जेल के साढ़े तीन दिन के खास विजिट के कुछ ही महीने के अंदर, मैं एक बार फिर से Enforced Resignation दे चुकी थी। हालाँकि साथ में लिखाई-पढ़ाई के लिए छुट्टी का भी जिक्र था। मगर जो लिखाई-पढ़ाई हो रही थी, वो थी ही कुछ कुर्सियों के खिलाफ। तो क्या होना था? वैसे, कुछ कुर्सियों के खिलाफ क्यों थी? क्या किया हुआ था, उन कुर्सियों ने ऐसा?
इसी दौरान, कुछ messages बार-बार आ रहे थे, मोबाइल पे -- Personal Loan के लिए। 1-2 बार ज़्यादातर ऐसे messages के साथ जो हम करते हैं, वही किया, delete । वैसे भी, मैं Personal Loan की बजाय, पिछले कुछ वक़त से Home Loan के चक्कर में थी। SBI-MDU (जिस बैंक में सैलरी आती थी) में apply भी किया था। मगर, इधर-उधर के खामखाँ के धक्कों के बाद वो फाइल रद्दी का हिस्सा बन चुकी थी।
फिर से वही Personal Loan वाले messages आने शुरू हो गए थे। Instant Loan online, based on your credit predetermined! मैं Case Studies पब्लिश करने का मन बना चुकी थी, तो लगा मिल जाए तो बुरा क्या है। समझो, एक साल पढ़ाई पे लगा दिया। वैसे भी पढ़ाई पे लगाया वक़त और पैसा शायद ही कभी धोखा देता है। वो Instant Loan सही में Instant था। एक online form भरा, yes पे click किया और देखते ही देखते, पैसा आपके account में आ गया। मस्त! शायद यही Ease of Living और Working है? मगर इसके साथ दुसरा काम जो हुआ, वो था Enforced Resignation accepted । पर ये लोन तो सैलरी based था। वही SBI बैंक जो आपको इधर-उधर के धक्के खिलाने के बावजूद, Home Loan Application को रद्दी की टोकरी में डाल चुका था, Personal Instant Loan, messages कर-कर के दे रहा था। खैर! Personal Loan इतना नहीं था, की ज्यादा टेंशन ली जाए।
Case Studies Books Publication के साथ-साथ, मैं पत्रकारिता की online डिग्री में भी admission ले चुकी थी। मगर उस online में जो शुरू हुआ, वो पत्रकारिता का कोर्स कम, Bullying ज्यादा लग रहा था। फिर इधर-उधर से सलाह भी आने लगी थी, Don't fall prey to unnecessary political bullying. You are already doing more than this course. Better add something specific to that as per need.
दूसरी तरफ, वित्तीय जोन पे कुछ और भी हो रहा था। इधर-उधर, छोटी-मोटी, राशी दे देना। कभी-कभी तो अपना क्रेडिट तक साफ़ करके, क्युंकि किसी ने पहली बार माँगा है! और सामने वाले हालात जानते हुए वापस न करें, पैसा होते हुए बहाने बनाना। धीरे-धीरे, कुछ-कुछ समझ आने लगा था। शायद इन्हें वित्तीय स्तिथि पे वार करना या Entrap करना बोलते हैं। जो सामने वाले चाहते हैं, वो सब उनके तरीके से करवाने के लिए। दिख तो यही रहा है न की आप खुद ही सब कर रहे हैं? कर भी रहे हैं। नहीं? इतना बड़ा होने के बावजुद वित्तीय-ज्ञान है ही नहीं। पैसा तो आपके लिए हाथ का मैल है न, ले झाड़ दे सारा। जुआरियों और शिकारियों का नंबरों का धंधा समझो। आप फिर भी मस्त हैं। PPF कब काम आएगा? शायद तब तक, इधर उधर रस्ता निकल आए। वैसे PPF Account एक बैंक से दुसरे बैंक में Transfer होने में कितना वक़त लगता है ? 2-4 घंटे या 2-4 दिन? या ?
इसे कहते हैं Dirty Politics या जुआरियों का गन्दा धंधा। एक online form भरना और Personal Instant लोन। दुसरी तरफ credit, सैलरी, नौकरी सब होते हुए होम लोन न देना। या PPF में आपका अपना पैसा होते हुए, सब conditions पूरी होने के बावजूद लटकाना या धक्के खिलाना।
ऐसा वक़्त, बुरा करने में तो कुछ कमी नहीं छोड़ता, मगर ज़िंदगी के वो सबक़ सीखा जाता है, जो शायद कोई किताब या कोर्स नहीं सीखा सकता।
Kinda everything has its own cons and pros.
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