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मेरा नौकरी से Resign (whatever kinda was that) और किसी का बताना, आपको 1- करोड़ मिलेंगे! ऑनलाइन ऐसी advertisements भी आम हो चली थी।
कौन हैं ये बताने वाले? और इनको ये किसने बोला ? शायद इन बच्चों को ये तक नहीं मालूम, की सब हिसाब-किताब online है। और जिसको आप बता रहे हैं, उसे हकीकत पता है, आपको नहीं। वैसे भी आज के वक़्त करोड़पति होना क्या बड़ी बात है? मगर शायद कोड में कुछ अनोखा जरूर है। जाट तो वैसे भी 2-4 किले होते ही पैदायशी करोड़पति होते हैं। मगर रहते फिर भी ज्यादातर गरीब ही हैं। खासकर अगर सिर्फ जमीन है, वो भी इतनी-सी।
भाभी की मौत के बाद, ऐसा ही शगुफा बच्चे को लेके उड़ाया जाने लगा। और आपको समझ न आये, इस सब बकवास का मतलब क्या है? ये फिर से कोड जोन था शायद। इस सबसे बचने की जरुरत थी। उसके आगे शायद, गुब्बारे उड़ाने वाले जोन थे। फूँक मारो और उड़ा दो। छोटी सी चोट की नहीं की कहानी ही खत्म। क्युंकि आगे करना क्या है, उसपे ज्यादा फोकस न होकर, खर्च कहाँ-कहाँ होना है, या कहो करवाना है, फोकस वहां ज्यादा होने लगा था। अब तक थोड़ा बहुत वित्तीय समझ आ गयी थी, शायद। उसपे Entrap के जोन से भी बचना जरूरी था। Entrap Zone चारों तरफ से था। आसपास के हर नासमझ इंसान पे था। मुझे तो समझ आने लगा था। या यूँ कहो, जो कुछ हो रहा था, वो साफ़-साफ़ दिख रहा था। मगर आसपास जो जाल फैला था, उसे कौन हटाए? और कैसे हटाए ? स्कूल के प्लान को फ्लॉप करने की इधर-उधर की कोशिशों का मतलब ही यही था। भाभी की मौत के बाद, वो मोहरे फेंकने वाले चेहरे एक तरह से खुलकर सामने आ गए थे। मगर नासमझों को खबर अब भी नहीं थी। वो आपस में ही उलझने लगे थे। अब तो हर तरह का अवरोध (distraction) था वहाँ।
जुए का जाल, अब उस जमीन की तरफ भी बढ़ने लगा था, जिसपे वो स्कूल बनना था। आम-आदमी की ज़िंदगी में घुसे, जमीन-जायदादों के जुए की राजनीती ! इस अजीबोगरीब तानेबाने से नफरत होने लगी थी। मगर नफरत हल कहाँ होता है? समाधान, ऐसे बन्दों से और शायद कुछ हद तक, ऐसी जगहों से और उनके षड्यंत्रों से, थोड़ा दूर ही रहना था।
वैसे करोड़पति ही क्यों? अरबपति या खरबपति क्यों नहीं? वो भी अपनी पुस्तैनी जमीनों को बेच कर क्यों? ऐसे चालबाजों की खरीदकर क्यों नहीं? या सबसे अच्छा ये की ऐसे बन्दों और पंगों से ही दूर रहो।
ये जाहिल जहाँ तेरा नहीं
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