस का दम, भाभी की मौत के बाद और गुड़िया के अपहरण के बाद। जब कुछ खास अपना कहने वालों की, वैसे नहीं चली जैसे वो चलाना चाहते थे तो शुरू हुआ था, मेरे खिलाफ। जहाँ एक भाई कभी ये चाकू तोड़ जाता है तो कभी वो। मगर, किसी खास रंग के चाकू को नहीं तोड़ता। कब तक?
उसके बाद डंडा पर्दे के पीछे रखवाने का खेल शुरू होता है। किसी खास बैड की बैडशीट वगरैह, इधर-उधर फेंकने का खेल चलता है। और जुबान, वो भी कहीं किसी और की ही बोलते हैं। तभी भूत बना देना बोलते हैं शायद? सुनील लड़के का खेल बंद, तो सुनील लड़की का खेल शुरू। लड़के को लड़की बना दो, ट्रांसजेंडर बना दो। क्या फर्क पड़ता है? कीड़े-मकोड़ों सी ज़िंदगियाँ ही तो हैं?
इसी दौरान अपने एक खास नन्हें-मुन्ने से अजीबोगरीब कारनामे करवाने का खेल भी चलता है। मैट्रेस्स पे पानी के इंजैक्शन, बजरी फेंकना आदि।
और इसी दौरान किसी और विराज या रितु के नाम पे, खास जगह से, खास जाति की, खास नाम वाली औरत का जबरदस्ती घर में आगमन भी। जबरदस्ती? अरे नहीं, ये तो Enforcements पे Enforcements की महज़ एक और कड़ी थी? जिसे पढ़े-लिखे और कढ़े हुए लोगबाग आत्महत्या बोलते हैं शायद? या खुद ही किया हुआ है? सबसे बड़ी बात, वो औरत खुद एक चलती-फिरती गोटी है, हम सबकी तरह। और रोचक ये, की उसे या उन्हें (छुपे हुए, बीच-बिचौलियों) लग रहा है, की वो ये सब खुद कर रहे हैं।
अब फरीदाबाद और मदीना के बीच खेल चलेगा F और M खास। तो फ़िनलैंड चलें, फ्रांस चलें या मुंबई, मिआमी या महम? और भी कितने ही कोढ़ हो सकते हैं। अलग-अलग पार्टी की जरुरतों के अनुसार।
और इन लोगों (चलती-फिरती गोटियाँ) को नहीं मालूम, की इनकी ज़िंदगियाँ किस कदर कंट्रोल हैं। मार्च (March) और अप्रैल (April) में फिर कुछ खास होगा? सोचो क्या?
Kidnapped by Police? को जितनी बार और जितना ध्यान से पढ़ सकते हैं, पढ़ें। अगली पीढ़ी के रोबॉटस के उत्पादन की कहानी समझ आएगी। ये जहाँ तो ओरवेलिएन से भी आगे निकल गया लगता है। आप क्या कहते हैं? एक ऐसा सिस्टम, जिसे ये मालूम है की कब, क्या और कहाँ पैदा करवाना है या नहीं होने देना या अबॉर्ट करवाना है। उससे भी अहम किस तारीख, महीने या साल में करवाना है। और किस हॉस्पिटल या डॉक्टर द्वारा? और अबॉर्ट करवाना है, तो किस तरह का ड्रामा करवाके। लोगों के लिए वो सब, उनकी ज़िंदगीयों की हकीकत है।
अगर किसी ने कहा है की हम अपने अनुसार सिस्टम डिज़ाइन कर सकते हैं, तो कुछ गलत नहीं कहा। ये तो बहुत पहले से ही हो रहा है। अब स्तर शायद खतरनाक पहुँचा हुआ है। कहीं तो चैक और बैलेंस की जरुरत है। और आम आदमी को बताने और समझाने की भी। जितना वो इस सब से अंजान और अज्ञान होंगे, उतना ही भुगतेंगे।
Social Tales of Social Engineering, मेरे प्रोजेक्ट का नाम है। वही जो में कह रही थी की किसी प्रोजेक्ट को लिखने की कोशिश हो रही है। इसी का अगला स्तर, इसका प्रोडक्शन हो सकता है। जिसके तहत आप खास तरह के सिस्टम भी डिज़ाइन कर सकते हैं। गरीबी और उससे जुड़े तमाम मुद्दे सिस्टम के फेल होने की वजह से हैं, किसी खास घर या मौहल्ले की नहीं। एक ऐसा सिस्टम, जिसे ये मालूम है की कब, क्या और कहाँ पैदा करवाना है या अबॉर्ट करवाना है। ऐसा सिस्टम बनाने वालों को ये भी मालूम है, की कहाँ गरीबी, पिछड़ापन या कैसी-कैसी बिमारियों या हादसों को करवाना है। शराब, ड्रग्स के नशे, मार-पिटाईयाँ, और कितनी ही तरह की बीमारियाँ और तकरीबन-तकरीबन ना के बराबर सरकारी स्कूलों के हाल, सिस्टम की देन हैं। ऐसे लोग, जो आम जनता का खून चूस कर, हद पार रईसी, सिर्फ कुछ पर्सेंट लोगों के लिए ईजाद करते हैं। वो भी खुद उनकी गुलामी करके।
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