पहली बार माँ के इस घर (जिसे मैं सूअरबाड़ा बोलती हूँ) में wall paper लगे थे, थोड़े से हिस्से पे। और मुझे वो हद से ज्यादा भद्दे लग रहे थे। ऐसा क्या था उनमें? कौन लेकर आया था उन्हें? और कहाँ से? किसके द्वारा, कहाँ से मँगवाये गए थे?
एक था स्लेटी रंग (Grey). उसपे पीछे से कुछ आ गया :) खून के धब्बे हैं या लाल ईंटें जिनका प्लास्टर उतर गया है? नंगी-पुंगी गुडियाएँ, जिनको हर तरह से निचोड़ा जा चुका, इधर के गुंड़ों द्वारा भी और उधर के गुंडों द्वारा भी। मतलब हर तरह से मरमत की हुयी है -- शायद कुछ-कुछ वैसे ही जैसे यहाँ दिख रहा है। Kinda लूट, कूट, पीट and Kick Out.
सफ़ेद Wall Paper, उसपे 7-8 बार V जैसा-सा कुछ है, कहीं उल्टा, कहीं सीधा।
यहाँ एक राजबीर अंकल की दुकान है। शायद उनके द्वारा मँगवाया गए हैं?
ये Automation है? Semiautomation या Enforced?
माँ को कख्खा नहीं पता। बताने लगो तो सहन नहीं होता उनसे। उठके चल देती हैं। जिनसे लाये थे, शायद उन्हें भी कम ही पता है। माँ को समझ नहीं आता, की मैं हर चीज़ में ऐसी-ऐसी कहानियाँ कहाँ से घड लाती हूँ? अब उन्होंने शशि थरूर की सोशल मीडिया पे वाशिंगटन पोस्ट या न्यूयोर्क टाइम्स या इंडियंस newspapers वाली पोस्ट थोड़े ही पढ़ी हुयी हैं। वो जानती ही नहीं कौन शशि थरूर ?
वही पोस्ट्स जहाँ ये लिखा होता है की एक मिडिल क्लास फ़ैमिली 3-4 पीढ़ियों के बाद डुबने कैसे लगती है? या आप पड़ोस में कहीं किसी मोदी के यहाँ कोई Wall Paper देख फिर से कह रहे हो -- यहाँ भी? और उसी दिन शशि थरूर की वाल पे वो Wall Paper, Design ही मिलता है। या लंदन की किसी Street के बिल्डिंग का बाहर का डिज़ाइन कुछ-कुछ आपके इस So-Called हवेली वाले सूअरबाड़े के बाहर के डिज़ाइन से मिलता जुलता-सा दिखता है।
अब माँ को कहाँ मालुम की दुनिया में ऐसे-ऐसे लिखने और पोस्ट करने वाले और कितनी तरह के राजनीतिज्ञ, मीडिया वाले, प्रोफेसर, डॉक्टर, साइंटिस्ट, आईएएस या आईपीएस हैं? और उन्हें कह दिया की मोदी, राहुल गाँधी, चौटाला आदि के सोशल साइट्स पे यही चल रहा है। तो शायद यही कहेंगी -- मेरा भेजा खराब मत कर, अपना तो किया हुआ है। पता नहीं कहाँ से क्या और कैसे-कैसे भिड़ा देती है। अब उन्हें क्या मालूम ये जोड़-तोड़-मरोड़ वाला प्रेजेंटेशन ज्ञान, कौन-कौन सी गुफाओँ (Crypts) की देन है और कौन-कौन सी टेक्नोलॉजी है उस सबके पीछे। हम जैसों को ही इतनी जद्दो-जहद और वक़्त के बाद भी उतना नहीं पता, जितना होना चाहिए शायद।
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