कौन हैं आप? मालूम है आपको?
शायद हाँ? शायद ना? संशय है? पक्का नहीं पता?
या पता है? आपको पता है की
आपका नाम क्या है?
जैंडर क्या है?
आपके माँ-बाप कौन हैं?
भाई-बहन कौन हैं?
रिश्ते नाते, कौन चाचा-चाची है? कौन ताऊ-ताई है? कौन जीजा या साला है? कौन भतीजा या भतीजी है? आपका पता क्या है? कहाँ रहते हैं? पढ़ते हैं? या नौकरी करते हैं? या कोई भी काम करते हैं, किसान हैं, खाती हैं, लुहार हैं, कुम्हार हैं, या अपना कोई व्यवसाय है? या हो सकता है, इनमें से कुछ भी ना करते हों?
आपको ये सब पता है। अपने बारे में और अपने आसपास के बारे में भी।
मगर क्या हो, अगर कोई इसमें संशय पैदा करने लगे या जबरदस्ती थोंपने लगे? मतलब वो शंशय पैदा करने वाला इंसान, आपके दिमाग को बदलने (alter) की कोशिश कर रहा है या कहना चाहिए की कर रहे हैं। मतलब आपकी alter ego बनाने की कोशिश, उनके अपने फायदे के अनुसार। जरुरी नहीं की उसमें आपका फायदा हो, नुकसान भी हो सकता है। अगर आपने वो मानना शुरू कर दिया, तो क्या होगा?
इसे हम कपड़ों के साइज या अलग-अलग प्रकारों से समझ सकते हैं। जैसे
आपका साइज क्या है?
छोटा (XSS) ?
थोड़ा बड़ा (XS) ?
बीच का (X)?
उससे थोड़ा बड़ा (XL)?
उससे थोड़ा और बड़ा (XLL)?
बहुत बड़ा (PLUS)?
क्या हो अगर आपका साइज बीच का हो और कोई कहे PLUS है? या XSS या XS है? अब कपड़ा तो छोटा-बड़ा फिर भी चल जाएगा। मगर क्या हो अगर
आप जींस-शर्ट या कुर्ता-पायजमा डालने वाले पुरुष हैं। और कोई आपको हरियान्वी धोती-कुरता डालने को बोले? या शायद दक्षिण वाली धोती-कुरता? या इससे भी थोड़ा आगे चलके औरतों वाली धोती (साड़ी)? या औरतों वाला कुर्ता-सलवार? वैसे तो क्या फर्क पड़ता है, तन ही तो ढकना है? या पड़ता है?
ऐसे ही औरतों के केस में अगर कोई हरियाणा, राजस्थान या यूपी के गाँवों से रूढ़िवादी घर से सलवार-कमीज और चुन्नी डालने वाले घर से हो और उसे शॉर्ट्स डालने को बोलें? या शायद स्विमिंग सूट किसी गाँव के तालाब में या रजभाये या नहर में? हाय-तौबा मच जाएगी ना? चलो ये तो फिर भी कपड़े हैं।
क्या हो अगर कोई सनक की हद के पार छवि घड़ने वाले (Crazy Alter Ego Creators), अलग-अलग तरह की छवियों की घढ़ाईयाँ (Alter Egos Creations) करने लगें। जैसे ये IN, OUT PROCESSING वाले?
आप लडका हैं या लड़की?
