छोटी-छोटी बातें मिलजुलकर बड़ी होती जाती हैं
जब उनसे निपटा नहीं जाता, जब वे छोटी होती हैं
मगर हर राई को, पहाड़ भी तो नहीं बनाना चाहिए
मगर क्या हो अगर राई से पहाड़ खड़े होने लगें?
ऐसा ही कुछ Amplifications और Manipulations में होता है
ऐसे ही Parallel Cases बनते हैं। जिन्हे पता चलने पर, वक़्त रहते रोका भी जा सकता है।
देखो या सुनो तो, ये तो कोई खास बात नहीं
तुम्हे तो हर चीज़ पे, हर इंसान पे शक करने की आदत हो गयी है। या खामखाँ प्रश्न करने की आदत है, जैसे डायलाग भी सुनने को मिल सकते हैं।
मगर जानने लगो तो?
छोटी-छोटी सी कड़ियाँ मिलके ही बना देती हैं पहाड़
और वो कभी-कभी ले उड़ते हैं, ज़िन्दगी को ही
सोचो आपके पास किसी ब्रांड का कोई लैपटॉप है, टेबलेट या आईपैड है। कुछ और भी हो सकता है। जैसे कपड़ा, कोई पढ़ने लिखने का सामान, कार, स्कूटी, साइकिल, घर या ऑफिस का कोई भी सामान। या शायद इंसान ही। किसी को वो आपके पास पसंद नहीं या हो सकता है, आपसे कोई खुंदक हो। शातीर और घटिया ताकतें, उसमें तोड़फोड़, अदला-बदली करने लगी हों। वो आपके दिमाग की ही Programming करने लगें हों, की वो आपके लिए सही नहीं है। उसकी अच्छाईओं को ही, बुराईओं की तरह पेश किया जा रहा हो या शायद बदला ही जा रहा हो। उपभोग की वस्तुओँ तक तो, फिर भी देखा जाए। कहीं वो इंसान को ही ना उपभोग की वस्तु बना दें या खत्म ही कर दें। सम्भलना उससे पहले होता है।
In such cases, alert and timely help is important.
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