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Monday, May 1, 2023

Real Life Examples of Automation, Semi-automation and Enforced

रोबोट की तरह व्यवहार क्यों कर रहे हो? भेजा नहीं है क्या?
रोबोट, जो किसी के कहने पे, किसी के खिलाफ वही कर दे, जो उसे करने को बोला जाये, चाहे वो तोड़फोड़ ही क्यों ना हो। वो किसी का कोई सामान भी हो सकता है और इंसान भी। 

आपका लैपटॉप  खराब है, आप गए लैपटॉप की दुकान ठीक करवाने। 
इस पार्टी के गुंडों को पता चला और फोन या ज्यादातर केसों में आदमी पहुँच गए बताने की उसका क्या करना है। 
समस्या क्या थी?
थी ही नहीं। ऑनलाइन बनाई गयी थी, किसी और के द्वारा। विण्डो काम नहीं कर रही थी। 
कंप्यूटर गली कार्नर वाली शॉप ने साथ में कमल वाली दुकान पे भेझा। कमल ने क्या किया?
Dell स्माल लैपटॉप खोला, मना करने के बावज़ूद और जो उसे किसी द्वारा बताया गया था, वो काम कर दिया। 
ASUS  स्माल सफ़ेद लैपटॉप विण्डो तो डाल दी मगर cursor ड्राइव्स गुल कर दी। 
पैसे 1100 !
मस्त। आप चुपचाप देके चले आये। घर आके देखा तो दोनों ही लैपटॉप काम नहीं कर रहे। बहुत ही छोटी-सी समस्या थी, उन्होंने उसे थोड़ी और बड़ी कर दिया। आपका वक़्त और थोड़ा पैसा भी बर्बाद हुआ। काम उल्टा, धक्के खाये, वो अलग। 

एक दो लैपटॉप और हैं इसीलिए काम चल रहा है। 
बच्चे ने जब अपना (अपनी माँ का) लैपटॉप ठीक करवाने को बोला तो आप एक दुसरी लैपटॉप की दुकान पहुँच गए। Computer World, Computer वाली गली। क्युंकि पहले भी वहां से कई लैपटॉप, प्रिंटर, PC वैगरह खरीदे हुए थे।  
एक में Window डालनी थी, जो वहीं से खरीदा था, AVITA । नाम भी पहली बार सुना था। केसों की Books निकालते-निकालते, जो भी छह-सात, छोटे-मोटे लैपटॉप थे, एक-एक कर सब काम करना बंद कर चुके थे। ऐसे में बच्चे से ले लिया की कुछ दिन बाद लौटा दूंगी, जब मेरा ठीक हो जाएगा। भाभी से भी ले चुके और एक cousin से भी। मगर इस समस्या का कोई समाधान नहीं है। जब तक या तो खुद इन छोटी-मोटी समस्याओं को हल करना ना सीखें या ऐसा कोई बंदा या दुकान का अता-पता न हो। 

खैर, इन छह-सात, छोटे-मोटे लैपटॉप में से थोड़ा बहुत एक-दो चल जाता है, काम चलाऊ। 
इन Computer World वालों ने क्या किया? यहाँ तो आप बहुत पुराने ग्राहक थे? शायद उतने ही जितनी ये शॉप पुरानी है। उसे window install के 600 रूपए देकर आप घर आ गए। AVITA की window तो ठीक थी मगर ASUS White? समस्या यूँ की यूँ। ऊपर से back side के सारे पेंच गुल। मतलब लैपटॉप खोला भी गया। क्यों?

बच्चे को आपने AVITA देने की कोशिश की, जब तक उसका ठीक ना हो। मगर उसे तो वही चाहिए। गुस्सा आपको भी आ रहा है। कितने बेहुदा लोग हैं। ASUS White का Charger भी वहीं रह गया था। 
कुछ दिन बाद आप दुबारा पहुँचते है। और वो खुद ही बताने लगते हैं की पीछे के पेंच भी डालने भुल गए। Bios ठीक करना था, इसलिए खोला। 
Bios, सुनके कुछ याद आया। बस इतनी सी समस्या और तुमने इतने सालों बाद भी नहीं सीखी? ये तो सालों पहले किसी प्रोफेसर की वाल पे पढ़ी थी। तब लैपटॉप Dell था। 

खैर। Computer World वाला अपने worker की तारीफ़ करने लगा। अनुष (या अनुश), डिग्री नहीं है कोई इसके पास, थोड़ी-सी इसे समस्या भी है (शायद बोलने में हकलाता है), मगर काम बड़े सही करता है। 
हाँ। बहुत सही करता है। बग़ैर पुछे लैपटॉप खोलता है। पेंच डालने ही भूल जाता है। थोड़ा भुलक्ड़ है शायद। और इसकी डाली हुयी window यहाँ तो काम कर रही थी शायद, मगर घर जाते ही काम ही नहीं करती। इतनी छोटी सी समस्या और वहीं की वहीं!
 