क्या ये भी अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता है? वो भी एक ही इंसान के केस में? आपकी जेंडर की पहचान तो पैदायशी ही हो जाती है ना? आपकी ज्यादातर IDs में लिखा होता है ये। या ऐसा भी हो सकता है की एक ID में आप महिला हों और दूसरी में पुरुष या हिज़ड़ा? अगर आपकी छवि पर सनक की हद के पार प्रहार हुए हैं, तो शायद लोगबाग सिर्फ आपके माँ-बाप के नाम या दादा-दादी या नाना-नानी के नाम तक नहीं बदल सकते, बल्की आपका जेंडर तक बदला हुआ बोल सकते हैं। सोचो, ऐसे लोग आपसे कितनी नफरत करते होंगे? इतना ही नहीं, वो आपके परिवार या कुनबे को ही खून के रिश्तों में ही यौन सम्बन्ध (incest) वाले बोल सकते हैं। बोल ही नहीं सकते, बल्की ऐसे-ऐसे रिश्ते घड़ने तक की कोशिश कर सकते हैं। अब कितना सफल हों पाएं और कितना ना अलग बात है। वो किसी और पोस्ट में। मतलब, हद के पार लोगों की छवि घड़ने वाले लीचड़ लोग? राजनीतिक सामान्तर घड़ाईयों के लीचड़ वाले संसार में ये सब आम है।
आपका रंग, रुप, नयन नक्श, बालों की बनावट, रंग क्या है?
ये सब पैदायशी ही तय होता है। और भी ऐसे ही बहुत से पैदाइशी गुण। भार, वक़्त-वक़्त पे बदल सकता है। या एक ही वक़्त पे, अलग-अलग पार्टियों के हिसाब-किताब से अलग-अलग भी हो सकता है? बालों का रंग या बनावट बदल सकते हैं, कृत्रिम रुप से। या अपने आप भी बदल सकता है, किन्हीं खास परिस्तिथियों में? वो भी जब आप खुद ना बदल रहे हों, गुप्त रूप से ऐसा किया जा सकता है क्या? कैसे? ये रंग-रुप, नयन-नक्श, बालों की बनावट जैसे बदलाव भी, आपकी छवि घड़ने में प्रयोग हो सकते हैं क्या? राजनीतिक पार्टियों की जीत की कहानियों के किरदार, किसी भी हद को पार कर सकते हैं। और हूबहू वो आपको आपकी जानकारी के बगैर उन किरदारों में ढ़ाल सकते हैं। इसलिए बहुत ही जरुरी होता है, अपनी और अपने आसपास वालों की पहचान को बिगाड़ने वालों को जवाब देना या उनसे दूर रहना। क्यूँकि, आप वो नहीं हैं, जो वो आपको बनाना चाहते हैं। आप वो हैं, जो आप अपने आपको समझते हैं या बिना किसी द्वेष भाव से जो लोग आपको जानते हैं।
मगर क्या हो, अगर आप राजनीतिक पार्टियों के घड़े किरदारों को मानना शुरू कर दें? बहुत अहम है ये पॉइंट। मानना शुरू कर दें? और आपको खबर तक ना हो, की जो किरदार उन्होंने घड़ा है, आपका या आपके आसपास के किसी भी इंसान का, वो आपके लिए या उस इंसान के लिए कितना गलत है? और उसका असर उस ज़िंदगी पर या शायद आसपास पर भी कितना बुरा हो सकता है? लोगों की ज़िंदगियों को बर्बाद, ये राजनीती वाली सामान्तर घड़ाईयाँ ऐसे ही करती हैं। क्यूँकि, आप उनका कहा मान लेते हैं, बिना उसका अर्थ या अनर्थ समझे। इससे खुद भी बचें और अपने बच्चों को या आसपास को भी बचाएँ। बहुत कुछ अपने आप सही होने लगेगा। तो सबसे पहले समझना जरूरी है की जो कुछ आप कर रहे हैं, क्या वो सब सच में आप कर रहें हैं? या आपसे करवाया जा रहा है? गुप्त तरीके से? या कोई लालच देकर? बिना उसका कोई नुकसान बताए?
