जालसाजी करना, हेराफेरी करना (Creation of Fake Situations)
जो सच ना हो, वो दिखाना, बताना या अनुभव करवाना।
Brainwash, जो पहले से है, उसे खत्म कर या मिटाकर नया रख देना। उसपे, ये दिखाना, की ये आपके फायदे के लिए है। चाहे उसमें आपका नुक्सान ही क्यों हो।
किसी को गोटियों की तरह प्रयोग करने का मतलब यही होता है। वहाँ पे, आपको सब आपके भले के लिए दिखाया जाता है। दुष्परिणामों के बारे में नहीं बताया जाता। ऐसा करने वाले कोशिश करते हैं, की दुष्परिणामों की आपको भनक तक ना लगे। क्यूँकि, अगर ऐसा हो गया, तो सामने वाले का खेल खत्म।
कुछ वक्त हो सकता है, आपको फायदा हो। वो विस्वास दिलवाने का अहम हिस्सा है। विस्वास या आस्था, इंसान से बहुत कुछ आसानी से करवा देते हैं। जैसे कुछ लोग, अपनों तक की बली सकते हैं, उसी विस्वास के सहारे। Brainwash करने वाले जब नुकसान करेंगे, तब नहीं बताएँगे। वो नहीं बताएँगे की यहाँ ऐसी कोई बीमारी है ही नहीं। नहीं बताएँगे, अगर हॉस्पिटल गए तो क्या परिणाम हो सकते हैं। इसमें गए तो क्या और उसमें गए तो क्या। नहीं बताएँगे की जो बदलाव आपके घर में हो रहे हैं या कहो की करवाए जा रहे हैं, उनके परिणाम आगे क्या हो सकते हैं। जो गाड़ी या कोई खास व्हीकल्स आपको धकेल दिए गए हैं, वो कैसे कैसे हादसे करवाने के लिए दिलवाए हैं। अजीब लग रहा होगा ना, आपको ये सब पढ़कर? आएँगे इन सब पर भी आगे कुछ पोस्ट्स में।
कितनी तरह से जालसाजी या हेराफेरी हो सकती है?
और कितनी ही तरह के तरीके हो सकते हैं, वो सब करने के?
कितनी तरह की जालसाजी हो सकती है? कोई गिनती ही नहीं। कितने भी तरह की हो सकती है।
और कितनी तरह के तरीके हो सकते हैं, जालसाज़ी करने के? उनकी भी कोई गिनती नहीं।
इसे कुछ-कुछ ऐसे समझें, जैसे Tongue Twisters. कितनी तरह के Tongue Twisters हो सकते हैं? कितने ही ईजाद कर लो। बहुत से आपने भी सुने होंगे? जैसे --
समझ समझ के समझ को समझो, समझ समझाना भी एक समझ है।
डबल बबल गम, बबल गम डबल।
खड़ग सिंह के, खड़काने से, खड़कती हैं, खिड़कियाँ।
छोटे बच्चों को इन्हें जल्दी-जल्दी बोलने को बोलो। शायद नहीं बोल पाएँगे। आराम से? शायद, एक-दो बार गलत करने पे, सही बोल पाएँ।
शायद इसीलिए कहते हैं, जल्दी का काम शैतान का काम। कोई भी काम जल्दी में ना करें। हो सकता है, कोई शैतान करवा रहा हो, और बाद में पछताना पड़े। वो Mind Twisters (दिमाग घुमाऊ) हो सकते हैं। मतलब, दिमाग को बंद कर दें, चाहे कुछ वक़्त के लिए ही सही। या दिमाग घुमा दें, किसी और ही एंगल पे। आराम से करोगे, तो दिमाग को सोचने का वक्त मिलेगा। और शायद कोई शैतानी या दुश्मनी या जालसाज़ी, वक़्त रहते सामने आ जाए। घुमाया हुआ दिमाग वक़्त रहते, ठिकाने आ जाए।
जल्दबाज़ी में और भी बहुत कुछ होता है। जैसे गुस्सा, जल्दबाज़ी करता है। काम, क्रोध, द्वेष जैसी कितनी ही जल्दबाज़ियाँ, कितनी ही बिमारियों और नुकसानों की वजह बनती हैं।
अचानक फेंके गए Mind Twisters शायद समझ ना आएँ। Mind Twisters, आपकी भावनाओं से खेलते हैं। भड़काना जैसे। गुस्सा दिलाना। किसी के खिलाफ नफरत या लगाव पैदा करना। किसी और की आफ़त, आपके सिर डालना। क्यूँकि, उनका मकसद ही सामने वाले को दिमाग से अँधा करना होता है। आम भाषा में जिसे, दिमाग से पैदल भी कहते हैं। बहुत बार, दिमाग से अँधा करने का मतलब, अपनों से या आपका हित चाहने वालों से दूर करके, अपना स्वार्थ सिद्ध करना भी होता है। नहीं तो, क्यों किसी को दिमाग से अँधा करने की कोशिश करना? शैतान लोग ही कर सकते हैं, ऐसा काम।
कोरोना का वक्त Mind Twisters का सबसे बढ़िया उदहारण है। इस वक़्त ने ऐसे-ऐसे लोगों को उठा दिया, जिन्हें अभी ज़िंदा रहना था। मगर कैसे उठा दिए?
