बीमार आदमी या बीमार समाज ?
आदमखोरों की जमात?
जो खाती है आदमी को हर स्तर पर,
हर पायदान पर, पग-पग पर।
हवा साफ़ है ना पानी साफ़ है
खान-पान में जहर की मात्रा
कहीं है थोड़ी कम, तो कहीं ज्यादा है
कहीं pesticides की मार, तो कहीं
कम्पनियों से निकले जहरीले केमिकल्स
ये सब भी जैसे कम कहाँ है?
Pain inducers और Medicals emergencies
राजनीति के भद्दे जुआरियों
और शिकारियों के कारनामे
यहाँ-वहाँ, कुकरमुत्ते की तरह उगे
Diagnostic Centers
हॉस्पिटलों के और डॉक्टरों के
राजनीति के और टुच्चे-पुचे नेताओं के
मिलीभगत के कारनामे !
पुछ रहे हों जैसे --
बीमार कौन है?
आदमी बीमार है, या ये समाज ही है बीमार?
हर स्तर पर ज़िंदगियों से खेलता
आदमी के खोल में छिपा शैतान
चंद पैसों के लिए?
कुर्सियों के लिए?
सत्ता की रस्साकशी के लिए?
आदमी के खोल में छिपे,
कितने ही आदमखोर!
बीमार कौन है?
आदमी बीमार है या ये समाज ही है बीमार?
Naturally, whole society is not bad, that's why we are still alive. In such circumstances rather than feeling frustrated with such people, those good people need to do a bit more I guess.
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