एक होता है, किसी नाटक या फिल्म का किरदार होना और उसके अनुसार हुलिया बदलना। जैसे फिल्मों और नाटकों के किरदार करते हैं। और एक होता है इस संसार रुपी रंगमंच पर आपका हुलिया बदलना, किसी पार्टी की चाहत के अनुसार, वो भी हकीकत में। कहीं ना कहीं ये हुलिया, आपको किसी खास ज़िंदगी की तरफ और उस ज़िंदगी पर खास किस्म के प्रभावों या दुस्प्रभावों की तरफ धकेलता है। आपका ये हुलिया, आपके स्वास्थ्य के बारे में और ज़िंदगी के बारे में भी बहुत कुछ बताता है। जैसे अगर आप किसी डॉक्टर के पास जाएँगे तो वो आपको देखकर ही, बिना किसी टैस्ट के शायद आपके स्वास्थ्य के बारे में बहुत कुछ बता दे। स्वास्थ्य के साथ-साथ, शायद उस स्वास्थ्य के लिए ज़िम्मेदार कारणों, जैसे आपकी डाइट, खाना-पीना और शायद वातावरण के बारे में भी बता दे।
पहनावा और कोड?
किसी भी जगह का खाना-पीना, बोलचाल की भाषा और कोड? ये भी किसी की छवि या किसी तरह की alter ego का हिस्सा हो सकता है क्या? ऐसे ही शायद किसी भी वक़्त की राजनीती के कोढ़ों के जानकार, आपके कपड़ों को देखकर ही उस वक़्त की आपके आसपास की राजनीती के बारे में काफी कुछ बता दें। जैसे आप टाइट कपडे पहनते हैं या खुली फिटिंग के। उनके भी अलग-अलग नाम मिलेंगे, उस वक़्त की और जगह की राजनीती के हिसाब-किताब से। शायद, इन सबपे अलग से पोस्ट चाहिए।
और आप छवि के बारे में क्या सोचते हैं? कितने संकुचित दायरे की सोच है आपकी? या उसके दायरे में बहुत कुछ आता है, उसे जानने और समझने के लिए? सूक्ष्म स्तर पे किसी भी इंसान की छवि घड़ने के लिए उस बहुत कुछ वाले कारणों को समझना जरुरी होता है। जो मानव रोबोट घड़ाई में और इंसान के कंट्रोल में प्रयोग होता है। ऐसे ही इंसान को रोबोट बनाने के लिए भी, उसके बारे में सूक्ष्म स्तर पे बहुत कुछ पता होना चाहिए। वो सब surveillance abuse का हिस्सा है, जो आजकल बड़े स्तर पर बड़ी-बड़ी कंपनियाँ कर रही हैं। जिनमें सरकारी और गैर सरकारी दोनों हैं। यही surveillance abuse बहुत-सी बीमारियाँ घड़ने के काम भी आता है और लोगों के जन्म और मरण की प्रकिर्या में भी।
छवि को इंग्लिश में IMAGE कहते हैं। Character भी यही होता है क्या? सोचो? Image Movers? ये क्या होता है? Character Animation? इससे आगे भी बहुत कुछ है। आज हम जिस संसार में हैं, वो इससे काफी आगे निकल चुका। और आम आदमी को भी प्रभावित कर रहा, वो भी उसकी जानकारी के बिना। ये बच्चों से लेकर बुजर्गों तक की, अमीरों से लेकर गरीबों तक की, खाने-पीने ले लेकर, रहने की या काम करने की जगहों और बोलचाल तक को प्रभावित कर रहा है। और भी काफी कुछ आता है, इस इमेज और छवि की घड़ाई में। आते हैं इसपे भी। विकसित संसार, जहाँ आज गुप्त-गुप्त, छद्दम युद्ध लड़ रहा है। विकासशील और अविकसित संसार को उसकी खबर तक नहीं है। इसीलिए वो इस विकसित संसार के युद्धों के दुष्परिणाम तो भुगतता है, मगर उस टेक्नोलॉजी का फायदा नहीं उठा पाता,आगे बढ़ने में और फलने-फूलने में। बस इसी कितना ज्ञान या कितना अंजान का फर्क है, इस संसार में और उस संसार में।
No comments:
Post a Comment