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Happy Go Lucky Kinda Stuff! Curious, atheist, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Writing is drug, minute observer, believe in instinct, in awesome profession/academics. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Friday, May 26, 2023

समाज अपने आप में एक बड़ी लैब है

2021, की इस खास छुट्टी का मतलब था, Official Stress और Unproductive जोन से दूर, अपने हिसाब से लिखना-पढ़ना। अब घर भी ज्यादा आने-जाने लगी थी। कुछ वक्त यहाँ, कुछ वक्त यूनिवर्सिटी कैंपस। यहाँ माँ का घर, कोई खास रहने लायक नहीं है। कभी पड़दादा के वक़्त का है। तो सोचा, अपना एक छोटा सा Writing Zone या कहो Home Office बनाना सही रहेगा। उनके भी थोड़ा बहुत काम आ जाएगा। और शायद कुछ लोगों का भला हो जाएगा। भाभी उसमें अहम् थी। वो खुद शायद अपनी प्राइवेट स्कूल की नौकरी से परेशान थी। और उसे मेरा प्राइमरी स्कूल का विचार पसंद भी आ गया था। मेरे लिए गाँव एक पड़ाव था। मगर कब तक के लिए, ये खास जानकारी नहीं थी। शायद दो तीन-साल? मेरा कहीं रस्ता खुल जाता, तो शायद बाकी के लिए भी आसान होता।  

कुछ महीने सब सही लग रहा था। मगर धीरे-धीरे, जब यहाँ का माहौल और चीज़ें समझ आनी शुरू हुई, तो ये दुनियाँ मेरे लिए काफी हद तक उससे अलग थी, जिसे मैं जानती थी। Politics, Codes, और Cryptic संसार, Campus Crime Series के साथ-साथ यहाँ भी दिखने लगा था। वो भी भलाई में कम, यहाँ की ज्यादातर बुराईयों और नुकसान में ज्यादा। पढ़ाई-लिखाई का दायरा अब बढ़ गया था। या यूँ कहो, समाज अपने आप में एक बड़ी लैब नजर आ रहा था। मेरी Official लैब की जरुरत, जैसे अचानक से खत्म हो गयी थी। इसके सामने वो लैब, समुन्दर में जैसे किसी पानी की एक छोटी सी बूँद की तरह थी। अब दुनियाँ में कहीं भी रहो, ये लैब आपके पास रहेगी।  एक ऐसी लैब, जिसे कोई नहीं छीन सकता। जिसके लिए आपको न ही कोई फाइल चलाने की जरूरत थी और न ही requests की। मगर इस दौरान कुछ और भी शुरू हो गया था। एक खास पार्टी द्वारा मुझे गॉवं से निकालने का अभियान! 

सब साफ़-साफ़ नजर भी आ रहा था और छुपा हुआ भी था। और भी बहुत-सी, छोटी-छोटी मगर खोटी चीज़ें शुरू हो चुकी थी। यूनिवर्सिटी में जो कुछ चल रहा था, वो सब यहाँ भी शुरू हो चुका था। वहां में और यहाँ में एक फर्क ये था, की उस माहौल को मैं जानती-समझती थी। यहाँ बहुत-सी चीज़ों को समझने में ही ज्यादा वक़्त लग रहा था। बहुत-सी बातें या चीज़ें जिस हिसाब से हो रही थी, उनसे साफ़-साफ़ समझ आ रहा था की ये सब अपने आप नहीं हो रहा। बीमारियाँ, उनमें से एक थी। कुछ के कारण भी कुछ हद तक समझ आये। कई में तो तकरीबन पार्लर वाली ट्रिक्स, मगर रोजमर्रा के आम संसाधनों से। बालों के Cases। 

ऐसे ही शायद Vitiligo है। शायद, क्यूंकि अभी कुछ-कुछ समझ आया है।  Bougainville Plants Leaves, Vitiligo like signs, कैंपस हाउस 30, टाइप -4, towards 29 wall. Variegated leaves और Chemicals Abuse?   

कुछ वक़्त के बाद एक छोटी-सी बिल्डिंग का नक्सा भी तैयार हो चुका था। मगर बजट उस हिसाब से नहीं था। मैंने बजट कट करके उसे  Green Sustainable Design में बदल दिया था। अब शायद सही था। थोड़ा अलग भी और शायद उसमें कुछ और करने की संभावनाएं भी थी। 

मगर अचानक से काफी कुछ बदलने लगा था। Case Studies Publishing के चक्कर में उस तरफ मेरा ध्यान ही नहीं गया।  क्या था वो अचानक? अचानक था या मुझे ही अब समझ आने लगा था? 

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