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Media and education technology by profession. Writing is drug. Minute observer, believe in instinct, curious, science communicator, agnostic, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Monday, April 3, 2023

खेल ही खेल में

खेल ही खेल में, आओ दुनियाँ को जाने-समझें?  

आओ गुड़िया-गुड़िया खेलें? नंगी-पुंगी गुडियाएँ?  

या सुनार-सुनार? लुहार-लुहार? कुम्हार-कुम्हार? पुलिस-पुलिस? चोर-सिपाही? छुपम-छुपाई? पकड़म-पकड़ाई? 

सांप-सीढ़ी? लुड्डो? 

पासे, गुट्टे? वो तो पुराने लोग खेलते थे। जेल में, आजकल भी खेलते हैं?   

Video Games? Coding-Decoding? Word Puzzles, Suduko, Travel The World, World Map, Currency-Currency? Chess?

कौन, कहाँ पे और कैसे-कैसे खेल, खेल रहे हैं? वहाँ की आसपास की हकीकत के आसपास ही कुछ गा रहे हैं?

Child-Kidnapping? 

Kicking out child from home? 

Away from own people? 

What kind of games are these? What kind of stakes, such people could have? Political? 

गवांरपठ्ठे, ये सब खुद कर रहे हैं? या कहना चाहिए कौन हैं, ये सब करवाने वाले? 

कुछ Parallel cases अभी भी आपके आसपास घड़े जा रहे हैं।  राजनीती जैसे न रुकने वाला रथ है, जो निरंतर चलता ही रहता है। वैसे ही Parallel cases भी निरंतर चलने जैसा ही है। ये भी कभी न रुकने वाली प्रकिर्या है। आपके साथ या आपके आसपास क्या हो रहा है, ये जानना जरूरी है, खासकर जब आपको पता हो की कुछ अच्छा नहीं चल रहा। या वो क्या कहते हैं -- वक़्त अच्छा नहीं चल रहा है ?

हक़ीक़त ये है, वक़्त तो एक जैसा ही रहता है मगर उसका पहिये का कोई हिस्सा किसी के लिए अच्छा है, तो कोई किसी के लिए। क्या उस पहिये को हम अपने अनुसार सैट कर सकते हैं?

शायद कुछ हद तक। जानते हैं, आगे किसी पोस्ट में।  

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