एक तरफ स्कूल बस
और दूसरी तरफ
निठल्लों की गुड़गुड़
एक तरफ बच्चों का खाना
और दूसरी तरफ धुआँ-धुआँ
सुबह हो, श्याम हो, या हो दोपहर
हुकपानी के नाम पे, साँसों में घुलता ज़हर
भाई-चारे का पैगाम या बिमारियों की सौग़ात?
दुनिया जहाँ की बुराइयाँ करते
या फेकम-फेक, बिना सिर-पैर के
लुगाई-पताई करते
औरतों और बच्चों का स्पेस छीनते
कबुतरबाज़ी, हवाबाज़ी के अड्डे
टाइम पास के अड्डे
बदज़ुबाँ, गाली गलौच को
मुहहगदोरों की तरह यहाँ-वहाँ उड़ेलते
बिना सोचे-समझे बोलते
शराबियों के अड्डे
ज्यादातर, दिशाहीन बेरोजगारों के अड्डे!
No comments:
Post a Comment