Search This Blog

About Me

Happy Go Lucky Kinda Stuff! Curious, atheist, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Writing is drug, minute observer, believe in instinct, in awesome profession/academics. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Friday, December 1, 2023

पसंद-नापसंद घड़ने का काम (Brainwash)

किसी के व्यवहार को बदलने के सीधे-सीधे दो तरीके हैं 

या तो मनाकर 

या जबरदस्ती या गुप्त तरीके से 

इन दोनों को करने के भी दो तरीके हैं 

या तो सीधे-स्पाट बात कर या चालाकी से छुपे तरीके से। आपको लगेगा की आप जो कर रहे हो, वो खुद कर रहे हो। बिना ये जाने की आपको बदला जा रहा है। Manipulate किया जा रहा है। आपको गुमराह (Mindwash) किया जा रहा है। मत परिवर्तन करना या बुद्धि भ्र्स्ट करना, छल कपट या चालाकी से। ऐसे, जो आपके लिए घातक भी हो सकता है। आपके अपनों के लिए घातक हो सकता है। और आपको समझ ऐसे आएगा, की ये सब तो मेरे भले या फायदे के लिए है। 

राजनीतिक पार्टियाँ और बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ ये दोनों ही तरीके अपनाती हैं, मगर आपकी जानकारी या अहसास के बैगर, छुपे तरीके से। 

बहुत बार आप वो खरीदते हैं या लाते हैं, जो आपको पसंद नहीं होता। और एक वक़्त के बाद या तो उसकी वजह से विवाद होने लगते हैं या आप खुद को फँसा हुआ महसूस करते हैं। या हो सकता है की मजबूरीवश ही या जरुरत की वजह से उसको पसंद ही करने लगें।  इसमें किसी भी वस्तु के रंग से लेकर, उसके डिजाईन तक हो सकते हैं। उत्पाद बेचने वाली कम्पनियाँ, आपकी पसंद-नापसंद ना देख, पसंद-नापसंद घड़ने का काम करती हैं। ये कम्पनियाँ, ऐसे-ऐसे उत्पाद बेचने में सक्षम होती हैं, जो बहुत अच्छे नहीं होते। मगर, जिनमें कंपनियों को काफी फायदा होता है। इनमें से बहुत से उत्पादों की शायद आपको जरुरत ही ना हो। जिनके बगैर आसानी से आपका काम चल सकता है। हो सकता है, जरुरत यहाँ-वहाँ से बढ़ा चढ़ा कर पेश की गई हो। जिनको शायद खरीदने से पहले तक पसन्द नहीं करते हों। और हो सकता है की खरीदने के बाद भी कोई खास पसंद ना हो। ऐसे ज्यादातर उत्पाद जल्दी में लिए जाते हैं। आपको ज्यादा सोचने का मौका ही नहीं दिया जाता। जहाँ बहुत ज्यादा जरूरत ना हो और दिमाग एक बार भी ना कहे तो अच्छा यही रहता है की उसे ना लें।  

कभी-कभी आपसे ज्यादा, आपके आसपास वालों पे ऐसा दबाव बनाया जा सकता है। जिसका सीधा-सीधा असर, आपकी पसंद-नापसंद में झलकने लगे। ये भी हो सकता है की वो क्षणिक हो, कुछ वक्त के लिए। वो सब करने के भी बहुत से तरीके हैं। मान लो, आपके पास कोई कीमती चद्दर है या जैकेट है या जेवर हैं। कोई बाबा बनकर आए। थोड़ी देर, आपसे गप्पे हाँकें और थोड़ी देर बाद आपको समझ आया की कुछ गुम है। मगर क्या? अरे वो कीमती कपड़ा या गहना था, कहाँ गया? कुछ और भी हो सकता है। और आपको ध्यान आए की कोई थोड़ी देर पहले आपके पास आया था। शायद उसने वो कपड़ा माँगा था और आपने दे दिया। या आपको पता ही नहीं, क्या हुआ और वो ले गया शायद। क्यूँकि वो कपड़ा और बाबा दोनों ही गुम हैं। आप लगे ईधर-उधर, आसपास पूछने, की आपने कोई बाबा देखा। कोई कहे हाँ, उधर जा रहा था, बस स्टैंड की तरफ। मगर वो कहीं ना मिले। बाबा तो चम्पत। लगा गया आपकी वॉट। दशकों पहले, किसी के यहाँ ऐसा हो चुका ना? दशकों पहले? उसके बाद तो दुनियाँ और टेक्नोलॉजी बहुत बदल चुकी बन्धुओं। अब तो आदमी उठा दिए जाते हैं ऐसे, या बदल दिए जाते हैं। कौन सी दुनियाँ में हैं आप?    

एक और बात यहाँ अहम है, आपको किसी या किन्हीं ऐसे इंसान या इंसानो से दूर कर दिया जाता है ऐसे में, जो कोई रोड़ा बन सके, ऐसे-ऐसे हादसों को रोकने में। तो ये कोई जादू नहीं है। छल-कपट है। ऐसे में बेहतर रहता है की जितना जल्दी हो सके होश में आएँ और ऐसे लोगों या परिस्तिथियों से खुद को बचाएँ।           

और ये सब कुछ नया नहीं है। अगर नया है और ज्यादा तीखे और गुप्त तरीके के प्रहार के रूप में है तो वो है टेक्नोलॉजी का प्रयोग और दुरूपयोग। पुराने कुछ उदाहरण लेते हैं। 

चूहा विद्या गणेश 

भस्म शास्त्रा शिव 

योन विद्या 

संतोषी माँ पिंडी 

काली खून 

सोचो इन सबमें कैसे और कौन से ज्ञान का प्रयोग किया गया होगा ? और भी कितनी ही तरह के उदाहरण हो सकते हैं। आते हैं कुछ एक ऐसी-ऐसी और कैसी-कैसी महान विधाओं पर। 

No comments:

Post a Comment