चौक्कने हो जाइए!
अगर आपके आसपास मंदिरों के कर्म-काण्ड बढ़ रहे हैं
हाँ! ये समझो राजनीती के षड्यंत्र और काण्ड बढ़ रहे हैं
ये समझो, नासमझों-नादानो को फ़साने के तरीक़े बढ़ रहे हैं
वो घुस आये हैं आपके घरों में, आपकी ज़िंदगियों में
आपके रिश्ते-नातों में, दरारें बढाने के लिए
आपको आपस में भिड़ाने के लिए
आपके अपनों को दरबदर करने के लिए
आपके अपनों को बेमौत उठाने के लिए
ये कालिख़ धंधे हैं
ऐसा भी नहीं की नए हैं, मगर तरीक़े बदलते रहते हैं
कालिख़ के रूप में उतर आएं हैं
अलग-अलग रंगो के धागों में
अलग-अलग तरह की मालाओं में, झंडों में
जैसे युद्ध के डंकों में
ये जादू नहीं है कोई, न ही सम्मोहन है
विज्ञानं है, मगर राजनितिक
कुछ-कुछ वैसा ही, जैसा कोरोना काल था
मगर ये वैसे ही दिखेगा भी नहीं
जब तक इसे समझने वाले उस आमजन को दिखाएंगे नहीं
चौक्कने हो जाइए
कभी-कभी, आस्था से ज्यादा दिमाग़ काम आता है
सोचिये तुम्हारे आसपास,
इतना कर्मकाण्ड मंदिरों के नाम पे कब होता था?
कब और कैसे शुरू हुआ ये सब?
और कौन हैं इन सबके पीछे?
बाहर का आपके घर में बढ़ते असर का मतलब
चाहे वो मंदिर ही क्यों न हों
आपके घर, जो अपने आप में होने चाहियें एक मंदिर
उनकी सुखशांति खत्म हो रही है
जिसे आप अपने घर में ही ढूंढने और बनाने की बजाए
बाहर ढूंढने लगे हैं
जैसे गीद्ध कमजोर पे हमला करता है
वैसे ही, ये भी कमजोर होते समाज का, घरों का आईना है
ये ऐसे कमजोरों की शरण-शथली कम, गीद्ध ज्यादा हैं
इसलिए, चौक्कने हो जाइए!
No comments:
Post a Comment