आप सुबह 9. 0 0 बजे रोटी खा लो
रोटी के साथ पानी नहीं पीना
10. 0 0 बजे पानी पी लो
11 . 0 0 बजे चाय पी लो
दोपहर 1. 0 0 बजे सो जाओ
रात को 12 बजे चाँद देखो और सो जाओ
क्या है ये सब? बच्चे रोबोट्स-रोबोट्स खेल रहे हैं।
एक ने कहा Statue
दूसरा Statue बन गया
ATM
दूसरा ATM बन गया
बच्चे ने नकली ATM कार्ड निकाला और दूसरे बच्चे को हाथ में थमा दिया
जिसने पकड़ा उसने बोला पासवर्ड डालो
पहले बच्चे ने पासवर्ड डाला
ATM बनने वाले के यहाँ से आवाज़ आयी गलत पासवर्ड
2 -3 बार ऐसा ही हुआ
ATM बोला, कान पे लगाओ
पहले वाले ने कार्ड वापस लेकर अपने कान पे लगा लिया
ATM ने थप्पड़ मारा और बोला अपने नहीं, मेरे कान पे लगाओ
उसने वैसा ही किया, और उसे पैसे मिल गए
ATM ने पैसे छीन लिए और कहा मर जाओ
सामने वाला मरे इंसान की तरह लेट गया
क्या हुआ, कुछ लोग भयभीत तो नहीं होने लगे? नहीं ना? आगे सुनाऊँ?
चलो कुछ और ऐसा ही शायद
अपने बच्चों के खेलों को ध्यान से देखो, सुनो और सोचो वो किसने बनाये होंगे? कहाँ से आये होंगे? शायद वो आपके आसपास की ही किसी हकीकत के थोड़ा इधर या शायद थोड़ा उधर घूम रहे हों? हो सकता है ऐसा न भी हो। मैंने पहले ही कहा, न्यायविद आप हैं, मैं नहीं। मेरा काम सिर्फ अपने अध्ययन को आपके सामने रखना है।
बच्चे काफी हद तक रोबोट ही होते हैं। वो, वो सब खेलते हैं, जो उन्हें बताया जाता है। वो सब बोलते हैं, या करते हैं जो आसपास देखते हैं। वो कोई वैज्ञानिक, डॉक्टर या प्रोफेसर की तरह विद्वान तो हैं नहीं जो प्रयोग कर सकें। विश्लेषण दे सकें। बहुत बार ये ज्यादा पढ़े-लिखे भी खुद को रोबोट्स-सा ही अनुभव करते हैं। नहीं ? कौन-कौन महान हैं वो ?
क्या वो बता पाएँगे की 0 3 . 0 4. 2023 को 3D कैसे Create करना है?
बच्चे को क्या, आम आदमी को भी नहीं पता। आम आदमी भी ज्यादातर वही सब करता है, जो उसे बताया जाता है। ज्यादातर बिना सोचे समझे। बिना उनके परिणाम जाने। आपको क्या लगता है? आप सोचिये, आप ऐसा क्या-क्या करते हैं, बिना सोचे समझे, जो आपको भी रोबोट की लाइन में खड़ा करता है? शायद बहुत कुछ? कभी सोचा क्युं ? आपको किसी ने ऐसा करने के लिए बोला है? नहीं? परिणाम जानते हैं क्या हो सकते हैं उस सबके? या आपके आसपास उसका क्या असर हो रहा है या हो सकता है?
जानते हैं आगे किसी पोस्ट में।
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