Search This Blog

About Me

Happy Go Lucky Kinda Stuff! Curious, atheist, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Writing is drug, minute observer, believe in instinct, in awesome profession/academics. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Monday, May 1, 2023

गाँव-शहर, कल और आज

बदला हुआ तो बहुत कुछ है, इन गॉंवों में भी। हालाँकि गॉंवों के हालात आज भी उतने बेहतर नहीं है, जितने इतने सालों बाद हो जाने चाहियें। 

जो बदला हुआ है वो अच्छा भी है और बुरा भी। 

सोच। पढ़ाई-लिखाई का असर? नयी पीढ़ी की सोच, पहले की बजाय अब कम लड़का-लड़की में फर्क करती है। जो सुनने को मिली, इधर या उधर। "लड़कियाँ नौकरी भी करें। घर का काम भी करें। और इनका रौब भी सहें।" अब इस, इनमें बहुत कुछ आता है। "आगे बढ़ना है तो कमाना तो खुद ही होगा। भिखारी रहोगे तो औकात भी भिखारी जैसी ही रहेगी।" शायद, ऐसा ही कुछ, बहुत से झगड़ों और divorce की वजह भी हैं। 

सफाई, ज्यादातर जगह पहले से ज्यादा है। शहरों की पॉश कॉलोनियों को छोड़, गाँवों की ऐसी जगहें, शायद शहरों से बेहतर हैं। बाकी गाँव, गाँव ही है। इसीलिए शायद बहुतों को पसंद नहीं आते। सुविधाएँ, शहरों से कम ही होती हैं। हाँ! जिन्हें हरियाली पसंद हो, भीड़ और भागम-भाग की ज़िंदगी पसंद ना हो, उनके लिए शायद अच्छा है।           

जो बदला हुआ है, मगर अच्छे के लिए नहीं। कूड़ा-कचरा समाधान ही नहीं है। ऐसा नहीं है की पहले होता था। मगर कुछ जगह इतना बुरा हाल नहीं होता था, जितना अब दिखने को मिलता है। पीने का दुषित और संक्रमित पानी। पहले सप्लाई वाला पानी इतना बुरा नहीं होता था, जो हालात अब हैं। इतना कम भी नहीं आता था। जहाँ का जमीन का पानी मीठा है, वहाँ तो सही। मगर, जहाँ कड़वा पानी (Hard Water) है, वहाँ बेकाम के काम बढ़ जाते हैं। जुआ और ड्रग्स, पहले सुनने में ही नहीं आते थे। अब कुछ ऐसे अड्डे हैं। सुना है, जहाँ पुलिस भी आती है (खेलने) और राजनीतिक पार्टियों के दाँव भी लगते हैं! बाकी ज्यादातर बेरोजगारों और कम पढ़े-लिखों की फौज होती है।  शराब पहले भी सुनने-दिखने को मिलती थी। अब भी है। ये सब राजनीति के बेहुदा रूप हैं और उसी के साये में पनपते हैं।

प्राइवेट स्कूलों की बहार है। मतलब सरकारी स्कूल खटारा हैं। सरकारी स्कूल पहले भी खटारा ही होते थे। मगर इतने प्राइवेट स्कूल नहीं थे। 

ऐसे राज्यों की सरकारें फिर कर क्या रही हैं? वैसे, जो सरकार अच्छी शिक्षा नहीं दे सकती और पीने का साफ़ पानी तक नहीं दे सकती। वो सरकार शायद खुद अनपढ़ और गँवार है। वो कुछ भी नहीं दे सकती।   

No comments:

Post a Comment