अरे मैडम उसने window नहीं डाली, सिर्फ अपडेट किया था। 
और शायद किसी ने फ्रेश window डालने के लिए बोला था, ना की अपडेट के लिए। 
वो अपडेट से ही ड्राइवर डल जाती ना, इसलिए। 
और ये खोला क्यों ? वो भी बिना पुछे?
Bios में समस्या थी ना। तो उसके लिए तो खोलना पड़ेगा। (?)
Bios में समस्या? खैर। आप फिरसे लैपटॉप window चैक कर, लैपटॉप लेकर घर वापस आ गए। और समस्या, वहीं की वहीं। अरे हाँ! उसने दस में से आठ पेंच जरूर वापस डाल दिए थे। दो क्यों छोड़ दिए? मर्जी, खेल करने और करवाने वालों की। 
  
गुस्से में आप फिरसे उसी दुकान पे पहुँचते हैं। और पुछते हैं -- ये क्या किया हुआ है? Cursor अब भी काम नहीं कर रहा। मगर खोलने पे ASUS की जगह hp दिखा रहा है? अनुश, ये सब करता है? और Computer World वाले दुकानदार साहब हाँकने लगते हैं। फलाँ-फलाँ, PGI head उसका जानकार है। एक बार उसका स्क्रीन ख़राब हो गया था दिल्ली में, तो भी हमने ही ठीक किया था, वगैरह-वगैरह। 

आप भी उसे बताने की कोशिश करते हैं, की आप लाइव हैं। और दुनिया में कौन-कौन आपको और इस सारे प्रकरण को सुन रहा है, देख रहा है और रिकॉर्ड कर रहा है, और कहाँ-कहाँ लिख रहा है । शायद, आप जैसों को इसका अंदाजा ही नहीं है।   
Computer वाले, AC वाले, कार वाले, फ़ोन वाले और भी ना जाने कौन-कौन सी सर्विसेज वाले कैसे-कैसे खेलते हैं, अपने ग्राहकों के साथ? वो भी ये सोचकर, की तुम्हे ना कोई देख रहा, ना कोई सुन रहा। जो करना है, करो। जिसके साथ करना है, करो। सुनने-देखने वाला कोई नहीं है? मगर इस भर्म में रहकर ना करो।  

खैर, आप उसे बोलते हैं चलो एक HP लैपटॉप दिखा दो। ASUS में HP लिखने से वो HP नहीं होगा। अच्छा है, मैं HP ही ले लूँ। 
अब उसे मालुम है, मैडम तो खराब होते ही नया ले लेते हैं। क्युंकि खुद उसकी दुकान पे ऐसा कई बार हुआ है। उसने एक नया बड़ा HP दिखाया। मैंने उससे पैसे और configrations वग़ैरह पूछी और नीचे पटक दिया। वो काँपता हुआ, ये-वो धमकी देने लगा। गुस्सा तो मुझे भी हद से ज्यादा आया हुआ था। गुस्से में ही मैंने उसे बोला, पुलिस को फोन करो और बुलाओ। 
और वो कांपता हुआ, गुस्से में फिर से बडबाने लगा। पागल हैं आप, पागल। ऐसे ही काम ऑफिस में किये हैं आपने, वगैरह-वगैरह। 

मैं अपना cute सा, छोटा-सा White-ASUS उठाकर वहाँ से आ गयी। लेकिन बहुत से प्रश्न दिमाग में लिए। आप किसी के साथ ऐसा व्यवहार इसीलिए करते हैं, जब आपको लगता है, सामने वाला कमजोर है ?
उसके वश में कुछ नहीं है?
आपके पास गुंडों का या बड़ी पार्टियों का समर्थन है?
आपको कोई देख या सुन नहीं रहा? जो करना है करो और गुंडों की तरह चुपचाप बच निकलो? आपका कुछ नहीं होने वाला?
हैरानी की बात ये की ऐसे-ऐसे लोग भगवान को भी मानते हैं? अपनी दुकानों में बैठकर, वो जो भगवानों की आरती करते हैं, पुजा-पाठ करते हैं, वो क्या पाखंड है? अपनी समझ से परे हैं, ऐसे लोग और उनके कारनामे। जैसा इन्होने लैपटॉप के साथ किया, ऐसे ही बहुत से और इलेक्ट्रॉनिक सामान के या दूसरी वस्तुओं के साथ भी होता है। यहाँ तक तो चलो मामला निर्जीवों का है। क्या हो अगर ऐसा ही जीवों, खासकर इंसानों के साथ भी होने लगे? या हो रहा हो, आपकी जानकारी के बगैर ? हम कैसे समाज का हिस्सा हैं? 

ऐसे-ऐसे केसों को आप किस वर्ग (Category) में रखेंगे ? Real Life Examples of Automation, Semi-automation or Enforced? 


बीमार आदमी या समाज बीमार? 

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