दुनियाँ को बंद करके। लोगों के दिमाग में भय के भूत घुसाकर। जो कमजोर होंगे, थोड़े बहुत भी बीमार होंगे, वो ऐसे माहौल में वैसे ही उठ जाएँगे। वहाँ ज्यादा कुछ करने की जरुरत नहीं। इधर-उधर के खामखाँ के, धक्के खिला दो। ये दवाई खत्म या वो खत्म गा दो। जिन्हें BP जैसी, थोड़ी बहुत भी शिकायत रही हों या ना भी हों। सिर्फ दिल से कमजोर हों, उन्हें भी आसानी से उठाया जा सकता है, ऐसे माहौल में। जिन्हें बहुत वक़्त से थोड़ी बहुत ही सही, बीमारियाँ हों? वैसे भी, ऐसे माहौल में तो किसी को भी, एक बार हॉस्पिटल पहुँचा दो और हो गया काम। शैतान, जिसका चाहें, उसका कर देंगे काम तमाम। ये भी नहीं कह सकते, की सब हॉस्पिटल और सब डॉक्टर ही बुरे हैं। बस कुछ ही होते हैं, ऐसी-ऐसी और कैसी-कैसी हाय-तौबा मचवाने के लिए। ज्यादातर मीडिया इस दौरान, वही कर रहा था। वैसे डॉक्टर वो भी हैं, जिन्होंने खुद ऐसा करने वाले डॉक्टरों या वैज्ञानिकों या प्रोफेसर्स के बारे में हिंट्स बाहर धकेले। चाहे गुपचुप ही सही। अब मरने से तो हर किसी को डर लगता है, ना। और कुछ नहीं तो देशद्रोह ही लगा के अंदर कर देंंगे।
जालसाज़ी, हेरा फेरी या दिमाग घुमाऊ (Mind Twisters) तरीके अपनाके, क्या कुछ किया जा सकता है?
जो कुछ आपके पास है, वो सब छीना जा सकता है।
शायद आपके ज्ञान या पढ़ाई को छोड़ के? या शायद वो सब भी छीना जा सकता है?
और क्या कुछ किया जा सकता है?
जो बीमारी आपको ना हो, वो बताई जा सकती है।
आपको सिर्फ डॉक्टर तक ही नहीं, बल्की हॉस्पिटल एडमिट तक किया जा सकता है।
ऑपरेशन किया जा सकता है।
अंग बदले जा सकते हैं। निकाले जा सकते हैं।
इंसान को दुनियाँ से ही उठाया जा सकता है।
ऐसे ही कोई इंसान, घर से बदला जा सकता है। किसी की जगह कोई और लाया जा सकता है। आपका घर, नौकरी, रिश्ते-नाते, जमीन-जायदाद भी छीना जा सकता है। हड़पा जा सकता है।
और क्या कुछ किया जा सकता है? सोचो आप?
अगर वक़्त रहते आप संभल जाएँ या आसपास कोई ऐसा हो, तो बहुत कुछ वापस भी लाया जा सकता है। उसके भी तरीके हैं। हाँ। खोया वक़्त और दुनियाँ छोड़ के गया इंसान वापस नहीं लाया जा सकता।
आगे की कुछ पोस्ट्स में, कुछ ऐसे ही उदाहरणों पे आते हैं, आम आदमी की ज़िंदगी से। और शायद कुछ खास तरह की और जमीनों की खरीद परोख्त पे। गाड़ियों से जुड़े अजीबोगरीब हादसों पे और बीमारियों पे भी।
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